AIN NEWS 1 | हमीरपुर, यूपी – शनिवार सुबह एक हृदयविदारक दृश्य सामने आया जब एक युवक को अपनी माँ के शव को स्ट्रेचर पर रखकर एक किलोमीटर लंबा पुल पैदल पार करना पड़ा। वजह? जर्जर यमुना पुल की मरम्मत के चलते वहां वाहनों की आवाजाही बंद कर दी गई थी। लेकिन हैरानी की बात यह रही कि सदर विधायक मनोज प्रजापति की गाड़ी को बैरिकेड हटाकर पुल पार करने दिया गया, जबकि एक शव वाहन को रोक दिया गया।
🟢 दर्दनाक मंजर: 4 बार रखा शव, फिर उठाया
टेढ़ा गांव निवासी मान सिंह उर्फ बिंदा की माँ शिवदेवी की कानपुर के अस्पताल में इलाज के दौरान मौत हो गई थी। बेटे ने मां के शव को गांव लाने के लिए एंबुलेंस की व्यवस्था की, लेकिन यमुना नदी पर स्थित पुल पर मरम्मत के कारण एंबुलेंस रोक दी गई। काफी मिन्नतों के बावजूद कर्मचारियों ने रास्ता नहीं दिया।
थक-हारकर बेटे ने स्ट्रेचर निकाला और अकेले ही शव को लेकर पुल पार करना शुरू किया। एक किलोमीटर लंबे इस सफर में चार बार शव को नीचे रखा, फिर हिम्मत जुटाकर उठाया और चला।
🟢 विधायक की गाड़ी को मिली स्पेशल परमिशन
इसी दौरान सदर विधायक डॉ. मनोज प्रजापति की गाड़ी मौके पर पहुंची। कर्मचारियों ने बैरिकेड हटाए और गाड़ी को पुल से निकलने दिया। यह सब तब हुआ जब दूसरी तरफ एक शव वाहन को सख्ती से रोका गया था।
बवाल बढ़ने पर विधायक ने सफाई दी कि उनके भाई की तबीयत बेहद खराब थी, इसलिए उन्हें इलाज के लिए कानपुर भेजना जरूरी था। साथ ही, उन्होंने कहा कि जब उनकी गाड़ी निकाली गई, उस वक्त पुल पूरी तरह बंद नहीं हुआ था।
🟢 प्रशासन और PNC ने दी सफाई
PNC प्रोजेक्ट मैनेजर एम.पी. वर्मा ने बताया कि जब विधायक की गाड़ियाँ पुल से गुजरीं, उस समय पुल बंद करने की प्रक्रिया शुरू ही हो रही थी। लेकिन जब एंबुलेंस आई, तब तक पुल को पूरी तरह बंद कर दिया गया था, इसलिए उसे पार नहीं करने दिया गया।
📢 यह घटना न सिर्फ प्रशासन की संवेदनहीनता को उजागर करती है, बल्कि आम लोगों के लिए VIP संस्कृति के दोहरे मापदंडों की हकीकत भी सामने लाती है।
A heart-wrenching incident occurred in Uttar Pradesh’s Hamirpur where a helpless son had to carry his mother’s dead body on a stretcher and walk over a one-kilometer bridge after officials denied passage to the ambulance due to bridge repairs. Ironically, a VIP vehicle belonging to local MLA Manoj Prajapati was allowed to pass just moments earlier. The incident has sparked outrage and criticism over administrative apathy and VIP favoritism.