AIN NEWS 1: उत्तर प्रदेश की नौ सीटों पर हो रहे उपचुनाव में समाजवादी पार्टी (सपा) और इंडिया गठबंधन के बीच तालमेल की कमी सामने आ रही है। चुनाव प्रचार के आखिरी दिन भी सपा की तरफ से नेतृत्व का पूरा जोर दिखाई दे रहा है, जबकि अन्य गठबंधन दलों की ओर से कोई बड़ा समर्थन नहीं मिला है।
सपा के अकेले प्रयास
समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने इन सीटों पर सपा की जीत के लिए पूरी ताकत झोंकी है, लेकिन गठबंधन के सहयोगी दलों से कोई मजबूत समर्थन नहीं मिल रहा है। कांग्रेस, जो इंडिया गठबंधन का हिस्सा है, उसके कोई बड़े नेता जैसे प्रदेश अध्यक्ष अजय राय या यूपी प्रभारी अविनाश पांडे सपा के मंच पर दिखाई नहीं दिए। दोनों नेता कांग्रेस के चुनाव प्रचार के लिए केरल और महाराष्ट्र में व्यस्त थे।
कांग्रेस और अन्य दलों की चुप्पी
कांग्रेस के नेता यूपी उपचुनाव के प्रचार में नजर नहीं आए, जबकि कांग्रेस ने पहले चार सीटों पर चुनाव लड़ने की इच्छा जताई थी। लेकिन, सपा ने केवल गाजियाबाद और खैर सीटों को देने का प्रस्ताव रखा था, जिससे कांग्रेस ने चुनाव से हटने का फैसला किया। इस स्थिति को लेकर सपा के राष्ट्रीय सचिव और प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी ने भी निराशा व्यक्त की। उन्होंने कहा कि गठबंधन के सभी दलों को चुनाव प्रचार में सक्रिय रूप से भाग लेना चाहिए था, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
टीएमसी और एनसीपी का समर्थन न मिलना
लोकसभा चुनाव में अखिलेश यादव ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) को भदोही सीट दी थी, लेकिन उपचुनाव के दौरान टीएमसी और एनसीपी ने सपा को समर्थन देने में कोई रुचि नहीं दिखाई। एनसीपी ने कुछ सीटों पर अपने उम्मीदवार भी उतारे हैं, जो यह दर्शाता है कि गठबंधन में सामूहिक प्रयास की कमी है।
कांग्रेस का जवाब
कांग्रेस ने अपनी सफाई में कहा कि इंडिया एलायंस मजबूत तरीके से उपचुनाव की तैयारी कर रहा है और सभी 9 सीटों पर जीत का विश्वास व्यक्त किया। कांग्रेस प्रवक्ता अंशू अवस्थी ने बीजेपी पर आरोप लगाते हुए कहा कि वह हार के डर से झूठ फैला रही है और इंडिया गठबंधन अब भी एकजुट है।
निष्कर्ष
यूपी उपचुनाव में गठबंधन की एकता की कमी साफ दिख रही है। सपा अकेले ही चुनाव प्रचार में जोर लगा रही है, जबकि अन्य दलों से कोई खास मदद नहीं मिल रही। ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि इस अकेलेपन के बावजूद सपा इन सीटों पर क्या प्रदर्शन करती है।