AIN NEWS 1: बता दें दिल्ली में पहलवानों का कुश्ती संघ के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह (Brij Bhushan Sharan Singh) के खिलाफ आंदोलन लगातार जारी है. इस बीच भारतीय जनता पार्टी (BJP) इस पूरे मामले में अभी अपनी चुप्पी साधे हुए है. तमाम तरह की निगाहें केवल बृजभूषण पर ही टिकी हुई हैं कि अब वह अपने बचाव में आखिर क्या करेंगे? सूत्रों की मानें तो अगर बीजेपी ने उनके खिलाफ कोई सख्त कदम उठाने का फैसला लिया तो वह बीजेपी पार्टी छोड़ कर समाजवादी पार्टी के साथ मे जा सकते हैं.चूके सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने अभी तक इस पूरे मामले में पहलवानों के पक्ष में कोई भी बयान नहीं दिया है और न ही खुलकर कुश्ती संघ अध्यक्ष की उन्होने आलोचना ही की है. बीते दिनों बृजभूषण सिंह भी इस कारण से ही अखिलेश की सराहना भी कर चुके हैं. इस बात से और ज्यादा अंदाजा लगाया जा सकता है कि वह सपा में शामिल हो सकते हैं. उन्होंने कहा था, “अखिलेश जी सच जानते हैं. मुझे राजनीति का शिकार बनाया जा रहा है. मेरे खिलाफ आंदोलन कर रहे पहलवानों का सामाजिक दायरा किसी से छिपा नहीं है.” समाजवादी पार्टी के प्रवक्ताओं को भी बिलकुल साफ निर्देश दिए गए हैं कि वे किसी भी टीवी चैनलों पर बृजभूषण के समर्थन या खिलाफ कोई भी टिप्पणी नहीं करें.सूत्र बताते हैं कि बीजेपी भी इस मामले में कोई बड़ा फैसला लेने से अभी तक बच रही है, क्योंकि पार्टी बिलकुल नहीं चाहती कि पूर्वी उत्तर प्रदेश में उसका प्रभुत्व कुछ कम हो, खासकर उन जगहों पर जहां सिंह की आबादी का दबदबा ज्यादा है. पार्टी के वरिष्ठ कार्यकर्ता के अनुसार, “लोकसभा चुनावों में अब मात्र कुछ महीनों का ही समय रह गया है. बृजभूषण सिंह का करीब 6 से 7 सीटों पर काफ़ी बड़ा प्रभाव है, इसलिए पार्टी ने इस पूरे मामले पर अपनी नजर बना रखी है. हमें उम्मीद है कि यह पूरा मामला जल्द से जल्द ही समाप्त हो जाएगा.” अगर बृजभूषण सिंह समाजवादी पार्टी में शामिल होने की सोचते हैं तो सपा उन्हें अपनी पार्टी में शामिल करने के लिए बिलकुल तैयार हो सकती है.
जाने अभी तक सपा के पास कोई दमदार ठाकुर नेता नहीं है
दरअसल, राजा भैया के साथ रिश्ते खराब होने के कारण से ही पार्टी के पास कोई भी ऐसा दमदार ठाकुर नेता नहीं है, जिसका सीधा प्रभाव वहा की जनता पर पड़ता हो और जो ठाकुरों की वोट को सपा पार्टी की तरफ खींच सके. एक समय यूपीए के पक्ष में वोटिंग करने के कारण बृजभूषण सिंह को बीजेपी ने पार्टी से निकाल दिया था, जिसके बाद वह साल 2008 में ही समाजवादी पार्टी में शामिल हो गए थे. लेकीन साल 2013 में वह एक बार फिर बीजेपी में वापस लौट आए.समाजवादी पार्टी में उनकी वापसी की राह इसलिए भी अब काफ़ी आसान लगती है, क्योंकि पार्टी में उनके सबसे बड़े विरोधी रहे विनोद सिंह ऊर्फ पंडित सिंह अब नहीं हैं, साथ ही बाबरी मामले में भी उनको अब बरी कर दिया गया है.