Supreme Court Denies Bail in Cyber Fraud Case Involving ₹20 Lakh in Suspicious Bank Transfers
बिना जानकारी दिए खाते में आए 20 लाख: सुप्रीम कोर्ट से नहीं मिली जमानत, चार महीने की देरी पड़ी भारी
AIN NEWS 1 नई दिल्ली: अगर आपके बैंक अकाउंट में अचानक बड़ी रकम आ जाए, तो इसे नजरअंदाज करना या देर से पुलिस को बताना आपकी मुश्किलें बढ़ा सकता है। ऐसा ही एक मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा, जहां एक व्यक्ति को अग्रिम जमानत नहीं मिल पाई क्योंकि उसने अपने खाते में आए ₹20 लाख की जानकारी पुलिस को चार महीने बाद दी।
यह मामला बिहार के नवादा जिले के शिवनगर गांव के एक व्यक्ति से जुड़ा है। उसके बैंक खाते में साइबर धोखाधड़ी से जुड़े ₹20 लाख ट्रांसफर हुए थे, लेकिन उसने इसकी जानकारी तुरंत पुलिस को नहीं दी। बाद में जब मामला दिल्ली पुलिस के साइबर सेल तक पहुंचा तो उसे पूछताछ के लिए बुलाया गया।
🔍 क्या था आरोपी का पक्ष?
आरोपी ने कोर्ट में बताया कि उसका खाता उसका किरायेदार इस्तेमाल कर रहा था। किरायेदार ने लोन लेने के बहाने उसके खाते की जानकारी ले ली थी और फिर उस खाते से फर्जीवाड़ा कर डाला। वकील ने बताया कि आरोपी दिल्ली पुलिस के सामने पेश हुआ था और उसने जांच में पूरा सहयोग किया है।
लेकिन सुप्रीम कोर्ट की बेंच, जिसमें जस्टिस संदीप मेहता और पी.बी. वराले शामिल थे, ने आरोपी से एक सीधा सवाल पूछा – “जब आपके खाते में पैसा आया, तब आपने पुलिस को कब बताया?”
इस पर बताया गया कि खाते में पैसा सितंबर 2023 में आया था और आरोपी ने जनवरी 2024 में पुलिस से संपर्क किया। यानी चार महीने की देरी।
⚖️ कोर्ट का सख्त रुख
कोर्ट ने इस देरी को गंभीर मानते हुए आरोपी की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी। कोर्ट ने साफ कहा कि जब इतनी बड़ी रकम खाते में आती है, और व्यक्ति समय पर पुलिस को नहीं बताता, तो उसकी भूमिका की जांच जरूरी हो जाती है।
💸 5 करोड़ रुपये का बड़ा घोटाला
जांच के दौरान सामने आया कि आरोपी के खाते में एक ही दिन में अलग-अलग जगहों से कई ट्रांजेक्शन हुए। कुल रकम 5 करोड़ रुपये से अधिक थी। इस मामले में देश के अलग-अलग हिस्सों में 13 एफआईआर दर्ज की गई हैं।
दिल्ली में दर्ज एक एफआईआर के अनुसार, 20 लाख रुपये की साइबर धोखाधड़ी के तहत यह रकम आरोपी के खाते में जमा हुई थी और कुछ घंटों में उसे तीन अन्य खातों में ट्रांसफर भी कर दिया गया।
🧾 FIR किसने दर्ज कराई?
यह मामला स्टारकॉन इंफ्रा प्रोजेक्ट्स इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के प्रतिनिधि की शिकायत पर दर्ज किया गया था। उन्होंने बताया कि उन्हें एक अनजान व्यक्ति ने 20 लाख रुपये ट्रांसफर करने का लालच दिया, लेकिन पैसा गलत तरीके से बिहार के आरोपी के खाते में पहुंचा।
🛡️ आरोपी का दावा: मैं निर्दोष हूं
आरोपी के वकील ने बताया कि उनका मुवक्किल एक अर्धसैनिक बलों के लिए सब्सिडी वाली कैंटीन चलाता है, उसका कोई आपराधिक रिकॉर्ड नहीं है, और उसे साइबर फ्रॉड की तकनीकी जानकारी भी नहीं थी।
🚫 जमानत क्यों नहीं दी गई?
इन सभी दलीलों के बावजूद सुप्रीम कोर्ट ने माना कि इतनी बड़ी रकम आने के बाद भी चार महीने तक चुप रहना शक पैदा करता है। कोर्ट ने कहा कि इस मामले में आरोपी की भूमिका की गहन जांच जरूरी है।
In a major cyber fraud case, the Supreme Court of India has denied anticipatory bail to a man from Bihar whose bank account received ₹20 lakh through suspicious online transactions. The court highlighted the four-month delay in reporting the cybercrime to the police, which raised serious concerns. This judgment underlines the importance of promptly informing law enforcement agencies in case of unexpected or suspicious financial activities. The case, investigated by Delhi Cyber Police, has broader implications for how cyber frauds are handled in India.