AIN NEWS 1 | सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ (संशोधन) अधिनियम 2025 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर केंद्र सरकार को एक सप्ताह में जवाब दाखिल करने का समय दिया है। साथ ही कोर्ट ने यह भी साफ कर दिया कि अगली सुनवाई तक ‘यूज़र द्वारा वक्फ’ (Waqf by User) की गई संपत्तियों में कोई बदलाव नहीं किया जाएगा।
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार के इस आश्वासन को रिकॉर्ड पर लिया कि वक्फ संपत्तियों, चाहे वे ‘यूज़र द्वारा वक्फ’ हों या किसी गजट नोटिफिकेशन से घोषित की गई हों, उन्हें ना तो डीनोटिफाई किया जाएगा और ना ही उनका चरित्र बदला जाएगा। इसके साथ ही कोर्ट को यह भी बताया गया कि इस दौरान वक्फ परिषद या वक्फ बोर्ड में कोई नई नियुक्ति नहीं होगी।
मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली तीन-न्यायाधीशों की पीठ ने गुरुवार को दोपहर 2 बजे सुनवाई फिर से शुरू की। कोर्ट ने कहा कि सभी पक्षों की प्रतिक्रियाएं मई 5 से शुरू हो रहे सप्ताह में मिल जानी चाहिए और पांच याचिकाओं को मुख्य याचिकाएं बनाकर आगे की सुनवाई की जाएगी।
कोर्ट ने हिंदू पक्षों द्वारा 1995 और 2013 के वक्फ कानूनों को चुनौती देने वाली याचिकाओं को अलग कर दिया और 2025 के संशोधित अधिनियम से संबंधित सभी याचिकाओं को एक ही शीर्षक “In Re: Waqf Amendment Act 2025” के तहत सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया।
बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने तीन प्रमुख बिंदुओं पर चिंता जताई थी:
‘यूज़र द्वारा वक्फ’ की गई संपत्तियों की स्थिति जिनको पहले कोर्ट द्वारा वक्फ घोषित किया गया है।
वक्फ परिषद और बोर्डों में गैर-मुस्लिमों की संख्या का बहुमत होना।
यदि कोई संपत्ति सरकारी बताई जा रही हो, तो उसे वक्फ के तौर पर चलाने से रोक देना।
सीजेआई खन्ना ने टिप्पणी की कि सरकार संशोधन कानून के जरिए इतिहास को नहीं बदल सकती, खासकर जब वह लंबे समय पहले वक्फ घोषित संपत्तियों को डीनोटिफाई करने की कोशिश कर रही हो।
🧑⚖️ कौन-कौन याचिकाकर्ता हैं?
इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के समक्ष कई महत्वपूर्ण याचिकाएं दाखिल की गई हैं, जिनमें प्रमुख हैं:
एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी
आम आदमी पार्टी नेता अमानतुल्लाह खान
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB)
जमीयत उलमा-ए-हिंद
कांग्रेस सांसद इमरान प्रतापगढ़ी और मोहम्मद जावेद
आरजेडी नेता मनोज झा
सीपीआई, डीएमके, विजय (तमिलगा वेट्ट्री कषगम प्रमुख)
केरल की जमीयतुल उलेमा, अरशद मदनी और अन्य नागरिक संगठन
The Supreme Court of India has ordered a temporary halt on any changes to ‘waqf by user’ properties under the Waqf (Amendment) Act 2025, while granting the Centre a week to file its response. The apex court expressed concern over attempts to rewrite historical waqf declarations and has paused administrative actions such as appointments to the Waqf Council and Boards. With petitions from prominent leaders like Asaduddin Owaisi, Amanatullah Khan, and the All India Muslim Personal Law Board, the case has become a significant legal battle surrounding the validity of waqf law in India.