Monday, December 23, 2024

स्वामी चिदानन्द सरस्वती की बांगलादेश सरकार से अपील: इस्कॉन पुजारी को रिहा करें और अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करें?

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AIN NEWS 1: ऋषिकेश के परमार्थ निकेतन आश्रम के अध्यक्ष, स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने बांगलादेश में हाल ही में हुए घटनाक्रम पर गहरी चिंता व्यक्त की है। उन्होंने बांगलादेश सरकार से अपील की है कि वे गिरफ्तार इस्कॉन के पुजारी को तुरंत रिहा करें और बांगलादेश में अल्पसंख्यक समुदायों की सुरक्षा सुनिश्चित करें। स्वामी जी ने इस घटनाक्रम को अत्यंत दुखद और दुर्भाग्यपूर्ण बताया, क्योंकि भारत ने 1971 के बांगलादेश मुक्ति संग्राम के दौरान बांगलादेशियों को सुरक्षा दी थी, और इस्कॉन ने भी हजारों बांगलादेशी नागरिकों की मदद की थी। लेकिन आज वही लोग गिरफ्तारी का सामना कर रहे हैं।

स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कहा कि यह बहुत ही अफसोसजनक है कि जिन भारतीयों ने बांगलादेशियों को अपने जीवन में सुरक्षा दी, वे आज संकट में हैं। उन्होंने बांगलादेश सरकार से आग्रह किया कि वे इस्कॉन पुजारी की रिहाई सुनिश्चित करें और देश में अल्पसंख्यकों के लिए सुरक्षा के प्रभावी उपाय करें।

स्वामी जी ने यह भी कहा कि इस्कॉन जैसी धार्मिक संस्थाएं समाज के लिए आशीर्वाद के समान हैं। इस्कॉन ने हमेशा समाज के हर वर्ग की मदद की है और कभी भी गलत कार्य नहीं किया। उन्होंने कहा, “हिन्दू धर्म का उद्देश्य सभी के कल्याण की कामना करना है और इस्कॉन इसी दिशा में काम कर रहा है।”

स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने बांगलादेश सरकार से यह अनुरोध किया कि वे अपने कार्रवाई में न्यायपूर्ण प्रक्रिया को अपनाएं और अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा के लिए ठोस कदम उठाएं। उनका कहना था कि धार्मिक संस्थाओं को राजनीतिक विवादों से अलग रखना चाहिए, ताकि वे बिना किसी भेदभाव के समाज सेवा के अपने कार्यों को जारी रख सकें।

स्वामी जी का यह बयान बांगलादेश में हिन्दू अल्पसंख्यकों की स्थिति और उनकी सुरक्षा के प्रति गहरी चिंता को उजागर करता है। उनका यह संदेश उन सभी धर्मिक संस्थाओं के लिए भी है जो समाज में शांति और समृद्धि लाने के लिए काम कर रही हैं। स्वामी जी ने कहा कि समाज को एकजुट होकर एक दूसरे के साथ सहयोग करना चाहिए और किसी भी प्रकार की असहमति को समाधान की दिशा में हल करना चाहिए।

स्वामी चिदानन्द सरस्वती के इस बयान से यह स्पष्ट होता है कि धार्मिक संस्थाओं को समाज के भले के लिए स्वतंत्र रूप से काम करने का अधिकार मिलना चाहिए, और उन्हें किसी भी राजनीतिक दबाव से बचाया जाना चाहिए।

 

 

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सत्यमेव जयते नानृतं सत्येन पन्था विततो देवयानः।
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