AIN NEWS 1 | बीते कुछ बरसों के दौरान बैंकों समेत भारत के फाइनेंशियल सेक्टर ने जबरदस्त प्रदर्शन किया है. शेयर बाजार में लिस्टेड इस सेक्टर की कंपनियों के मुनाफे में भी खासा उछाल दर्ज किया गया है. लेकिन हालात में आए इस बदलाव का सारा दारोमदार बैंकों की शानदार ग्रोथ पर रहा है. कैपिटल मार्केट और इन्वेस्टमेंट ग्रुप CLSA की रिपोर्ट के मुताबिक भारतीय बैंकों की बेहतरीन तरक्की ने बीते दस बरसों को शानदार दशक बना दिया है. इस दौरान बैंकिंग सेक्टर का मुनाफा चार गुना बढ़ गया है और बैंकों के सबसे बड़े सिरदर्द यानी बैड लोन में बड़ी गिरावट आई है. बैंकों की इस परफॉरमेंस ने फाइनेंशियल सेक्टर को देश की आर्थिक ग्रोथ का इंजन बना दिया है.
बैंकों की 10 साल में सबसे मजबूत बैलेंस शीट
बैंकों के शानदार प्रदर्शन की तारीफ करते हुए CLSA की रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि भारतीय बैंकों की बैलेंस शीट पिछले करीब 10 साल में सबसे मजबूत है और उनके मुनाफे में भी तेज उछाल आया है. नेट नॉन-परफॉर्मिंग लोन यानी नेट NPL में भारी गिरावट आई है. बेहतर एसेट क्वॉलिटी, मजबूत प्रोविजिनिंग बफर और बेहतर पूंजी स्थिति के चलते NPL एक दशक के निचले स्तर पर आ गया है. रिपोर्ट में निजी और सरकारी बैंकों के प्रदर्शन के अंतर का भी विस्तार से जिक्र किया गया है. इसमें बताया गया है कि बीते दशक में प्राइवेट बैंकों ने करंट एकाउंट जमा में पीएसयू बैंकों को पीछे छोड़ दिया है और गैर-जमा उधारी में भी कमी आई है. बीते दो साल में इस क्षेत्र में लोन ग्रोथ एक दशक के औसत 10 फीसदी से बढ़कर 15 परसेंट हो गई है और पिछले 5 से 7 साल में कॉर्पोरेट लोन की क्वॉलिटी में भी सुधार हुआ है.
डिपॉजिट ग्रोथ से ज्यादा क्रेडिट ग्रोथ
बैंकिंग सेक्टर में ये तेजी आगे भी जारी रह सकती है जिससे देश की आर्थिक ग्रोथ को काफी फायदा मिलेगा. रिपोर्ट में बैंकों की मुश्किलों का भी जिक्र करके इसके समाधान का रास्ता सुझाया गया है. इसमें कहा गया है कि क्रेडिट ग्रोथ फिलहाल डिपॉजिट ग्रोथ से ज्यादा हो गई है. ये बीते दो साल में औसतन 10 फीसदी से बढ़कर 15 परसेंट तक पहुंच गई है. इसका मतलब है कि लोग बैंक में पैसे कम जमा कर रहे हैं, कर्ज ज्यादा ले रहे हैं. हाल ही में S&P Global Ratings ने भी कहा था कि बैकों को मजबूरन अपनी लोन ग्रोथ कम करनी पड़ सकती है, क्योंकि बैंक डिपॉजिट उस रफ्तार से नहीं बढ़ रहे हैं. इसकी बड़ी वजह है कि लोगों के पास अच्छे रिटर्न के साथ निवेश के कई विकल्प हो गए हैं. ऐसे में बैंकों को अपने जमा को आकर्षक बनाने के लिए कई कदम उठाने की जरुरत होगी.
म्यूचुअल फंड्स भी बने जमा में ब्रेकर
हाल ही में म्यूचुअल फंड्स के फोलियोस में जबरदस्त उछाल देखा गया है. इसकी बड़ी वजह म्यूचुअल फंड्स निवेश से मिलने वाला शानदार रिटर्न है. ऐसे में लोग बैंक FD के मुकाबले म्यूचुअल फंड्स को ज्यादा तरजीह दे रहे हैं. दरअसल, बैंक FD पर मिलने वाला रिटर्न फिक्स है जबकि म्यूचुअल फंड्स में आमतौर पर भी निवेशकों को डबल डिजिट रिटर्न मिल जाता है. वहीं बेहतर प्रदर्शन करने वाले म्यूचुअल फंड्स तो बैंक FD के मुकाबले दोगुने से भी ज्यादा रिटर्न दे रहे हैं. इसी के साथ डिजिटलाइजेशन ने भी म्यूचुअल फंड्स में निवेश करना आसान बना दिया है. इस सबके असर से बैंक FD का आकर्षण घट रहा है और बैंकों को जमा रकम की ग्रोथ बढ़ाने के लिए कड़ी मशक्कत करनी पड़ रही है.