AIN NEWS 1 | भारत और अमेरिका के बीच टैरिफ (शुल्क) विवाद एक बार फिर सुर्खियों में है। इसी बीच अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से राजनीतिक लॉबिस्ट जेसन मिलर की मुलाकात ने सबका ध्यान अपनी ओर खींच लिया है। यह मुलाकात वॉशिंगटन डीसी में हुई, जहां मिलर ने ट्रंप के साथ अपनी तस्वीर साझा करते हुए लिखा – “वॉशिंगटन में शानदार सप्ताह बिताया। कई दोस्तों से मुलाकात हुई और सबसे अहम पल था राष्ट्रपति को एक्शन में देखना।”
भले ही इस बैठक का आधिकारिक एजेंडा सार्वजनिक नहीं किया गया, लेकिन इसकी टाइमिंग बेहद अहम है। वर्तमान में भारत और अमेरिका के बीच टैरिफ विवाद गहराता जा रहा है और दोनों देशों के व्यापारिक रिश्तों पर पूरी दुनिया की नजर टिकी है।
जेसन मिलर कौन हैं?
जेसन मिलर अमेरिकी राजनीति में किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं। वे लंबे समय से ट्रंप के बेहद करीबी माने जाते हैं।
साल 2016 में ट्रंप के चुनाव अभियान के दौरान वे प्रमुख मीडिया प्रवक्ता रहे।
उन्हें व्हाइट हाउस का कम्युनिकेशन डायरेक्टर बनाया जाना था, लेकिन निजी विवादों और आरोपों के चलते उन्होंने यह पद संभाला नहीं।
उन पर यौन उत्पीड़न और निजी संबंधों से जुड़े विवादों के आरोप भी लगे।
विवादों के बावजूद, मिलर ट्रंप के राजनीतिक दायरे का हिस्सा बने रहे और 2020 व 2024 के चुनाव अभियानों में मुख्य रणनीतिक सलाहकार रहे।
साल 2020 में उन्होंने SHW Partners LLC नाम की कंपनी की स्थापना की और विदेशी लॉबिस्ट के तौर पर रजिस्टर्ड हुए।
भारत सरकार से मिला बड़ा कॉन्ट्रैक्ट
सार्वजनिक दस्तावेज बताते हैं कि अप्रैल 2025 में भारत सरकार ने जेसन मिलर की कंपनी SHW Partners LLC को एक साल के अनुबंध पर नियुक्त किया।
कॉन्ट्रैक्ट राशि: 1.8 मिलियन डॉलर (करीब ₹15 करोड़)
मासिक फीस: 1,50,000 डॉलर
काम:
अमेरिकी सरकार और कांग्रेस के साथ भारत के पक्ष में लॉबिंग
थिंक टैंक और शैक्षणिक संस्थानों तक भारत की पहुंच मजबूत करना
रणनीतिक परामर्श और सरकारी संबंधों में सहयोग
यह अनुबंध बताता है कि भारत सरकार ने अमेरिका में अपनी कूटनीतिक पकड़ और मजबूत करने के लिए एक अनुभवी और प्रभावशाली लॉबिस्ट को चुना है।
टैरिफ विवाद की पृष्ठभूमि
हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारतीय आयात पर 50% टैरिफ लगाने का ऐलान किया था। उनका कहना है कि भारत रूस से तेल आयात करके वैश्विक बाजार में अनुचित लाभ ले रहा है और इससे अमेरिकी अर्थव्यवस्था को नुकसान हो रहा है।
भारत ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा है कि उसकी ऊर्जा नीति पूरी तरह राष्ट्रीय हितों और ऊर्जा सुरक्षा पर आधारित है और किसी भी अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध का उल्लंघन नहीं करती।
इस विवाद के कारण भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक रिश्तों में तनाव बढ़ गया है।
क्यों अहम है यह मुलाकात?
ऐसे समय में जब दोनों देशों के बीच टैरिफ विवाद गहराता जा रहा है, ट्रंप और जेसन मिलर की मुलाकात कई मायनों में महत्वपूर्ण है।
भारत सरकार के लिए रणनीतिक लाभ – मिलर को लॉबिस्ट नियुक्त करने का फैसला यह दर्शाता है कि भारत सीधे अमेरिकी राजनीतिक सर्कल तक पहुंच बनाना चाहता है।
ट्रंप से करीबी संबंध – चूंकि ट्रंप मिलर के पुराने सहयोगी हैं, ऐसे में उनकी भूमिका भारत के लिए और प्रभावशाली हो सकती है।
संभावित नरमी की उम्मीद – यह संभावना जताई जा रही है कि लॉबिंग के जरिए भारत पर लगे टैरिफ में भविष्य में कुछ नरमी आ सकती है।
जेसन मिलर और ट्रंप की दोस्ती
मिलर और ट्रंप का रिश्ता महज राजनीतिक नहीं बल्कि व्यक्तिगत स्तर पर भी काफी मजबूत है। ट्रंप के हर बड़े चुनावी अभियान में मिलर ने अहम भूमिका निभाई है। उनकी यही नजदीकी उन्हें भारत सरकार के लिए एक मजबूत लॉबिस्ट बनाती है।
भारत के लिए आगे की राह
भारत सरकार की रणनीति साफ है –
अमेरिका में अपने हितों की रक्षा करना
टैरिफ जैसे मुद्दों पर डायरेक्ट लॉबिंग के जरिए हल निकालना
अमेरिकी थिंक टैंक और संस्थानों तक अपनी बात मजबूती से पहुंचाना
जेसन मिलर जैसे लॉबिस्ट के जरिए भारत न केवल अपनी व्यापारिक चिंताओं को सामने रख पाएगा बल्कि ट्रंप प्रशासन पर भी प्रभाव डाल सकता है।
भारत और अमेरिका के बीच टैरिफ विवाद फिलहाल आसान होता नहीं दिख रहा है। लेकिन जेसन मिलर जैसे लॉबिस्ट की एंट्री यह संकेत देती है कि भारत ने इस लड़ाई को केवल कूटनीतिक मंच तक सीमित नहीं रखा है, बल्कि सीधे अमेरिकी राजनीतिक गलियारों तक पहुंच बनाने की कोशिश की है।
भविष्य में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या मिलर की लॉबिंग भारत पर लगे टैरिफ को कम कराने या हटाने में मददगार साबित होती है या नहीं।