Sunday, December 22, 2024

राजस्थान में गरासिया जनजाति की अद्वितीय परंपरा: हर साल बदलते हैं महिला के साथी?

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AIN NEWS 1: भारत के ग्रामीण इलाकों को अक्सर शहरों की तुलना में पिछड़ा माना जाता है। लेकिन राजस्थान में एक ऐसा क्षेत्र है, जहाँ शहरों की आधुनिकता को चुनौती देने वाली एक अनोखी परंपरा प्रचलित है। यह परंपरा गरासिया जनजाति के बीच निभाई जाती है, जहाँ लिव इन रिलेशनशिप एक सामान्य बात है और महिलाओं को अपने पार्टनर चुनने की पूरी स्वतंत्रता होती है।

गरासिया जनजाति की परंपरा

गरासिया जनजाति राजस्थान के कुछ ग्रामीण इलाकों में निवास करती है। इस जनजाति की महिलाओं को अपनी जीवनशैली और रिश्तों के बारे में स्वतंत्रता होती है। यहाँ महिलाएं साल में एक बार अपने लिए नए साथी का चयन कर सकती हैं। इस परंपरा के अनुसार, महिलाओं को अपने साथी को बदलने की अनुमति होती है और वे जब चाहें, नए साथी को चुन सकती हैं।

गौर मेला: एक विशेष अवसर

गरासिया जनजाति हर साल एक विशेष मेला आयोजित करती है, जिसे ‘गौर मेला’ कहा जाता है। इस मेले के दौरान, महिलाएं अपनी इच्छाओं के अनुसार नए पुरुष साथी का चयन कर सकती हैं। यह मेला साल में एक बार ही लगता है, और यही अवसर महिलाओं को अपने नए साथी का चयन करने का मिलता है। मेला के दौरान, महिलाएं अपने पसंदीदा पुरुषों के साथ संबंध स्थापित कर सकती हैं और नए साथी के साथ लिव इन में रह सकती हैं।

शादी का परिदृश्य

जब महिला किसी पुरुष के साथ लिव इन में रहते हुए गर्भवती हो जाती है, तब उसे शादी करनी पड़ती है। शादी का यह रिवाज तब लागू होता है जब महिला और पुरुष के बीच संबंध गर्भवती होने की स्थिति में पहुंच जाते हैं। शादी के बाद, परिवार और समाज की जिम्मेदारी बढ़ जाती है, और यह महिला और पुरुष के लिए एक नया जीवन शुरू करने का संकेत होता है।

महिलाओं की स्वतंत्रता

गरासिया जनजाति में महिलाओं को पुरुषों से अधिक सम्मान और स्वतंत्रता प्राप्त होती है। महिलाएं अपने जीवन के हर निर्णय को खुद लेती हैं और उनके पार्टनर चुनने का अधिकार भी उनके पास होता है। यह परंपरा यह दर्शाती है कि महिला के लिए अपनी पसंद और नापसंद का पूरी स्वतंत्रता होती है और समाज उनकी इस स्वतंत्रता का सम्मान करता है।

इस तरह, गरासिया जनजाति की परंपराएं भारतीय ग्रामीण जीवन की विविधता और सांस्कृतिक समृद्धि को दर्शाती हैं। यहाँ की महिलाएं अपने जीवन को अपनी शर्तों पर जीने का अधिकार रखती हैं और यह परंपरा एक अद्वितीय उदाहरण प्रस्तुत करती है कि कैसे ग्रामीण इलाकों में भी आधुनिकता और स्वतंत्रता का समावेश हो सकता है।

 

 

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सत्यमेव जयते नानृतं सत्येन पन्था विततो देवयानः।
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