AIN NEWS 1 | मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल का दूसरा पूर्ण बजट, जो वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा पेश किया जाएगा, छोटे निवेशकों और आम जनता के लिए अहम साबित हो सकता है। यह निर्मला सीतारमण का बतौर वित्त मंत्री आठवां बजट होगा।
लेकिन क्या आप जानते हैं कि भारत की पहली महिला वित्त मंत्री कौन थीं, जिन्होंने संसद में बजट पेश किया था? यह गौरवपूर्ण इतिहास इंदिरा गांधी के नाम है।
1969: देश की पहली महिला वित्त मंत्री बनीं इंदिरा गांधी
यह बात 1969 की है, जब इंदिरा गांधी देश की प्रधानमंत्री थीं। उस समय वित्त मंत्रालय तत्कालीन उपप्रधानमंत्री मोरारजी देसाई के पास था। लेकिन कांग्रेस से मतभेद के चलते मोरारजी देसाई को पार्टी से बाहर कर दिया गया। उनके हटने के बाद, वित्त मंत्री का पद खाली हो गया।
देश का बजट पेश होने में सिर्फ तीन महीने बाकी थे, ऐसे में किसी नए नेता को वित्त मंत्रालय का जिम्मा सौंपना कांग्रेस पार्टी के लिए जोखिम भरा लग रहा था। इस स्थिति में इंदिरा गांधी ने खुद वित्त मंत्रालय का प्रभार संभाल लिया।
28 फरवरी 1970: इंदिरा गांधी ने पेश किया बजट
28 फरवरी 1970 को शाम 5 बजे, इंदिरा गांधी देश की संसद में बजट पेश करने पहुंचीं। यह पहला मौका था जब किसी महिला ने भारत का बजट पेश किया। उन्होंने यह बजट प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री दोनों की भूमिका में रहकर पेश किया।
सदन में उनके बजट भाषण की शुरुआत तालियों से हुई। लेकिन बजट पढ़ते समय उन्होंने अचानक रुककर कहा, “मुझे माफ करिएगा।” इस पर सदन में सन्नाटा छा गया। सांसदों को लगा कि शायद कोई बड़ी घोषणा होने वाली है।
कुछ ही सेकंड बाद इंदिरा गांधी मुस्कुराईं और कहा, “मुझे माफ करिएगा, मैं सिगरेट पीने वालों की जेब पर बोझ डालने वाली हूं।”
सिगरेट पर टैक्स बढ़ाने का ऐतिहासिक फैसला
इंदिरा गांधी ने आम बजट में राजस्व बढ़ाने के लिए सिगरेट पर टैक्स में बड़ा इजाफा किया। पहले जहां सिगरेट पर टैक्स 3% था, उसे बढ़ाकर 22% कर दिया गया। यह कदम वित्तीय नीति के क्षेत्र में उनका एक ऐतिहासिक फैसला बन गया।
इंदिरा गांधी का योगदान और निर्मला सीतारमण का स्थान
इंदिरा गांधी भारत की पहली महिला थीं, जिन्होंने बजट पेश किया। हालांकि, वह पूर्णकालिक वित्त मंत्री नहीं थीं। उनके बाद, निर्मला सीतारमण पहली पूर्णकालिक महिला वित्त मंत्री बनीं, जिन्होंने 2019 में यह जिम्मेदारी संभाली।
इंदिरा गांधी का यह ऐतिहासिक बजट भारतीय राजनीति और वित्तीय नीति का एक महत्वपूर्ण अध्याय है। उनका ‘माफ करिएगा’ वाला वाक्य आज भी संसद के इतिहास में एक अनूठा किस्सा बना हुआ है।