AIN NEWS 1 | सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया है, जिसके तहत अब न्यायिक सेवा परीक्षा (Judicial Service Examination) में बैठने के लिए न्यूनतम तीन साल की वकालत (Advocacy Experience) जरूरी कर दी गई है। इस फैसले का उद्देश्य न्यायिक प्रणाली में अनुभवी और व्यावहारिक ज्ञान रखने वाले उम्मीदवारों को ही मौका देना है, ताकि न्याय व्यवस्था और भी सशक्त हो सके।
इस निर्णय पर प्रतिक्रिया देते हुए एडवोकेट धीरज जैन ने बताया कि यह निर्णय वकीलों के लिए एक सकारात्मक संदेश है। उन्होंने कहा कि इससे न केवल वकालत के पेशे को मजबूती मिलेगी, बल्कि न्यायपालिका में आने वाले नए जज भी अधिक परिपक्व और व्यवहारिक ज्ञान से लैस होंगे।
धीरज जैन इस बार शाहदरा बार एसोसिएशन (SBA) के चुनाव में संयुक्त सचिव (Joint Secretary) पद के लिए उम्मीदवार हैं। वे लंबे समय से वकालत के क्षेत्र में सक्रिय हैं और कोर्ट में उनका विशेष योगदान रहा है।
सुप्रीम कोर्ट का निर्णय क्यों है अहम?
अब तक कई राज्यों में न्यायिक सेवा परीक्षा के लिए केवल एलएलबी डिग्री पर्याप्त मानी जाती थी। इसका मतलब था कि छात्र सीधे कॉलेज से निकलकर परीक्षा में बैठ सकते थे, जिनके पास व्यवहारिक अनुभव नहीं होता था। लेकिन अब यह बाध्यता लागू हो जाने के बाद उम्मीदवारों को कम से कम तीन साल की वास्तविक वकालत करनी होगी, जिससे उनकी सोच और कानूनी समझ बेहतर होगी।
धीरज जैन की राय में यह बदलाव क्यों जरूरी था?
धीरज जैन का मानना है कि न्यायपालिका में सुधार की दिशा में यह एक बड़ा कदम है। “जो छात्र पहले सीधे कॉलेज से परीक्षा में बैठते थे, उनमें व्यवहारिक केसों का अनुभव नहीं होता था। जबकि एक अनुभवी वकील न केवल कानून को बेहतर समझता है बल्कि जमीनी हकीकत से भी अवगत होता है,” धीरज कहते हैं।
उनके अनुसार इस निर्णय से यह सुनिश्चित होगा कि न्यायिक सेवा में शामिल होने वाले व्यक्ति पहले कानून की बारीकियों को कोर्ट में जाकर समझें और फिर न्यायालय में बैठें। इससे फैसलों की गुणवत्ता भी बेहतर होगी और न्याय मिलने की प्रक्रिया अधिक प्रभावी बन सकेगी।
धीरज जैन का परिचय:
नाम: धीरज जैन
पेशा: वकील (Advocate)
चुनाव: संयुक्त सचिव पद के उम्मीदवार (SBA)
चैंबर: E-514 (A), कड़कड़डूमा कोर्ट, दिल्ली-32
मोबाइल: 9968984797, 9999801044
ईमेल: mdhjain79@gmail.com
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संदेश:
धीरज जैन का मानना है कि “शिखर पर पहुँचने के लिए सामर्थ्य चाहिए। फिर वह चाहे माउंट का शिखर हो या अपने करियर का,” यह बात उन्होंने मशहूर वैज्ञानिक डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम के कथन से जोड़ी। उनका संदेश है कि मेहनत और अनुभव के बल पर ही सफलता हासिल की जा सकती है।
बार एसोसिएशन चुनाव को लेकर उनका दृष्टिकोण:
धीरज जैन का कहना है कि अगर उन्हें संयुक्त सचिव चुना जाता है, तो वे वकीलों की समस्याओं को प्राथमिकता से सुलझाने का कार्य करेंगे। वे चाहते हैं कि बार और कोर्ट के बीच बेहतर समन्वय बने, ताकि अधिवक्ताओं को न्यायिक कार्यों में किसी तरह की परेशानी का सामना न करना पड़े।
The Supreme Court has mandated a minimum of three years of advocacy experience to be eligible for the Judicial Service Exam, a move hailed by Advocate Dheeraj Jain, who is currently contesting for the post of Joint Secretary in the Shahdara Bar Association (SBA). He believes this judicial reform will ensure better legal awareness and maturity among new judges. Dheeraj Jain, practicing at Karkardooma Court, Delhi, emphasized that practical court experience is essential for fair and effective judicial appointments in India.