AIN NEWS 1 | उत्तर प्रदेश की राजनीति और छात्र आंदोलन एक बार फिर सुर्खियों में हैं। 1 सितंबर 2025 को बाराबंकी जिले में छात्रों और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) कार्यकर्ताओं पर पुलिस द्वारा किए गए लाठीचार्ज का मामला अब बड़ा विवाद बन गया है। इस घटना में कई छात्र गंभीर रूप से घायल हो गए। मामले की गंभीरता को देखते हुए प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य खुद छात्रों का हाल जानने शताब्दी हॉस्पिटल, लखनऊ पहुंचे।
बाराबंकी में क्या हुआ था?
सोमवार, 1 सितंबर को श्रीराम स्वरूप मेमोरियल विश्वविद्यालय के बाहर ABVP कार्यकर्ता और छात्र अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रहे थे। उनका कहना था कि विश्वविद्यालय प्रशासन ने उनकी समस्याओं और शिकायतों को नजरअंदाज किया है। शांतिपूर्ण प्रदर्शन को रोकने के लिए पुलिस मौके पर पहुंची। लेकिन बात बिगड़ गई और पुलिस ने छात्रों पर लाठीचार्ज कर दिया।
इस दौरान कई छात्र और कार्यकर्ता बुरी तरह घायल हो गए। किसी का हाथ टूट गया तो किसी का पैर। घायल छात्रों को तुरंत इलाज के लिए नजदीकी अस्पताल ले जाया गया।
डिप्टी सीएम का रिएक्शन
घटना के बाद लखनऊ में शताब्दी हॉस्पिटल में भर्ती छात्रों से मिलने पहुंचे डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने कहा—
“अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद एक अनुशासित, संस्कारी और जिम्मेदार छात्र संगठन है। विरोध करना छात्रों का अधिकार है और उन्होंने अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन किया। लेकिन पुलिस की कार्रवाई बेहद बर्बर और गैर-जिम्मेदाराना थी। किसी का पैर या हाथ तोड़ देना अस्वीकार्य है। दोषियों पर सख्त कार्रवाई होगी।”
डिप्टी सीएम ने अपने आधिकारिक सोशल मीडिया अकाउंट पर छात्रों से मुलाकात की तस्वीरें साझा करते हुए लिखा कि सभी घायलों का उचित इलाज सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं। साथ ही उन्होंने आश्वासन दिया कि घटना की गंभीरता से जांच होगी और जो भी दोषी होगा, उसके खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी।
नगर विकास मंत्री ने भी जताया दुख
घटना पर उत्तर प्रदेश के नगर विकास मंत्री एके शर्मा ने भी दुख व्यक्त किया। उन्होंने सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हुए घायल छात्रों के शीघ्र स्वास्थ्य लाभ की कामना की। उन्होंने खासतौर से अभिषेक वाजपेयी, अंकित पांडेय, पुष्पेंद्र, नवीन, अभय पांडेय, सिद्धार्थ तिवारी, पुष्पा, लक्ष्मी और वंशिका का नाम लेते हुए उनके जल्द स्वस्थ होने की प्रार्थना की।
ABVP की भूमिका और महत्व
ABVP देश का सबसे बड़ा छात्र संगठन माना जाता है। दशकों से यह संगठन छात्रों की समस्याओं को लेकर आवाज उठाता रहा है। संगठन के कार्यकर्ता अनुशासन और संस्कार के लिए भी जाने जाते हैं। इस घटना ने संगठन के सदस्यों और समर्थकों में गुस्सा भर दिया है।
ABVP नेताओं का कहना है कि छात्रों पर इस तरह की हिंसक कार्रवाई लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन है। उनका कहना है कि जब छात्र अपनी समस्याएं शांतिपूर्ण ढंग से सामने रख रहे थे तो पुलिस को बातचीत का रास्ता अपनाना चाहिए था।
राजनीति में गरमाहट
यह घटना सिर्फ छात्र संगठन और पुलिस के बीच टकराव तक सीमित नहीं रही। अब यह मामला राजनीतिक रंग ले चुका है। विपक्षी दल सरकार को घेरने की तैयारी में हैं। उनका कहना है कि अगर सत्ता पक्ष के ही नेता पुलिस कार्रवाई को “बर्बर” बता रहे हैं तो सरकार को तुरंत जिम्मेदार अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई करनी चाहिए।
कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के नेताओं ने भी बयान दिए हैं कि योगी सरकार छात्रों की आवाज दबाने के लिए पुलिस का दुरुपयोग कर रही है।
छात्रों और अभिभावकों की प्रतिक्रिया
इस घटना के बाद छात्रों और उनके परिवारों में डर और आक्रोश दोनों है। एक घायल छात्र के पिता ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि उनका बेटा सिर्फ अपनी समस्याएं बताने गया था। लेकिन पुलिस ने उसे ऐसे पीटा जैसे वह अपराधी हो।
कई छात्रों ने बताया कि उन्हें उम्मीद थी कि पुलिस उनकी सुरक्षा करेगी लेकिन इसके उलट पुलिस ने ही उन्हें लहूलुहान कर दिया।
सरकार के लिए चुनौती
यह घटना योगी सरकार के लिए बड़ी चुनौती बनकर सामने आई है। एक ओर सरकार कानून-व्यवस्था को अपनी सबसे बड़ी उपलब्धि बताती है, वहीं दूसरी ओर पुलिस पर ऐसे गंभीर आरोप लगना सरकार की छवि को नुकसान पहुंचा सकता है।
डिप्टी सीएम का बयान साफ संकेत देता है कि सरकार इस मामले को हल्के में नहीं लेगी। दोषियों पर कार्रवाई का आश्वासन दिया गया है, लेकिन आने वाले दिनों में यह देखना होगा कि वास्तव में क्या कदम उठाए जाते हैं।
बाराबंकी लाठीचार्ज का मामला सिर्फ एक पुलिसिया कार्रवाई भर नहीं है, बल्कि यह छात्रों की आवाज, लोकतंत्र के अधिकार और राजनीतिक जिम्मेदारी का सवाल है। अब सबकी नजर इस बात पर है कि सरकार कितनी जल्दी और कितनी सख्ती से दोषी पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई करती है।