AIN NEWS 1 | चेक बाउंस से जुड़े मामले अक्सर लंबी कानूनी लड़ाई का कारण बनते आए हैं। अब Supreme Court of India ने एक निर्णायक आदेश जारी किया है, जिसे जानने से लाखों लोग लाभान्वित होंगे।
फैसला क्या कहता है?
सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि अगर किसी चेक की किश्त बाउंस हो जाती है, तो केस केवल उस जगह दर्ज किया जा सकता है जहां लाभार्थी (payee) का बैंक खाता स्थित होता है। अब चेक जारीकर्ता का स्थान या चेक बाउंस होने वाले स्थान की कोई भूमिका नहीं रहेगी।
पृष्ठभूमि: क्या था पहले?
पहले चेक बाउंस केस को दर्ज करने की जगह विवाद का विषय होती थी—
कभी केस उस जगह दर्ज होता था जहां चेक जारी हुआ,
कभी जहां वह बाउंस हुआ,
तथा कभी जहां दोनों पक्ष रहते थे।
इससे आरोपी को कई राज्यों में अलग-अलग मुकदमे झेलने पड़ते—यह प्रक्रिया न्याय के सिद्धांतों के खिलाफ रहती थी।
सुप्रीम कोर्ट का दृष्टिकोण:
सुप्रीम कोर्ट ने कहा:
“कानूनी प्रक्रिया का गलत इस्तेमाल रोकना बेहद जरूरी है। कई राज्यों में एक ही आरोपी के खिलाफ दर्ज मुकदमों से वह मानसिक और वित्तीय दबाव झेलता है। यह न्याय के मूल सिद्धांतों के विरुद्ध है।”
इस आदेश से न केवल अभियुक्त को राहत मिलेगी, बल्कि न्यायिक प्रक्रिया पर अनावश्यक बोझ भी कम होगा।
फैसला लागू होने के बाद क्या बदलता है?
अब एक ही आरोपी पर विभिन्न राज्यों में अलग-अलग मामले नहीं दर्ज होंगे।
चेक बाउंस केस की सुनवाई अधिक तेज़ी से और सरल रूप में संभव होगी।
न्यायिक प्रणाली का दुरुपयोग रोकने में मदद मिलेगी।
लाभार्थी को अपने ही स्थान पर केस दर्ज कराने की सुविधा होगी।
लोग इसे कैसे समझें?
यदि आप चेक पाते हैं और वह बाउंस हो जाता है—तो आप सबमिट करने वाले बैंक खाते के स्थान की क्षेत्राधिकार वाली अदालत में ही केस दर्ज करा सकते हैं।
यदि आप चेक जारी करते हैं—तो आपको उस स्थान की अदालत में दिक्कत झेलनी पड़ेगी जहाँ लाभार्थी का बैंक खाता है, न कि आपकी जगह या किसी अन्य जगह।
मामले दर्ज करने की सही प्रक्रिया
✅ सबसे पहले, बैंक से Dishonor Memo प्राप्त करें—यह सबसे महत्वपूर्ण कानूनी दस्तावेज है।
✅ चेक जारीकर्ता को कानूनी नोटिस भेजें, जिसमें बाउंस और भुगतान की मांग की जाती है।
✅ अगर भुगतान नहीं होता—तो अपने बैंक खाते की शाखा क्षेत्राधिकार में चालान की कार्यवाही शुरू करें।
इस प्रक्रिया से आपका मामला न्यायालय में सही जगह पर दर्ज होगा और आगे की कार्रवाई संभव होगी।
निर्णय से जुड़े कुछ लाभ:
चेक बाउंस मुकदमों में स्थानीय स्तर पर सुनवाई संभव होगी।
अभियुक्त या लाभार्थी को दूर शहर या राज्य की यात्रा नहीं करनी पड़ेगी।
गलत मुकदमे दर्ज करने से होने वाले कानूनी और आर्थिक नुकसान से बचाव होगा।
न्यायिक सुधार और न्याय की दिशा
सुप्रीम कोर्ट का यह निर्णय देश की न्याय व्यवस्था में सुधार की दिशा में एक बड़ा कदम है।
यह स्पष्ट संकेत है कि कानून अब जटिलताओं और दुरुपयोगों को सीमित करने की दिशा में आगे बढ़ रहा है।
इस सुप्रीम कोर्ट के फैसले से चेक बाउंस मामले दर्ज करने का अधिकार अब केवल beneficiary bank account की जगह तक सीमित हो गया है। इससे कानूनी प्रक्रिया सरल होगी, मामलों की संख्या कम होगी और न्याय की पहुंच स्थानीय रूप में तेज़ होगी।
इस बदलाव से आप या कोई भी व्यक्ति एक स्पष्ट दिशा-निर्देश का पालन कर सकता है—जिससे दोनों पक्षों को न्याय मिलने की प्रक्रिया सहज और पारदर्शी बने।
The Supreme Court of India has ruled that cheque bounce cases are to be filed only in the jurisdiction of the payee’s bank account, significantly reducing legal burdens and preventing misuse of the judicial system. With this judgement, cheque dishonor cases will be resolved faster and more locally, simplifying legal procedure and offering relief to both parties.