AIN NEWS 1 | भारत में ऑनलाइन फूड डिलीवरी पिछले कुछ सालों में बेहद तेज़ी से बढ़ी है। चाहे अचानक भूख लगी हो, दोस्तों के साथ गेट-टुगेदर करना हो या देर रात कुछ खाने का मन हो – लोग तुरंत Swiggy, Zomato जैसे प्लेटफॉर्म्स का सहारा लेते हैं। लेकिन अब यह सुविधा जेब पर पहले से ज्यादा भारी पड़ सकती है।
हाल ही में हुई जीएसटी काउंसिल की बैठक में एक बड़ा फैसला लिया गया है, जिसके तहत Swiggy, Zomato, Blinkit, Zepto जैसे ऑनलाइन फूड डिलीवरी और क्विक कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स पर 18% GST लगाया गया है। यह नया नियम 22 सितंबर से लागू होने जा रहा है।
जीएसटी का असर फूड डिलीवरी पर कैसे पड़ेगा?
अब तक ग्राहक रेस्टोरेंट के बिल पर जीएसटी अदा करते थे, लेकिन अब डिलीवरी प्लेटफॉर्म्स को अपनी सर्विस पर भी 18% GST चुकाना होगा। इसका सीधा असर डिलीवरी चार्ज और प्लेटफॉर्म फीस पर पड़ सकता है।
रिपोर्ट्स के मुताबिक:
Zomato को प्रति ऑर्डर लगभग ₹2 का अतिरिक्त बोझ झेलना पड़ेगा।
Swiggy पर प्रति ऑर्डर करीब ₹2.6 का अतिरिक्त असर पड़ेगा।
पहले से ही Zomato की औसत डिलीवरी फीस ₹11–12 और Swiggy की ₹14.5 है। अब इन कंपनियों के लिए बढ़ा हुआ खर्च मैनेज करना एक नई चुनौती बन गया है।
पहले ही बढ़ाई गई थी प्लेटफॉर्म फीस
फेस्टिव सीजन और बढ़ते खर्च को देखते हुए हाल ही में Zomato और Swiggy ने अपनी प्लेटफॉर्म फीस पहले ही बढ़ाई थी। लेकिन अब जीएसटी लागू होने के बाद ये कंपनियां या तो अपना मुनाफा कम करेंगी या फिर यह बोझ ग्राहकों पर डालेंगी।
क्या ग्राहक पर पड़ेगा सीधा असर?
फूड डिलीवरी प्लेटफॉर्म्स के अधिकारियों का कहना है कि बढ़े हुए टैक्स का असर आखिरकार ग्राहकों तक पहुंचना ही है। यानी आने वाले दिनों में Swiggy और Zomato से खाना ऑर्डर करना महंगा हो सकता है।
एक अधिकारी ने मीडिया को बताया –
“कंपनी के पास इस खर्च को ग्राहकों तक पहुंचाने के अलावा कोई और विकल्प नहीं है। अगर हम यह बोझ खुद उठाते हैं तो मुनाफे पर गंभीर असर पड़ेगा।”
क्या लोग बदल देंगे फूड ऑर्डरिंग का तरीका?
22 सितंबर से नई दरें लागू होते ही ग्राहक अपने खाने के ऑर्डरिंग पैटर्न में बदलाव ला सकते हैं। जैसे –
लोग Swiggy और Zomato की जगह Domino’s या अन्य रेस्टोरेंट ऐप्स से सीधा ऑर्डर कर सकते हैं।
Domino’s पर अभी पैकेजिंग चार्जेस और केवल 5% GST लगता है।
वहीं, Swiggy और Zomato पर अब प्लेटफॉर्म फीस + रेस्टोरेंट GST + पैकेजिंग चार्ज + 18% GST जोड़कर बिल पहले से कहीं ज्यादा भारी हो जाएगा।
ग्राहकों की जेब पर असर
अगर आपके हर ऑर्डर पर औसतन ₹15–20 ज्यादा खर्च जुड़ जाता है तो लंबे समय में यह आपके मासिक बजट पर बड़ा असर डाल सकता है।
जो लोग महीने में 10–15 बार ऑर्डर करते हैं, उनके खर्च में ₹150–300 की अतिरिक्त बढ़ोतरी हो सकती है।
कॉलेज छात्रों और छोटे परिवारों के लिए यह बढ़ा हुआ खर्च परेशानी बन सकता है।
सरकार का नजरिया
सरकार का कहना है कि यह फैसला टैक्स स्ट्रक्चर को ज्यादा ट्रांसपेरेंट और यूनिफॉर्म बनाने के लिए लिया गया है। चूंकि ये प्लेटफॉर्म अब केवल डिलीवरी सर्विस ही नहीं बल्कि पूरे ऑनलाइन फूड बिजनेस का हिस्सा बन गए हैं, इसलिए इन्हें भी जीएसटी के दायरे में लाना जरूरी था।
आगे क्या होगा?
आने वाले हफ्तों में यह साफ हो जाएगा कि Swiggy और Zomato इस नए खर्च का बोझ कैसे मैनेज करेंगे।
अगर कंपनियां पूरा टैक्स ग्राहकों पर डालती हैं तो डिलीवरी चार्ज काफी बढ़ सकता है।
लेकिन अगर कंपनियां आंशिक रूप से खर्च खुद उठाती हैं तो मुनाफा कम होगा।
फिलहाल इतना तय है कि 22 सितंबर से ऑनलाइन फूड डिलीवरी जेब पर भारी पड़ सकती है। Swiggy और Zomato जैसे प्लेटफॉर्म्स को अब ज्यादा समझदारी से अपने प्राइसिंग मॉडल तैयार करने होंगे ताकि ग्राहकों का भरोसा बना रहे और बिजनेस पर भी असर न पड़े।