AIN NEWS 1 | उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (UKSSSC) की ग्रेजुएट लेवल परीक्षा के पेपर लीक मामले ने पूरे राज्य में हड़कंप मचा दिया था। यह मामला न सिर्फ अभ्यर्थियों के भविष्य से जुड़ा है, बल्कि प्रदेश की भर्ती प्रक्रिया की पारदर्शिता और विश्वसनीयता पर भी सवाल खड़े करता है। इस संवेदनशील मुद्दे पर लगातार हो रही जांच के बीच अब राज्य सरकार ने बड़ा फैसला लिया है।
बीएस वर्मा ने खुद को जांच से अलग किया
शुरुआत में इस पूरे मामले की निगरानी सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति बीएस वर्मा को सौंपी गई थी। लेकिन हाल ही में उन्होंने व्यक्तिगत कारणों का हवाला देते हुए खुद को इस जिम्मेदारी से अलग कर लिया। उनके इस कदम के बाद सरकार पर यह दबाव बन गया कि जांच प्रक्रिया को बिना किसी रुकावट के पारदर्शिता के साथ आगे बढ़ाने के लिए तुरंत नया पर्यवेक्षक नियुक्त किया जाए।
जस्टिस यूसी ध्यानी को मिली कमान
बीएस वर्मा के हटने के बाद राज्य सरकार ने तेजी दिखाते हुए उत्तराखंड हाईकोर्ट के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस यूसी ध्यानी को विशेष जांच दल (SIT) का नया पर्यवेक्षक नियुक्त कर दिया है। सरकार का मानना है कि ध्यानी अपने अनुभव और सख्त कार्यशैली से इस मामले को सही दिशा में ले जाएंगे और दोषियों को कानून के कटघरे तक पहुंचाने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे।
पेपर लीक मामला क्यों है गंभीर
UKSSSC की ग्रेजुएट लेवल परीक्षा लाखों युवाओं के लिए सरकारी नौकरी पाने का एक बड़ा अवसर होती है। लेकिन पेपर लीक जैसे घटनाक्रम से न सिर्फ छात्रों का मनोबल टूटता है बल्कि पूरे सिस्टम पर लोगों का भरोसा भी डगमगाने लगता है। अभ्यर्थियों का कहना है कि उन्होंने दिन-रात मेहनत कर तैयारी की, लेकिन कुछ लोगों की मिलीभगत और भ्रष्टाचार ने उनकी मेहनत पर पानी फेर दिया। यही कारण है कि इस मामले को लेकर छात्रों में आक्रोश है और सरकार लगातार दबाव में रही है।
SIT की भूमिका
विशेष जांच दल (SIT) इस मामले में कई गिरफ्तारियां कर चुकी है और लगातार नए सुराग जुटा रही है। माना जा रहा है कि यह नेटवर्क गहरा और संगठित है, जिसमें परीक्षा से जुड़े अंदरूनी लोगों की भूमिका भी सामने आई है। SIT अब तक कई महत्वपूर्ण कड़ियों को जोड़ चुकी है और आगे भी बड़े खुलासे हो सकते हैं।
सरकार की सख्ती
राज्य सरकार ने साफ कर दिया है कि पेपर लीक मामले में किसी भी दोषी को बख्शा नहीं जाएगा। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने पहले ही कहा था कि यह युवाओं के भविष्य से खिलवाड़ है और इसमें शामिल लोगों पर कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जाएगी। यही वजह है कि पर्यवेक्षक बदलने के बाद भी सरकार चाहती है कि जांच की रफ्तार कम न हो और दोषियों को सख्त सजा मिले।
युवाओं की उम्मीदें
इस मामले ने लाखों अभ्यर्थियों की उम्मीदों को झकझोर दिया है। कई छात्र सड़कों पर उतरे और उन्होंने पारदर्शी जांच की मांग की। अब जब जस्टिस यूसी ध्यानी को जिम्मेदारी दी गई है तो छात्रों की निगाहें एक बार फिर इस बात पर टिकी हैं कि क्या वास्तव में न्याय होगा और क्या दोषियों को सख्त सजा मिलेगी।
UKSSSC पेपर लीक मामला सिर्फ एक परीक्षा या भर्ती से जुड़ा मामला नहीं है, बल्कि यह राज्य की प्रशासनिक व्यवस्था और युवाओं के भविष्य से जुड़ा है। बीएस वर्मा के हटने के बाद अब जिम्मेदारी जस्टिस यूसी ध्यानी के कंधों पर आ गई है। पूरे प्रदेश की निगाहें इस जांच पर टिकी हैं और लोग उम्मीद कर रहे हैं कि इस बार दोषी बच नहीं पाएंगे।