AIN NEWS 1 | सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार, 13 नवंबर को ‘बुलडोजर जस्टिस’ पर कड़ा रुख अपनाते हुए कहा कि किसी भी आरोपी के खिलाफ कार्रवाई में कानून का पालन अनिवार्य है। कोर्ट ने साफ किया कि कार्यपालिका (सरकार) न्यायपालिका की जगह नहीं ले सकती और कानूनी प्रक्रिया को पूर्वाग्रह से प्रभावित नहीं किया जाना चाहिए।
इस फैसले के बाद विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं ने अपनी प्रतिक्रियाएं दीं। विपक्षी नेताओं ने बीजेपी सरकार पर तीखे हमले किए और कहा कि यह फैसला उनकी मनमानी पर करारा तमाचा है।
कांग्रेस का तीखा हमला
कांग्रेस की राष्ट्रीय प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने कहा, “सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला बीजेपी सरकार को आईना दिखाने जैसा है, खासकर उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में। सरकार की मनमानी कार्रवाई, चाहे वह घरों को गिराना हो या समाज में दरार डालना, पूरी तरह से गैरकानूनी है। संविधान का पालन जरूरी है, बुलडोजर न्याय जैसी कोई चीज नहीं होनी चाहिए।”
अखिलेश यादव ने साधा निशाना
समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने कानपुर के सिसामऊ में एक जनसभा के दौरान कहा, “सुप्रीम कोर्ट ने सरकार के प्रतीक बन चुके बुलडोजर पर टिप्पणी की है। मैं इसके लिए अदालत का धन्यवाद करता हूं। अब कम से कम सरकार का बुलडोजर गैराज में खड़ा रहेगा और लोगों के घर नहीं टूटेंगे। यह सरकार की मनमानी के खिलाफ एक बड़ी जीत है। हमें उम्मीद है कि हमारे निर्दोष विधायक जल्द रिहा होकर वापस आएंगे।”
सपा सांसद अवधेश प्रसाद की मांग
सपा सांसद अवधेश प्रसाद ने फैसले का स्वागत करते हुए कहा, “बीजेपी की डबल इंजन सरकार जनता को परेशान कर रही है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद राज्य सरकार की जिम्मेदारी बनती है कि जिन लोगों के घर तोड़े गए हैं, उन्हें उचित मुआवजा दिया जाए। साथ ही, जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई होनी चाहिए।”
चंद्रशेखर आजाद ने भी जताई खुशी
आजाद समाज पार्टी के नेता चंद्रशेखर आजाद ने इस फैसले को बीजेपी सरकार के मुंह पर तमाचा करार दिया। उन्होंने कहा, “उत्तर प्रदेश सरकार बिना किसी दोष सिद्धि के लोगों के घर गिरा रही थी। सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला न्याय और कानून की जीत है। इसके लिए मैं सुप्रीम कोर्ट का आभार व्यक्त करता हूं।”
‘आप’ नेता सौरभ भारद्वाज का बयान
दिल्ली के मंत्री और आम आदमी पार्टी के नेता सौरभ भारद्वाज ने कहा, “यह देश संविधान से चलता है, न कि बुलडोजर की दादागिरी से। कानूनी कार्रवाई कानून के अनुसार होनी चाहिए। हाईकोर्ट को पहले ही ऐसे मामलों का संज्ञान लेना चाहिए था।”
निष्कर्ष
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले ने बुलडोजर कार्रवाई पर रोक लगाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाया है। अब सभी की नजरें राज्य सरकारों पर हैं कि वे इस फैसले के बाद किस तरह की कार्रवाई करेंगी। विपक्ष ने इस फैसले को सरकार की मनमानी पर अंकुश बताते हुए सत्तारूढ़ दल की नीतियों की आलोचना की है।