AIN NEWS 1 वाराणसी – महाकुंभ में मुस्लिमों की एंट्री को लेकर शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती का बयान सामने आया है। उन्होंने कहा कि जैसे मक्का में हिन्दुओं को 40 किलोमीटर पहले ही रोक दिया जाता है, वैसे ही महाकुंभ जैसे पवित्र धार्मिक आयोजन में मुस्लिमों का आना उचित नहीं है।
स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने स्पष्ट किया कि उनकी यह मांग धार्मिक आयोजनों में प्रत्येक धर्म के नियमों का सम्मान बनाए रखने के उद्देश्य से है। उन्होंने सवाल उठाया कि यदि सऊदी अरब में मक्का जैसे मुस्लिम पवित्र स्थलों पर गैर-मुस्लिमों को प्रवेश नहीं मिलता है, तो महाकुंभ में गैर-हिंदुओं के आने का औचित्य क्या है?
मक्का-मदीना का उदाहरण देते हुए अपने बयान को रखा मजबूती से
स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने अपने बयान को मक्का-मदीना के उदाहरण से समझाया। उन्होंने बताया कि सऊदी अरब में मक्का के आसपास 40 किलोमीटर पहले से ही गैर-मुस्लिमों के लिए प्रतिबंध लगा दिया गया है। इसी तरह, महाकुंभ जैसे धार्मिक आयोजन, जो हिन्दू परंपराओं और मान्यताओं का प्रतिनिधित्व करते हैं, में भी गैर-हिंदुओं के प्रवेश पर ध्यान दिया जाना चाहिए।
पहले भी दे चुके हैं विवादित बयान
स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद का यह बयान कोई पहली बार नहीं है। वे पहले भी ऐसे बयानों के कारण चर्चा में रह चुके हैं। उनका मानना है कि धार्मिक आयोजनों में प्रत्येक धर्म को अपनी-अपनी परंपराओं का पालन करना चाहिए और दूसरे धर्मों के अनुयायियों को इन आयोजनों से दूर रहना चाहिए। उनके अनुसार, यह धार्मिक सौहार्द को बनाए रखने के लिए आवश्यक है।
महाकुंभ का महत्व और धार्मिक संगठनों की प्रतिक्रिया
महाकुंभ भारतीय संस्कृति और हिन्दू धर्म का सबसे बड़ा धार्मिक मेला है, जहां लाखों श्रद्धालु स्नान करने के लिए आते हैं। विभिन्न धार्मिक संगठनों ने भी इस मामले पर स्वामी जी का समर्थन किया है। उनका कहना है कि महाकुंभ एक हिन्दू धर्म से संबंधित आयोजन है, और इसमें हिन्दू परंपराओं का पालन किया जाना चाहिए।
हालांकि, स्वामी जी के बयान पर समाज के विभिन्न वर्गों में मिलीजुली प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है। कई लोगों का कहना है कि धार्मिक स्थानों और आयोजनों में सभी धर्मों का सम्मान और सह-अस्तित्व होना चाहिए, जबकि कुछ लोगों ने स्वामी जी के विचारों का समर्थन किया है।
निष्कर्ष
स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद का यह बयान धार्मिक आयोजनों में अपने-अपने धर्मों का पालन और सम्मान करने की बात पर जोर देता है। उन्होंने महाकुंभ में मुस्लिमों की एंट्री पर सवाल उठाते हुए अपने बयान के जरिए धार्मिक परंपराओं का पालन बनाए रखने की आवश्यकता को रेखांकित किया है।