AIN NEWS 1 | अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में पाकिस्तान में तेल और गैस के विशाल भंडार को लेकर एक बयान दिया। ट्रंप ने दावा किया कि अमेरिका और पाकिस्तान मिलकर इन तेल भंडारों को विकसित करेंगे और एक दिन ऐसा भी आएगा जब भारत पाकिस्तान से तेल खरीदेगा। उनके इस बयान ने पाकिस्तान और उसके लोगों को हैरान कर दिया, क्योंकि किसी को समझ नहीं आ रहा कि आखिर ये “तेल का खजाना” छिपा कहां हुआ है।
ट्रंप के बयान पर पाकिस्तान की सरकारी कंपनी का जवाब
पाकिस्तान की सरकारी तेल और गैस कंपनी ने ट्रंप के दावों पर सीधा सवाल खड़ा कर दिया। कंपनी ने कहा कि पाकिस्तान में ऐसा कोई रहस्यमय तेल क्षेत्र मौजूद नहीं है, जो 1 अरब बैरल तेल का उत्पादन करने वाला हो।
फाइनेंशियल टाइम्स की एक रिपोर्ट में एक पाकिस्तानी अधिकारी ने ट्रंप के दावों को “बेतुका” बताया। उन्होंने कहा कि यह सिर्फ कयासबाजी है और हकीकत से इसका कोई संबंध नहीं है।
पाकिस्तान की ऊर्जा स्थिति
पाकिस्तान ऊर्जा की दृष्टि से आत्मनिर्भर नहीं है।
अपनी जरूरत का लगभग 80% तेल पाकिस्तान आयात करता है।
पाकिस्तान का दैनिक तेल उत्पादन, भारत के उत्पादन का मात्र दसवां हिस्सा है।
अमेरिकी ऊर्जा सूचना प्रशासन (EIA) ने 2015 में एक अनुमान जारी किया था, जिसमें कहा गया था कि पाकिस्तान के सिंधु बेसिन क्षेत्र में 9 अरब बैरल से अधिक तेल मौजूद हो सकता है।
लेकिन ध्यान देने वाली बात यह है कि यह अनुमान केवल प्रारंभिक भूकंपीय आंकड़ों (seismic data) पर आधारित था। इसकी कोई पुष्टि नहीं हुई थी।
शहबाज सरकार का तेल का सपना
ट्रंप के बयानों के बाद पाकिस्तान की शहबाज शरीफ सरकार के कई अधिकारी मानो सपनों की दुनिया में जीने लगे। उन्होंने कल्पना करनी शुरू कर दी कि यदि देश में तेल मिल गया तो उससे पाकिस्तान की गंभीर सामाजिक और आर्थिक समस्याएं हल हो सकती हैं।
तेल भंडार का यह ख्वाब पाकिस्तान के लिए किसी जीवनरेखा से कम नहीं होता। लेकिन असली चुनौती यह है कि अब तक कोई ठोस सबूत या खोज नहीं मिली है, जो ट्रंप की बातों को सही साबित करे।
2019 की बड़ी घोषणा और हकीकत
साल 2019 में पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री इमरान खान ने एक बड़ी घोषणा की थी। उन्होंने कहा था कि इटली की एनी (Eni) और अमेरिकी कंपनी एक्सॉन मोबिल अरब सागर में एक कुआं खोद रही है। उनका दावा था कि यहां इतना बड़ा तेल भंडार है कि अगले 50 साल तक पाकिस्तान को तेल खरीदने की जरूरत ही नहीं पड़ेगी।
लेकिन इस दावे के कुछ ही घंटों बाद कंपनी ने सच्चाई बता दी। उन्होंने साफ कहा कि यह प्रोजेक्ट बहुत पहले ही बंद कर दिया गया था, क्योंकि ड्रिलिंग में सिर्फ पानी मिला, तेल का कोई निशान नहीं।
पाकिस्तान के लिए असली तस्वीर
आज की वास्तविकता यह है कि पाकिस्तान तेल और गैस उत्पादन में काफी पिछड़ा हुआ है।
देश की बड़ी आबादी ऊर्जा संकट से जूझ रही है।
तेल के आयात पर अरबों डॉलर खर्च होते हैं, जिससे विदेशी मुद्रा भंडार पर दबाव पड़ता है।
औद्योगिक उत्पादन और बिजली संकट लगातार गहराते जा रहे हैं।
ऐसे में ट्रंप का यह दावा पाकिस्तान के लिए एक “आशा” जरूर है, लेकिन इसकी जड़ें जमीन पर अभी नजर नहीं आतीं।
भारत और पाकिस्तान: ऊर्जा संबंधी समीकरण
ट्रंप ने कहा कि भविष्य में भारत पाकिस्तान से तेल खरीदेगा। यह बयान पाकिस्तान में चर्चा का विषय बना हुआ है।
भारत, जो दुनिया के सबसे बड़े तेल आयातकों में से एक है, उसके लिए पाकिस्तान से तेल खरीदना अभी सिर्फ कल्पना है।
भारत पहले से ही खाड़ी देशों, रूस और अमेरिका से बड़े पैमाने पर तेल आयात करता है।
जब तक पाकिस्तान खुद आत्मनिर्भर नहीं होता, तब तक भारत जैसे बड़े उपभोक्ता देश को तेल निर्यात करने का सपना हकीकत से दूर ही रहेगा।
क्यों बार-बार उठता है पाकिस्तान में तेल का मुद्दा?
राजनीतिक फायदे के लिए – पाकिस्तान की सरकारें अक्सर तेल और गैस खोज की उम्मीदों को बढ़ा-चढ़ाकर पेश करती हैं ताकि जनता को सपने दिखा सकें।
आर्थिक दबाव से बचने के लिए – आयात पर निर्भरता कम करने का दावा लोगों को उम्मीद देता है।
विदेशी निवेश आकर्षित करने के लिए – तेल और गैस सेक्टर में निवेशक लाने के लिए बड़े-बड़े दावे किए जाते हैं।
डोनाल्ड ट्रंप का पाकिस्तान में तेल भंडार को लेकर बयान भले ही आकर्षक हो, लेकिन हकीकत में पाकिस्तान की ऊर्जा स्थिति बेहद कमजोर है। पाकिस्तान अब भी आयात पर निर्भर है और उसका घरेलू उत्पादन बहुत कम है।
2019 का अनुभव यह साबित करता है कि केवल बड़े-बड़े दावे करने से वास्तविकता नहीं बदलती। पाकिस्तान को अपनी ऊर्जा रणनीति को व्यवहारिक बनाना होगा और विदेशी तेल पर निर्भरता कम करने के लिए लंबे समय की नीतियां बनानी होंगी।
जहां तक भारत को तेल बेचने की बात है, वह इस वक्त सिर्फ एक ख्वाब है। असली चुनौती यह है कि पाकिस्तान पहले खुद को ऊर्जा संकट से बाहर निकाले।