AIN NEWS 1 | उत्तर प्रदेश विधानसभा में अब वो नजारा नहीं दिखेगा जहां अखिलेश यादव के आसपास समाजवादी पार्टी के कई भरोसेमंद विधायक बैठा करते थे। हाल ही में विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना के निर्देश पर सपा से निष्कासित विधायक मनोज पांडेय, राकेश प्रताप सिंह और अभय सिंह को असंबद्ध विधायक घोषित कर दिया गया है। इसका मतलब ये है कि अब इनका किसी भी राजनीतिक दल से कोई औपचारिक संबंध नहीं है – ये सभी अब स्वतंत्र विधायक माने जाएंगे।
कभी ऊंचाहार से विधायक मनोज पांडेय को अखिलेश यादव के बेहद करीबी माना जाता था। उन्हें समाजवादी पार्टी ने विधानसभा में मुख्य सचेतक (Chief Whip) की जिम्मेदारी तक सौंपी थी। वहीं, अभय सिंह (गोसाईंगंज विधायक) और राकेश प्रताप सिंह (गौरीगंज विधायक) भी पार्टी प्रमुख अखिलेश के इर्द-गिर्द नजर आते थे। लेकिन फरवरी 2024 में बगावत के बाद सबकुछ बदल गया।
19 फरवरी 2024 के बजट सत्र के दौरान तीनों विधायक एक साथ बैठे दिखे थे, जिससे उनके भीतर पनपते राजनीतिक समीकरणों के संकेत मिलने लगे थे। 5 मार्च को जब बजट सत्र समाप्त हुआ, उस दिन अभय और राकेश बीजेपी मंत्रियों के पास बैठे नजर आए – जो भविष्य की राजनीतिक दिशा की ओर इशारा कर रहा था।
अब जब विधानसभा में सीट आवंटन दोबारा होगा, तो यह तय है कि ये तीनों बागी विधायक सपा खेमे से दूर बैठेंगे। हालांकि, उनकी नई सीटें मानसून सत्र में स्पष्ट होंगी।
भविष्य की रणनीति पर उठते सवाल
इन तीनों विधायकों को सपा से निष्कासन के बाद कई तरह की चर्चाएं तेज़ हो गई हैं। राजनीतिक गलियारों में अटकलें हैं कि ये तीनों जल्द ही अपने-अपने पदों से इस्तीफा देकर बीजेपी में शामिल हो सकते हैं। फिर जब उपचुनाव होगा, तो इन्हें बीजेपी उम्मीदवार के तौर पर मैदान में उतारा जाएगा। अगर ये जीतते हैं, तो इन्हें नई ज़िम्मेदारियां मिल सकती हैं।
बीजेपी की उलझन भी बरकरार
हालांकि यह समीकरण बीजेपी के लिए भी आसान नहीं है। चूंकि ये विधायक 2022 में सपा के टिकट पर जीते थे, ऐसे में अगर भाजपा इन बागियों को खुलकर समर्थन देती है, तो सपा इसे “जनादेश से धोखा” कहकर राजनीतिक रूप से भुना सकती है। यही वजह है कि बीजेपी इन बागी विधायकों को लेकर बेहद सतर्क रवैया अपना रही है और हर कदम फूंक-फूंक कर रख रही है।
Three former Samajwadi Party MLAs — Manoj Pandey, Abhay Singh, and Rakesh Pratap Singh — have been officially declared unattached by the UP Assembly after being expelled from SP. Once close allies of Akhilesh Yadav, these MLAs are now politically independent, raising questions about their future alignments. Speculations hint at their possible entry into BJP, but challenges persist due to their previous SP affiliation. Their new seating arrangements in the Assembly will be revealed in the monsoon session.