AIN NEWS 1: दिल्ली में 76वें गणतंत्र दिवस की परेड की तैयारियों में जुटे जाट रेजिमेंट के सूबेदार झूमर राम ने कहा: “मैं जाट रेजिमेंट के दस्ते का नेतृत्व कर रहा हूं। हमारी रेजिमेंट 200 साल पुरानी है और इसमें दिल्ली, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और हरियाणा के जवान शामिल हैं। हमें अपनी परंपरा और देश सेवा पर गर्व है। हम भारतीय सेना की सबसे पुरानी रेजिमेंट्स में से एक हैं। हमने चार महीने बरेली के केंद्र में कड़ी मेहनत से अभ्यास किया और पिछले एक महीने से कर्तव्य पथ पर परेड की तैयारी कर रहे हैं।”
जाट रेजिमेंट: वीरता और परंपरा का प्रतीक
जाट रेजिमेंट भारतीय सेना की सबसे पुरानी और सम्मानित रेजिमेंट्स में से एक है। इसकी स्थापना 200 साल पहले हुई थी और यह अपनी बहादुरी और अनुशासन के लिए जानी जाती है। इस रेजिमेंट के सैनिक मुख्य रूप से दिल्ली, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और हरियाणा से आते हैं। इन राज्यों के जवानों की एकता और देशभक्ति, रेजिमेंट को खास बनाती है।
परेड की तैयारी: कड़ी मेहनत और अनुशासन का नतीजा
सूबेदार झूमर राम ने बताया कि गणतंत्र दिवस की परेड के लिए हर सैनिक ने चार महीने तक बरेली के प्रशिक्षण केंद्र में कठिन अभ्यास किया। इसके बाद, कर्तव्य पथ पर पिछले एक महीने से नियमित रिहर्सल हो रही है। यह परेड भारतीय सेना की परंपरा, अनुशासन और समर्पण का प्रतीक है।
रेजिमेंट की विशेषताएं और योगदान
जाट रेजिमेंट ने भारतीय सेना को कई वीर योद्धा दिए हैं। यह रेजिमेंट हर चुनौती का सामना करते हुए देश की सुरक्षा में महत्वपूर्ण योगदान देती रही है। इसकी परेड में भागीदारी, देश की सैन्य ताकत और गौरवशाली परंपरा का प्रदर्शन करती है।
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The Jat Regiment, one of the oldest and most prestigious regiments of the Indian Army, takes pride in leading the 76th Republic Day parade in Delhi. Subedar Jhumar Ram shared that the regiment, established 200 years ago, represents soldiers from Delhi, Rajasthan, Uttar Pradesh, and Haryana. Known for its valor and discipline, the regiment has rehearsed extensively for over four months in Bareilly and at Kartavya Path for the past month. This parade showcases India’s military strength and the regiment’s glorious history, uniting tradition and dedication on this proud occasion.
Additional Content (Humanized):
जाट रेजिमेंट की गणतंत्र दिवस परेड में भागीदारी केवल एक औपचारिक आयोजन नहीं है, बल्कि यह रेजिमेंट के हर सैनिक की मेहनत और समर्पण का प्रमाण है। 200 साल पुरानी इस रेजिमेंट की गाथा न केवल इतिहास के पन्नों में दर्ज है, बल्कि हर उस पल में जीवित है जब इसके सैनिक अपनी जान की परवाह किए बिना देश की रक्षा करते हैं।
रेजिमेंट में शामिल होने वाले जवान, चाहे वे राजस्थान की तपती रेत से हों या हरियाणा की हरियाली से, सभी एक समान जोश और जुनून के साथ देश सेवा के लिए समर्पित हैं। सूबेदार झूमर राम की कहानी, उनकी मेहनत और उनकी टीम की प्रतिबद्धता, हर भारतीय के लिए प्रेरणा का स्रोत है।
रेजिमेंट के सैनिकों ने बताया कि बरेली में प्रशिक्षण केंद्र पर शुरुआती चार महीने के अभ्यास ने उनकी शारीरिक और मानसिक मजबूती को बढ़ाया। इसके बाद, कर्तव्य पथ पर परेड की तैयारी ने उन्हें अनुशासन और तालमेल की नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया। यह परेड केवल एक आयोजन नहीं, बल्कि भारतीय सेना की ताकत, परंपरा और गौरव का प्रतीक है।
ऐसे आयोजनों के माध्यम से हर भारतीय को यह समझने का मौका मिलता है कि देश की सुरक्षा और सम्मान के लिए सेना किस हद तक समर्पित है। जाट रेजिमेंट का योगदान और इसकी विरासत, भारतीय सेना के गौरव को और भी बढ़ाती है।