नेपाल इस समय अपने इतिहास के सबसे बड़े राजनीतिक परिवर्तन से गुजर रहा है। जन-आंदोलन और ‘जेन-जेड क्रांति’ के बाद देश की सत्ता में भारी उलटफेर देखने को मिला है। इसी क्रम में नेपाल के पूर्व मुख्य न्यायाधीश सुशीला कार्की को अंतरिम प्रधानमंत्री बनाए जाने का रास्ता साफ हो गया है। शुक्रवार (12 सितंबर, 2025) को राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल उन्हें शपथ दिलाने वाले हैं। जानकारी के मुताबिक, शपथग्रहण समारोह रात 8:45 बजे तक संपन्न हो सकता है।
बातचीत से बनी सहमति
शुक्रवार को राष्ट्रपति भवन में हुई लंबी बातचीत के बाद यह फैसला लिया गया। इस चर्चा में जेन-जेड आंदोलन के प्रतिनिधि, सेना प्रमुख और राष्ट्रपति पौडेल समेत कई बड़े हितधारक शामिल थे। दिनभर चली बातचीत के बाद यह सहमति बनी कि मौजूदा प्रतिनिधि सभा को भंग कर दिया जाएगा और अंतरिम सरकार का गठन होगा। इसके लिए सुशीला कार्की के नाम पर सभी पक्षों ने हामी भरी।
राष्ट्रपति का ऐलान
राष्ट्रपति पौडेल ने राजनीतिक दलों के शीर्ष नेताओं को स्पष्ट कर दिया कि वे प्रतिनिधि सभा को तुरंत भंग कर रहे हैं। इसके साथ ही उन्होंने घोषणा की कि जल्द ही सुशीला कार्की को प्रधानमंत्री पद की शपथ दिलाई जाएगी।
अंतरिम सरकार की जिम्मेदारी
शपथ लेने के बाद सुशीला कार्की नेपाल की अंतरिम प्रधानमंत्री के रूप में कार्यभार संभालेंगी। उनकी प्राथमिक जिम्मेदारी होगी कि वे आंदोलनकारी युवाओं की मांगों को पूरा करें और देश में नए चुनाव कराएं। जेन-जेड समूह ने ही उनके नाम का प्रस्ताव प्रधानमंत्री पद के लिए रखा था, जिसे राष्ट्रपति पौडेल ने स्वीकार किया। इस नियुक्ति के साथ ही सुशीला कार्की नेपाल की पहली महिला प्रधानमंत्री बनने जा रही हैं, जो ऐतिहासिक क्षण होगा।
पृष्ठभूमि: ओली सरकार का पतन
यह पूरा घटनाक्रम तब शुरू हुआ जब केपी शर्मा ओली के नेतृत्व वाली सरकार पर भ्रष्टाचार और सोशल मीडिया प्रतिबंध को लेकर भारी विरोध हुआ। 8 और 9 सितंबर को जेन-जेड के नेतृत्व में देशभर में हिंसक विरोध-प्रदर्शन हुए।
इस दौरान पुलिस कार्रवाई में कई प्रदर्शनकारियों की मौत हो गई। गुस्साए युवाओं ने प्रधानमंत्री कार्यालय का घेराव किया और ओली के इस्तीफे की मांग तेज हो गई। आखिरकार भारी दबाव में ओली ने अगले ही दिन अपने पद से इस्तीफा दे दिया।
सोशल मीडिया बैन का असर
8 सितंबर की रात को सोशल मीडिया पर लगाया गया प्रतिबंध हटा लिया गया। लेकिन तब तक आंदोलन इतना उग्र हो चुका था कि सरकार को पीछे हटना पड़ा। यह आंदोलन खासकर युवाओं की शक्ति और सोशल मीडिया की भूमिका को दर्शाता है, जिसने नेपाल की राजनीति को पूरी तरह बदलकर रख दिया।
सुशीला कार्की: एक परिचय
सुशीला कार्की नेपाल की पहली महिला मुख्य न्यायाधीश रह चुकी हैं। अपनी ईमानदारी और सख्त छवि के लिए जानी जाने वाली कार्की भ्रष्टाचार विरोधी फैसलों के लिए लोकप्रिय रही हैं। अब प्रधानमंत्री बनने के बाद उनसे उम्मीद की जा रही है कि वे पारदर्शिता और लोकतांत्रिक मूल्यों को आगे बढ़ाएंगी।
जनता की उम्मीदें
नेपाल की जनता, खासकर युवा वर्ग, इस बदलाव को ऐतिहासिक मान रही है। उनका मानना है कि कार्की के नेतृत्व में देश को एक नई दिशा मिल सकती है। अंतरिम सरकार से लोगों को उम्मीद है कि यह न केवल नए चुनाव कराएगी, बल्कि लोकतांत्रिक मूल्यों को और मजबूत करेगी।
नेपाल में जेन-जेड आंदोलन ने साबित कर दिया है कि युवा शक्ति लोकतंत्र की सबसे बड़ी ताकत है। सुशीला कार्की का अंतरिम प्रधानमंत्री बनना केवल राजनीतिक बदलाव नहीं, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक बदलाव का प्रतीक भी है। अब सबकी निगाहें इस बात पर टिकी होंगी कि वह कैसे इस संक्रमणकाल को संभालती हैं और नए चुनावों तक देश का नेतृत्व करती हैं।