AIN NEWS 1 | अमेरिका द्वारा भारत से होने वाले आयात पर 25 प्रतिशत टैरिफ लगाने की घोषणा से जुड़ी बड़ी खबर सामने आई है। हालांकि, सरकार से जुड़े सूत्रों के मुताबिक इस फैसले का भारत के कुल निर्यात पर असर सीमित ही रहेगा। वजह ये है कि भारत से अमेरिका को निर्यात होने वाले अधिकांश उत्पाद पहले से ही शुल्क छूट की श्रेणी में आते हैं।
अधिकांश भारतीय उत्पाद छूट के दायरे में
सूत्रों के अनुसार, भारत से अमेरिका को होने वाले निर्यात का बड़ा हिस्सा ‘सेक्शन 232’ के तहत अमेरिकी शुल्क छूट पाता है। इस वजह से इन उत्पादों पर नया टैरिफ लागू नहीं होगा। यानी भारत के कुल निर्यात का करीब 50% हिस्सा इस बढ़े हुए शुल्क से अप्रभावित रहेगा।
भारत सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक, नई टैरिफ नीति का असर केवल 40 अरब डॉलर के निर्यात पर पड़ने की आशंका है। वर्ष 2024-25 में भारत और अमेरिका के बीच कुल द्विपक्षीय व्यापार 131.8 अरब डॉलर का था, जिसमें से भारत ने अमेरिका को 86.5 अरब डॉलर का निर्यात किया, जबकि 45.3 अरब डॉलर का आयात किया गया।
कृषि और डेयरी सेक्टर पर कोई समझौता नहीं होगा
सूत्रों ने यह भी साफ किया कि भारत किसी भी व्यापार समझौते में डेयरी और कृषि उत्पादों पर शुल्क छूट नहीं देगा। अमेरिका की डेयरी इंडस्ट्री में पशु चारे और संवर्धित तकनीकों के इस्तेमाल के चलते भारत ऐसे उत्पादों को स्वीकार नहीं कर सकता, खासकर धार्मिक और सामाजिक कारणों से।
भारत का हमेशा से यह रुख रहा है कि डेयरी एक संवेदनशील क्षेत्र है, और अब तक हुए किसी भी व्यापार समझौते में इस सेक्टर को छूट नहीं दी गई है। इसलिए, अमेरिका की यह मांग कि भारत डेयरी उत्पादों पर रियायत दे, अस्वीकार्य है।
ट्रेड डील पर अब भी जारी है बातचीत
भारत और अमेरिका के बीच मार्च 2025 से द्विपक्षीय व्यापार समझौते पर बातचीत जारी है। अब तक पांच दौर की वार्ता पूरी हो चुकी है और छठा दौर 25 अगस्त से प्रस्तावित है। दोनों देश पहले एक अंतरिम समझौता करने के इच्छुक थे, ताकि कुछ मुख्य मुद्दों पर सहमति बन सके।
हालांकि, कृषि, डेयरी और GM फूड जैसे संवेदनशील मुद्दों पर मतभेद के चलते अंतरिम समझौता नहीं हो सका, और इसी बीच अमेरिका ने 25% टैरिफ लागू करने का ऐलान कर दिया।
भारत का रुख स्पष्ट: रणनीतिक और आत्मनिर्भर
सरकार के सूत्रों के मुताबिक भारत इन मुद्दों पर अपने हितों से कोई समझौता नहीं करेगा। देश की विदेश व्यापार नीति का उद्देश्य स्थानीय उत्पादकों, किसानों और धार्मिक मान्यताओं की रक्षा करना है। साथ ही, भारत का फोकस अब आत्मनिर्भर भारत और विविध बाजारों की ओर झुकाव की ओर है, ताकि अमेरिकी निर्भरता को सीमित किया जा सके।
सीमित प्रभाव, लेकिन सतर्क रणनीति ज़रूरी
जहां एक ओर अमेरिका की यह टैरिफ नीति विश्व व्यापार पर असर डाल सकती है, वहीं भारत के लिए यह सतर्क रणनीति अपनाने का समय है। सरकार की तरफ से स्पष्ट संकेत दिया गया है कि वह लघु और मध्यम उद्यमों के हितों की रक्षा करते हुए बातचीत की प्रक्रिया को जारी रखेगी, लेकिन संवेदनशील सेक्टरों में कोई रियायत नहीं दी जाएगी।
Trump’s recent announcement of a 25% import tariff on Indian goods is expected to have limited impact, according to Indian government sources. A major portion of India’s exports to the US already fall under Section 232 duty exemptions, shielding them from this hike. Sources confirm that India will not offer any tariff concessions on agriculture, dairy, or genetically modified food products due to religious sensitivities and domestic policy concerns. While Indo-US bilateral trade negotiations are ongoing, India maintains its strategic trade autonomy and is focused on protecting domestic producers and national interests.