AIN NEWS 1: योगी आदित्यनाथ की सरकार ने हाल ही में उत्तर प्रदेश में डीजीपी (डायरेक्टर जनरल ऑफ पुलिस) की नियुक्ति के लिए चयन नियमावली 2024 को मंजूरी दी है। इस निर्णय से अब राज्य सरकार को डीजीपी के लिए अधिकारियों के नाम यूपीएससी (यूनियन पब्लिक सर्विस कमीशन) को नहीं भेजने होंगे। इसके परिणामस्वरूप सरकार अपनी पसंद के आईपीएस अधिकारियों को सीधे डीजीपी के पद पर नियुक्त कर सकेगी।
नई चयन प्रक्रिया
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में यह फैसला लिया गया। नई नियमावली के अनुसार, अब डीजीपी का चयन एक छह सदसीय समिति द्वारा किया जाएगा, जिसमें रिटायर्ड हाई कोर्ट के जज, मुख्य सचिव, यूपीएससी से नामित अधिकारी, उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष या उनके द्वारा नामित व्यक्ति, अपर मुख्य सचिव या प्रमुख गृह सचिव और एक रिटायर्ड डीजीपी शामिल होंगे।
कार्यकाल और चयन मानदंड
डीजीपी का कार्यकाल अब दो साल होगा। चयन प्रक्रिया के दौरान, यह सुनिश्चित किया जाएगा कि नियुक्ति आईपीएस अधिकारियों के सेवा रिकॉर्ड और अनुभव के आधार पर हो। जिन अधिकारियों का कार्यकाल कम से कम छह महीने बचा हो, उन्हें प्राथमिकता दी जाएगी। हालांकि, यदि सरकार किसी डीजीपी के काम से संतुष्ट नहीं होती है, तो उसे पद से हटाने का अधिकार भी होगा।
पिछली व्यवस्था का अंत
इससे पहले, यूपी सरकार केवल उन अधिकारियों के नाम यूपीएससी को भेजती थी, जिन्होंने पुलिस सेवा में 30 साल पूरे किए हों और जिनका कम से कम छह महीने का कार्यकाल बचा हो। यूपीएससी के द्वारा भेजे गए तीन नामों में से सरकार एक को डीजीपी बनाती थी।
सुप्रीम कोर्ट की पहल
यह बदलाव 2006 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद संभव हुआ, जिसमें राज्य सरकारों से कहा गया था कि वे पुलिस व्यवस्था को सभी प्रकार के दबाव से मुक्त करने के लिए नई व्यवस्था विकसित करें। इसके चलते आंध्र प्रदेश, पंजाब और तेलंगाना पहले ही इस दिशा में कदम उठा चुके हैं।
उत्तर प्रदेश का नया कदम
उत्तर प्रदेश अब डीजीपी की नियुक्ति के लिए नई नियमावली बनाने वाला चौथा राज्य बन गया है। यह नियमावली न केवल प्रक्रिया को सरल बनाएगी, बल्कि राज्य सरकार को अधिक नियंत्रण प्रदान करेगी।
संभावित नाम
वर्तमान में प्रशांत कुमार यूपी के कार्यवाहक डीजीपी हैं, जिनका कार्यकाल 31 मई, 2025 तक है। नई नियमावली के लागू होने पर चयन समिति उनके नाम पर भी विचार कर सकती है, क्योंकि उनके रिटायर होने में अभी छह महीने से अधिक समय है।
इस नई व्यवस्था से यूपी में पुलिस प्रशासन में सुधार और अधिक प्रभावी निर्णय लेने की प्रक्रिया में तेजी आने की संभावना है।