Sunday, December 22, 2024

कलियुग में स्त्री-पुरुषों का आचरण: श्रीकृष्ण की भविष्यवाणियां जो आज हो रही हैं सच?

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AIN NEWS 1: महाभारत के समय श्रीकृष्ण ने पांडवों को बताया था कि कलियुग में समाज, मनुष्य और उनके व्यवहार में बड़े परिवर्तन होंगे। उन्होंने स्त्री-पुरुषों के आचरण और प्रवृत्तियों के बारे में कई भविष्यवाणियां की थीं, जो आज के दौर में सत्य होती प्रतीत होती हैं। आइए जानते हैं इन भविष्यवाणियों के बारे में।

1. धन और संपत्ति के लिए बढ़ेगी क्रूरता

श्रीकृष्ण ने कहा था कि कलियुग में पुरुष धन और भूमि के लिए रिश्तों तक को ताक पर रख देंगे। पिता पुत्र की हत्या करेगा और पुत्र पिता की। छोटी-छोटी बातों पर बदले की भावना इतनी तीव्र होगी कि लोग एक-दूसरे का विनाश करने में संकोच नहीं करेंगे।

2. स्त्रियों को हीन दृष्टि से देखेंगे पुरुष

कलियुग में पुरुष स्त्रियों को सम्मान नहीं देंगे। वे उन्हें तुच्छ और कमजोर मानकर उनका उपहास करेंगे। स्त्रियों के त्याग और साहस को नजरअंदाज करते हुए, पुरुष अपने गर्व को बढ़ाने के लिए उन्हें नीचा दिखाने का प्रयास करेंगे।

3. सौंदर्य के आधार पर स्त्रियों का मूल्यांकन

श्रीकृष्ण ने बताया था कि कलियुग में पुरुष स्त्रियों के गुणों को महत्व नहीं देंगे। उनका मूल्यांकन केवल उनकी शारीरिक सुंदरता के आधार पर करेंगे। स्त्रियों को उपभोग की वस्तु समझा जाएगा, और चरित्रवान स्त्रियां भी इस मानसिकता का शिकार होंगी।

4. धनवान पुरुषों को प्राथमिकता देंगी स्त्रियां

स्त्रियां धन के प्रति आकर्षित होंगी। वे धनहीन पतियों को त्यागकर संपन्न पुरुषों को प्राथमिकता देंगी। उनके गुण-अवगुण की परवाह किए बिना, केवल धनवान होना उनके लिए मायने रखेगा।

5. दूसरी स्त्रियों की पीड़ा में सुख की अनुभूति

श्रीकृष्ण ने कहा था कि कलियुग में स्त्रियां एक-दूसरे की तकलीफों को समझने की बजाय उनका उपहास करेंगी। वे खुद को श्रेष्ठ दिखाने के लिए दूसरी स्त्रियों का शोषण करेंगी और समाज में अपनी छवि बेहतर बनाने की कोशिश करेंगी।

6. पुरुषों के अनैतिक कार्यों में सहयोग करेंगी स्त्रियां

स्त्रियां अपने स्वार्थ के लिए पुरुषों के गलत और अनैतिक कार्यों का समर्थन करेंगी। वे सही और गलत की पहचान कराने के बजाय, गलत कार्यों को बढ़ावा देंगी और मर्यादा का उल्लंघन करने से पीछे नहीं हटेंगी।

निष्कर्ष

श्रीकृष्ण की भविष्यवाणियां कलियुग के समाज और मानवीय आचरण पर गहराई से प्रकाश डालती हैं। ये केवल चेतावनी नहीं, बल्कि आत्मविश्लेषण का माध्यम भी हैं। समाज के नैतिक और मानवीय मूल्यों को बनाए रखने के लिए हमें इन बातों से सीख लेकर अपने आचरण को सुधारने का प्रयास करना चाहिए।

श्रीमद्भगवद्गीता की यह सीख हमेशा याद रखें – ‘परिवर्तन ही सृष्टि का नियम है।’ कलियुग में भी मनुष्य यदि विवेक, मर्यादा और नैतिकता को बनाए रखे, तो वह समाज को एक सकारात्मक दिशा में ले जा सकता है।

 

 

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सत्यमेव जयते नानृतं सत्येन पन्था विततो देवयानः।
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