UP BJP President Race 2025: OBC Factor Delays Decision, High Command May Surprise with New Name
यूपी बीजेपी अध्यक्ष की रेस: ओबीसी फैक्टर पर क्यों अटका फैसला और किस नाम पर आ सकती है मुहर?
AIN NEWS 1 : उत्तर प्रदेश भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में नए प्रदेश अध्यक्ष के चयन को लेकर मंथन अपने अंतिम दौर में है। 2027 के विधानसभा चुनाव और 2029 के लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए भाजपा हाईकमान एक ऐसा चेहरा चाहता है, जो संगठन को मजबूती दे सके और सामाजिक समीकरणों को भी साध सके। हालांकि, ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) फैक्टर के चलते अंतिम निर्णय लेने में देरी हो रही है। पार्टी की रणनीति, दावेदारों के नाम और संभावित सरप्राइज पर सबकी नजरें टिकी हैं।
नए अध्यक्ष के लिए क्या हैं मापदंड?
भाजपा के संगठनात्मक ढांचे में प्रदेश अध्यक्ष की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण मानी जाती है। खासतौर पर उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्य में, जहां से लोकसभा की सबसे ज्यादा सीटें आती हैं, वहां पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष चुनावी रणनीति का एक अहम स्तंभ होता है।
सूत्र बताते हैं कि नया अध्यक्ष ऐसा होना चाहिए:
जो संगठन और सरकार के बीच सेतु का काम कर सके
कार्यकर्ताओं में स्वीकार्य हो
जातीय समीकरणों को साध सके
चुनावी मोर्चे पर जीत का अनुभव रखता हो
ओबीसी फैक्टर क्यों है अहम?
भाजपा ने बीते एक दशक में ओबीसी वोटबैंक में बड़ी सेंध लगाई है। 2014 और 2019 लोकसभा चुनावों के साथ-साथ 2017 और 2022 विधानसभा चुनावों में पार्टी को बड़ी सफलता दिलाने में ओबीसी समुदाय का अहम योगदान रहा है।
हालांकि, हाल के दिनों में ओबीसी समाज के कुछ हिस्सों में नाराजगी देखने को मिली है। यही वजह है कि पार्टी इस बार प्रदेश अध्यक्ष की कमान किसी ओबीसी नेता को देने के मूड में है। सवाल ये है कि आखिर कौन नेता सभी गुटों के लिए स्वीकार्य होगा?
दावेदार कौन-कौन?
1. भूपेंद्र चौधरी
वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी का कार्यकाल जल्द खत्म हो रहा है। उन्होंने अपने कार्यकाल में संगठन को मजबूत किया है, लेकिन 2024 लोकसभा चुनाव में पार्टी के प्रदर्शन के बाद बदलाव की संभावना बढ़ गई है।
2. धर्मेंद्र प्रताप सिंह
ओबीसी समुदाय से आने वाले और लंबे समय से संगठन में सक्रिय धर्मेंद्र प्रताप सिंह का नाम भी चर्चा में है। वे संगठन में मजबूत पकड़ और कार्यकर्ताओं के बीच अच्छी छवि के लिए जाने जाते हैं।
3. विद्यासागर सोनकर
दलित-पिछड़ा समीकरण को साधने के लिए पार्टी विद्यासागर सोनकर के नाम पर भी विचार कर रही है। वे कई बार विधायक रह चुके हैं और संगठन में अनुभव रखते हैं।
4. अन्य नाम
कई क्षेत्रीय नेता, खासतौर पर पश्चिमी यूपी और पूर्वांचल से, भी रेस में शामिल हैं। हाईकमान फिलहाल सभी विकल्पों पर विचार कर रहा है।
क्यों अटका है फैसला?
फैसला इसलिए अटका हुआ है क्योंकि पार्टी के पास कई योग्य चेहरे हैं, लेकिन यह तय करना आसान नहीं है कि कौन सा नेता सभी गुटों को साध पाएगा और 2027 के विधानसभा चुनाव के लिए उपयुक्त चेहरा साबित होगा।
एक बड़ा कारण क्षेत्रीय संतुलन भी है। पश्चिमी यूपी और पूर्वांचल, दोनों ही इलाकों के नेताओं का दबदबा है। साथ ही, केंद्र और राज्य सरकार के बीच तालमेल बैठाने वाला नेता चुनना चुनौतीपूर्ण हो रहा है।
क्या कर सकता है हाईकमान सरप्राइज?
भाजपा अपने फैसलों से चौंकाने के लिए जानी जाती है। चाहे 2017 में योगी आदित्यनाथ को मुख्यमंत्री बनाना हो या संगठनात्मक पदों पर अप्रत्याशित नामों को आगे बढ़ाना, पार्टी ने कई बार बड़ा दांव खेला है।
सूत्रों का कहना है कि इस बार भी कोई नया या कम चर्चित चेहरा सामने आ सकता है, जो सभी समीकरणों को संतुलित कर सके।
भाजपा कार्यकर्ताओं की क्या राय?
कार्यकर्ताओं में भी इस बात को लेकर उत्सुकता है कि नया अध्यक्ष कौन होगा। कई कार्यकर्ता मानते हैं कि संगठन में जमीनी अनुभव रखने वाले नेता को मौका मिलना चाहिए। वहीं कुछ कार्यकर्ता जातीय समीकरण से हटकर केवल संगठन की मजबूती पर जोर देने के पक्ष में हैं।
राजनीतिक संदेश
भाजपा का यह फैसला न केवल संगठन के भविष्य के लिए अहम होगा बल्कि विपक्ष के लिए भी बड़ा संदेश देगा। अगर पार्टी ओबीसी या किसी खास क्षेत्रीय नेता को अध्यक्ष बनाती है, तो यह सीधे तौर पर 2027 के चुनावों के लिए पार्टी की रणनीति को दर्शाएगा।
यूपी भाजपा अध्यक्ष की रेस दिलचस्प मोड़ पर है। हाईकमान के पास कई विकल्प हैं, लेकिन फैसला ओबीसी फैक्टर पर अटका हुआ है। ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि पार्टी किस नेता को आगे करती है और क्या यह फैसला वाकई चौंकाने वाला साबित होगा।
The race for the new UP BJP president in 2025 has reached its final stage, but the OBC factor is delaying the decision. The BJP high command is expected to surprise political observers with a fresh name to lead the state unit. With upcoming 2027 assembly and 2029 Lok Sabha elections, the choice of the new president is crucial for balancing caste equations and strengthening party organization. Top names like Bhupendra Chaudhary, Dharmendra Pratap Singh, and Vidyasagar Sonkar are in contention, but the final call might be unexpected.



















