Friday, November 22, 2024

तिरुपति में ‘कोइल आल्वर तिरुमंजनम’ का पारंपरिक पूजा समारोह?

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AIN NEWS 1 तिरुपति, आंध्र प्रदेश: तिरुमाला के प्रसिद्ध मंदिर में हाल ही में ‘कोइल आल्वर तिरुमंजनम’ का पारंपरिक धार्मिक समारोह बड़े धूमधाम से आयोजित किया गया। इस अनुष्ठान को मंदिर की पवित्रता को बनाए रखने और आध्यात्मिक शुद्धता के लिए किया जाता है।

कोइल आल्वर तिरुमंजनम का महत्व:

‘कोइल आल्वर तिरुमंजनम’ एक महत्वपूर्ण धार्मिक अनुष्ठान है, जिसमें भगवान वेंकटेश्वर के मंदिर को स्वच्छ और पवित्र बनाने के लिए विशेष प्रक्रिया का पालन किया जाता है। इस अनुष्ठान में विभिन्न सामग्री जैसे दूध, दही, शहद और फूलों का उपयोग किया जाता है। यह पूजा मुख्य रूप से साल में एक बार आयोजित होती है और इसे श्रद्धालुओं के लिए विशेष रूप से महत्व दिया जाता है।

अनुष्ठान की प्रक्रिया:

इस अनुष्ठान की प्रक्रिया के दौरान, मंदिर परिसर को पूरी तरह से साफ किया जाता है। इसके लिए पहले मंदिर के गर्भगृह को खाली किया जाता है और उसके बाद उसमें से सभी मूर्तियों को बाहर निकालकर धोया जाता है। फिर विशेष सामग्री के साथ उनका अभिषेक किया जाता है। इस दौरान श्रद्धालु और पुजारी मिलकर मंत्रोच्चारण करते हैं, जिससे पूरे वातावरण में एक दिव्य ऊर्जा का संचार होता है।

श्रद्धालुओं की भागीदारी:

‘कोइल आल्वर तिरुमंजनम’ में श्रद्धालुओं की भागीदारी बहुत महत्वपूर्ण होती है। इस अवसर पर हजारों श्रद्धालु मंदिर में उपस्थित रहते हैं और पूजा के अनुष्ठान को देखकर अपने मन में आस्था और श्रद्धा का अनुभव करते हैं। इस अनुष्ठान के दौरान लोगों का उत्साह और भक्ति देखने लायक होती है।

धार्मिक भावना का संचार:

यह समारोह केवल एक पूजा नहीं, बल्कि यह समर्पण, भक्ति और धार्मिक भावना का प्रतीक है। श्रद्धालु इस अनुष्ठान में शामिल होकर अपने जीवन में सकारात्मकता और शांति का अनुभव करते हैं। साथ ही, यह समारोह सभी धर्मों और समुदायों के लोगों को एकत्रित करता है, जो कि एकता और सद्भाव का संदेश देता है।

निष्कर्ष:

‘कोइल आल्वर तिरुमंजनम’ का यह अनुष्ठान तिरुपति में हर साल धूमधाम से मनाया जाता है और यह न केवल मंदिर की पवित्रता को बनाए रखने में मदद करता है, बल्कि श्रद्धालुओं के लिए एक अद्भुत आध्यात्मिक अनुभव भी प्रदान करता है। यह एक अवसर है जब लोग अपने आध्यात्मिक पक्ष को और मजबूत करते हैं और अपने भीतर की ऊर्जा को फिर से जीवित करते हैं। तिरुपति का यह अनुष्ठान आज भी लाखों लोगों के दिलों में एक विशेष स्थान रखता है।

 

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सत्यमेव जयते नानृतं सत्येन पन्था विततो देवयानः।
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