AIN NEWS 1: सुप्रीम कोर्ट द्वारा बिभव कुमार को जमानत दिए जाने के बाद, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की पत्नी सुनीता केजरीवाल ने सोशल मीडिया पर एक तस्वीर पोस्ट की। इस पोस्ट के बाद स्वाति मालीवाल ने तीखी प्रतिक्रिया दी और सुनीता केजरीवाल के ट्वीट पर तंज कसा।
स्वाति मालीवाल की प्रतिक्रिया:
सुप्रीम कोर्ट ने बिभव कुमार को जमानत देने का आदेश दिया था, जिन्हें स्वाति मालीवाल के साथ कथित मारपीट के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। बिभव कुमार को लगभग 100 दिनों तक जेल में रहने के बाद जमानत मिली। जेल से बाहर आने के बाद, सुनीता केजरीवाल ने बिभव की एक तस्वीर सोशल मीडिया साइट एक्स (पूर्व ट्विटर) पर शेयर की और लिखा, “सुकून भरा दिन।”
स्वाति मालीवाल ने इस पोस्ट को लेकर अपनी नाराजगी जाहिर की। उन्होंने सुनीता के ट्वीट का स्क्रीनशॉट शेयर करते हुए लिखा, “मुख्यमंत्री जी की पत्नी, जो मेरी पिटाई के दौरान घर पर ही थीं, उन्हें बड़ा ‘सुकून’ महसूस हो रहा है। सुकून इसलिए क्योंकि वो आदमी जिसने मुझे उनके घर में पीटा और अभद्रता की, वो जमानत पर बाहर है।”
https://x.com/SwatiJaiHind/status/1831206589451141142
स्वाति मालीवाल ने आगे कहा, “सबको यह साफ संदेश है कि महिलाओं को मारो-पीटो, और फिर गंदी ट्रोलिंग करवा दो, पीड़िता को पूरी तरह से बर्बाद कर दो, और अदालत में उस आदमी को बचाने के लिए देश के सबसे महंगे वकीलों की फौज खड़ी कर दो।” उन्होंने सवाल उठाया कि जिन लोगों को ऐसे मामलों पर सुकून मिलता है, उनसे बहन-बेटियों की इज़्ज़त की उम्मीद कैसी रखी जा सकती है। स्वाति मालीवाल ने अंत में लिखा, “प्रभु सब देख रहे हैं, इंसाफ़ होकर रहेगा।”
मामले का पूरा विवरण:
10 मई को सुप्रीम कोर्ट ने अरविंद केजरीवाल को लोकसभा चुनाव प्रचार के लिए अंतरिम जमानत दी थी। इसके बाद 13 मई को AAP की राज्यसभा सांसद स्वाति मालीवाल उनसे मिलने के लिए उनके आवास पहुंची थीं। हालांकि, स्वाति के पास अपॉइंटमेंट नहीं था, जिससे उन्हें गेट पर ही रोक लिया गया। इस पर स्वाति ने सुरक्षाकर्मियों से बहस की और अंदर चली गईं।
अंदर पहुंचने पर उन्हें इंतजार करने के लिए कहा गया, लेकिन जब वह अरविंद केजरीवाल के कमरे की ओर बढ़ने लगीं, तो बिभव ने उन्हें रोक दिया। स्वाति मालीवाल का आरोप है कि इस दौरान बिभव ने उनके साथ मारपीट और अभद्रता की।
इस पूरे घटनाक्रम के बाद, स्वाति मालीवाल की नाराजगी और प्रतिक्रियाएँ इस बात को उजागर करती हैं कि इस मुद्दे पर राजनीतिक और सामाजिक प्रतिक्रियाएँ कितनी तीव्र हो सकती हैं।