Tuesday, January 21, 2025

‘ऐसे लोगों को तो चुनाव लड़ने ही नहीं देना चाहिए’ – सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी, ताहिर हुसैन की याचिका पर सुनवाई टली, सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी?

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AIN NEWS 1: दिल्ली दंगों के मुख्य आरोपी और पूर्व आप पार्षद ताहिर हुसैन की जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को बड़ी टिप्पणी की। जस्टिस पंकज मिथल और अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की बेंच ने कहा कि ऐसे लोगों के चुनाव लड़ने पर पूरी तरह पाबंदी लगाई जानी चाहिए। कोर्ट ने यह भी कहा कि जेल से चुनाव लड़ने पर रोक होनी चाहिए।

मामले की सुनवाई मंगलवार तक टली

ताहिर हुसैन की याचिका पर मंगलवार (21 जनवरी, 2025) को सुनवाई होगी। ताहिर ने कोर्ट से अंतरिम जमानत की मांग की है, ताकि वह मुस्तफाबाद विधानसभा सीट से AIMIM के उम्मीदवार के रूप में चुनाव प्रचार कर सके। वरिष्ठ वकील सिद्धार्थ अग्रवाल ने ताहिर के पक्ष में दलील दी कि नामांकन स्वीकार किया जा चुका है और प्रचार की अनुमति मिलनी चाहिए। इस अनुरोध पर कोर्ट ने सुनवाई मंगलवार तक टाल दी।

2020 के दंगों में ताहिर मुख्य आरोपी

2020 में उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुए दंगों में 50 से अधिक लोगों की मौत हुई थी। ताहिर हुसैन पर आईबी अधिकारी अंकित शर्मा की हत्या का गंभीर आरोप है। दिल्ली हाई कोर्ट ने ताहिर को नामांकन दाखिल करने के लिए कस्टडी पैरोल दी थी, लेकिन चुनाव प्रचार के लिए जमानत देने से इंकार कर दिया।

AIMIM का टिकट और विवाद

ताहिर हुसैन को ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) ने मुस्तफाबाद विधानसभा सीट से उम्मीदवार बनाया है। इससे पहले वह आम आदमी पार्टी (AAP) के पार्षद थे। उनके AIMIM टिकट पर चुनाव लड़ने को लेकर राजनीतिक हलकों में चर्चा है।

सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी के राजनीतिक मायने

सुप्रीम कोर्ट ने जेल से चुनाव लड़ने पर सवाल उठाते हुए इस पर रोक लगाने की बात कही। यह टिप्पणी देश में उन मामलों पर बहस को फिर से जगा सकती है, जहां गंभीर अपराधों में लिप्त लोग चुनावी राजनीति में सक्रिय रहते हैं।2020 के दंगे और ताहिर हुसैन का नाम

2020 में उत्तर-पूर्वी दिल्ली में सांप्रदायिक हिंसा ने देश को झकझोर कर रख दिया। इस हिंसा में 50 से ज्यादा लोगों की मौत हुई थी, और सैकड़ों घायल हुए। आईबी अधिकारी अंकित शर्मा की हत्या ने मामले को और संगीन बना दिया। इसी घटना में ताहिर हुसैन का नाम मुख्य आरोपी के तौर पर सामने आया।

ताहिर, जो पहले आम आदमी पार्टी (AAP) के पार्षद थे, पर दंगे भड़काने और हिंसा में सक्रिय भूमिका निभाने के गंभीर आरोप हैं। इस घटना के बाद वह पार्टी से निलंबित कर दिए गए और अब AIMIM से जुड़े हैं।

सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी

सोमवार को ताहिर हुसैन की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कड़ी टिप्पणी की। जस्टिस पंकज मिथल ने कहा, “इस तरह के गंभीर अपराधों में लिप्त लोगों को चुनाव लड़ने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।” यह टिप्पणी सिर्फ ताहिर हुसैन के लिए नहीं, बल्कि राजनीति में नैतिकता और शुचिता को लेकर भी सवाल खड़े करती है।

चुनाव आयोग और अदालत का फैसला

दिल्ली हाई कोर्ट ने ताहिर को कस्टडी पैरोल दी थी ताकि वह नामांकन दाखिल कर सके। हालांकि, कोर्ट ने चुनाव प्रचार के लिए जेल से बाहर रहने की अनुमति नहीं दी। सुप्रीम कोर्ट में अब यह मुद्दा विचाराधीन है कि क्या गंभीर आरोपों में घिरे व्यक्ति को चुनाव प्रचार के लिए अंतरिम जमानत दी जानी चाहिए।

राजनीतिक सवाल और नैतिकता

ताहिर हुसैन का AIMIM से चुनाव लड़ना कई सवाल खड़े करता है। क्या राजनीति में आपराधिक पृष्ठभूमि वाले लोगों के लिए कोई सख्त नियम बनने चाहिए? सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी ने इस विषय पर फिर से बहस छेड़ दी है।

2025 का चुनाव और मुस्तफाबाद की राजनीति

मुस्तफाबाद सीट पर ताहिर हुसैन का AIMIM उम्मीदवार के रूप में खड़ा होना इलाके में चर्चा का विषय है। हालांकि, उनकी छवि को लेकर मतदाताओं के बीच मतभेद हैं। कुछ लोग उनके समर्थन में हैं, तो कुछ उनका विरोध कर रहे हैं।

ताहिर हुसैन की याचिका और सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी ने राजनीति में शुचिता और अपराधियों की भागीदारी जैसे मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया है। यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि कोर्ट का अंतिम फैसला क्या होता है और इसका देश की राजनीति पर क्या असर पड़ता है।

 

SEO Boost Paragraph in English:

 

The Supreme Court of India has raised serious concerns about allowing individuals accused of heinous crimes to contest elections. In a significant remark during the hearing of Delhi riots accused Tahir Hussain’s plea for bail, the court suggested a complete ban on such individuals running for office. Tahir Hussain, charged in the 2020 Delhi riots and the murder of IB officer Ankit Sharma, is contesting from the Mustafabad constituency under the AIMIM banner. The court’s observations may spark nationwide debate on political ethics and the eligibility of candidates with criminal charges.

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सत्यमेव जयते नानृतं सत्येन पन्था विततो देवयानः।
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