Thursday, November 21, 2024

उर्फी जावेद: संघर्ष की कहानी और फैशन की दुनिया में छाई नई पहचान?

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AIN NEWS 1 : उर्फी जावेद की कहानी एक प्रेरणादायक यात्रा है, जो हर किसी को प्रभावित करती है। यह 26 साल की अभिनेत्री न सिर्फ अपने फैशन सेंस के लिए जानी जाती हैं, बल्कि उनकी जिंदगी की चुनौतियां और उनके धर्म के प्रति दृष्टिकोण भी लोगों के बीच चर्चा का विषय बने हुए हैं।

शुरुआत: एक संघर्षपूर्ण जीवन की शुरुआत

15 अक्टूबर 1997 को लखनऊ में एक रूढ़िवादी मुस्लिम परिवार में जन्मी उर्फी जावेद का बचपन आसान नहीं था। चार भाई-बहनों में सबसे बड़ी उर्फी ने एक कठिन माहौल में अपने जीवन की शुरुआत की। उनके पिता का व्यवहार काफी सख्त और अत्याचारी था, जिससे उर्फी और उनके परिवार को कई मुश्किलें झेलनी पड़ीं।

दिल्ली का सफर और नई शुरुआत

जब उर्फी की उम्र 17 साल थी, उन्होंने अपने परिवार से दूर जाने का निर्णय लिया और लखनऊ छोड़कर दिल्ली आ गईं। यहां पर उनका सामना कई कठिनाइयों से हुआ, जैसे कि रहने की जगह और रोजमर्रा की ज़रूरतें पूरी करने की समस्या। बावजूद इसके, उर्फी ने हार मानने के बजाय कॉल सेंटर की नौकरी की और ट्यूशन पढ़ाने का काम भी किया।

मुंबई का सफर और एक्टिंग करियर की शुरुआत

मुंबई पहुंचने के बाद उर्फी ने टीवी इंडस्ट्री में कदम रखा। उनके करियर की शुरुआत 2016 में ‘बड़े भैया की दुल्हनिया’ सीरियल से हुई। इसके बाद उन्होंने ‘चंद्र नंदिनी’ और ‘मेरी दुर्गा’ जैसे लोकप्रिय सीरियलों में भी काम किया। लेकिन, उनकी पहचान ‘बिग बॉस ओटीटी’ के बाद बननी शुरू हुई, जहां उनके अनोखे फैशन सेंस ने लोगों का ध्यान खींचा।

फैशन के साथ सामाजिक मुद्दों पर भी खुलकर बात की

उर्फी जावेद को अपने फैशन स्टाइल के लिए अक्सर चर्चा में रखा जाता है। वह कभी कूड़ेदान की पन्नी से ड्रेस बना लेती हैं तो कभी फोन-चार्जर से। उनका यह अनोखा और बेबाक अंदाज सोशल मीडिया पर बहुत लोकप्रिय है, और उनके इंस्टाग्राम पर 4.9 मिलियन फॉलोअर्स हैं।

धर्म और पारिवारिक मुद्दे

उर्फी जावेद ने सार्वजनिक रूप से स्वीकार किया है कि वह किसी धर्म में विश्वास नहीं करतीं और उन्होंने इस्लाम का पालन नहीं किया। उन्होंने यह भी कहा कि अगर उनके पास विकल्प होता तो वह मुस्लिम व्यक्ति से शादी भी नहीं करतीं। इसके साथ ही, उर्फी ने भगवद् गीता पढ़ने की बात भी साझा की है।

पिता का अत्याचार और नई जिंदगी

‘ह्यूमंस ऑफ बॉम्बे’ के साथ एक इंटरव्यू में उर्फी ने बताया कि उनके पिता ने उनके बचपन में बहुत अत्याचार किया। इस अत्याचार के चलते, उन्होंने 17 साल की उम्र में आत्महत्या के विचार भी किए। उनके पिता ने बाद में दूसरी शादी कर ली है, और उर्फी की मां को अकेला छोड़ दिया।

पारिवारिक मामलों पर उनका दृष्टिकोण

उर्फी जावेद ने अपनी टीवी सीरीज ‘फॉलो कर लो यार’ में अपने परिवार की कठिनाइयों को दिखाया है। उन्होंने अपने माता-पिता के तलाक की बात की है और यह भी बताया कि उनकी मां को उनके पिता द्वारा काफी तकलीफें उठानी पड़ीं। उर्फी चाहती हैं कि उनकी मां और बहनें मुंबई आकर नया जीवन शुरू करें और अपना करियर बनाएं।

उर्फी जावेद की कहानी केवल उनके संघर्ष और सफलता की कहानी नहीं है, बल्कि यह एक व्यक्ति की ताकत और इच्छाशक्ति का प्रतीक भी है। उन्होंने कठिन परिस्थितियों का सामना किया और अपनी खुद की पहचान बनाई। उनके जीवन के विभिन्न पहलू उनके फैशन के साथ-साथ उनके मानसिक और भावनात्मक परिपक्वता को भी दर्शाते हैं।

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सत्यमेव जयते नानृतं सत्येन पन्था विततो देवयानः।
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