दुनिया चाहती है सुपर रिच पर टैक्स लगाना! G-20 की अगले महीने होने वाली बैठक में सुपर रिच पर टैक्स को लेकर हो सकता है बड़ा फैसला!

0
251

AIN NEWS 1: G-20 के वित्त मंत्री अगले महीने दुनिया के बेहद अमीर यानी सुपर-रिच लोगों पर वेल्थ टैक्स लगाने को लेकर चर्चा करेंगे. इस बीच एक सर्वे में अमीरों पर टैक्स लगानेAIN  लेकर एक दिलचस्प जानकारी सामने आई है. दरअसल, दुनियाभर में ज्यादातार लोग भुखमरी, असमानता और जलवायु संकट से निपटने के लिए अमीरों पर अतिरिक्त टैक्स लगाए जाने के पक्ष में हैं. सर्वे के मुताबिक G-20 देशों के 68 फीसदी लोग अमीरों पर वेल्थ टैक्स लगाने के पक्ष में हैं जबकि भारत में तो 74 फीसदी लोग चाहते हैं कि अमीरों पर वेल्थ टैक्स लगाया जाए. सर्वे में शामिल लोगों का मानना है कि वैश्विक स्तर पर इस तरह का टैक्स लगाया जाना चाहिए. हालांकि इस तरह का फैसला करने से पहले इकॉनमी पर इसके असर को लेकर जांच पड़ताल करना बेहद जरुरी होगा.

जुलाई में G-20 बैठक में होगी चर्चा!

‘अर्थ4ऑल इनिशिएटिव एंड ग्लोबल कॉमन्स अलायंस’ के इस सर्वे में दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के 22 हजार लोगों की राय ली गई. ‘सुपर-रिच’ पर टैक्स लगाने का प्रस्ताव 2013 से लगातार चर्चा में है और बीते कुछ बरसों में इस मुद्दे को लगातार अंतरराष्ट्रीय समर्थन मिल रहा है. जी-20 के मौजूदा अध्यक्ष ब्राज़ील का टारगेट अमीरों पर टैक्सेशन को लेकर आम सहमति बनाना है. जुलाई में जी-20 के वित्त मंत्रियों की बैठक में इस बारे में एक संयुक्त एलान पर जोर दिए जाने का अनुमान है. फ्रांसीसी अर्थशास्त्री गैब्रियल ज़ुकमैन की रिपोर्ट में ये बताया जाएगा कि कैसे वैश्विक स्तर पर सुपर रिच पर न्यूनतम टैक्स फायदेमंद हो सकता है. इसमें ये भी बताया जाएगा कि इसे कितना बढ़ाया जा सकता है. ब्राजील के जी-20 में इस टैक्स के प्रस्ताव के पीछे जुकमैन का ही दिमाग है.

कुल वेल्थ पर 2% टैक्स लगाने का प्रस्ताव!

जुकमैन का कहना है कि आम लोगों के मुकाबले सुपर रिच काफी कम टैक्स देते हैं. इस प्रस्ताव का मकसद एक नया अंतरराष्ट्रीय मानदंड स्थापित करना है जिससे हरेक देश के अरबपति व्यक्ति को इस प्रस्ताव के तहत अपनी वेल्थ का दो फीसदी सालाना टैक्स के तौर पर देना होगा. अगर भारतीयों की इस सर्वे में जारी की गई राय के बारे में बात करें तो जहां 74 फीसदी भारतीय इस टैक्स के पक्ष में हैं वहीं 68 परसेंट भारतीयों का मानना है कि दुनिया को अगले दशक में अर्थव्यवस्था के सभी क्षेत्रों मसलन बिजली उत्पादन, ट्रांसपोर्टेशन, बिल्डिंग्स, उद्योग और भोजन में बड़ी पहल करने की जरूरत है. सर्वे में शामिल 81 परसेंट भारतीयों ने ‘कल्याणकारी अर्थव्यवस्थाओं’ में बदलाव का समर्थन किया है. ऐसी अर्थव्यवस्थाओं में आर्थिक ग्रोथ की जगह स्वास्थ्य और पर्यावरण पर ज्यादा फोकस किया जाता है.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here