AIN NEWS 1 | हरियाणा के लोकप्रिय फिल्म अभिनेता उत्तर कुमार, जिन्हें ग्रामीण परिवेश और समाज से जुड़े किरदारों के लिए जाना जाता है, हाल ही में एक गंभीर आरोप के चलते गिरफ्तार किए गए। उनके खिलाफ युवती की शिकायत पर आईपीसी की धारा 375 (बलात्कार) और एससी-एसटी एक्ट के तहत मामला दर्ज हुआ। पुलिस ने उन्हें हिरासत में लेकर जेल भेज दिया।
लेकिन उनकी गिरफ्तारी के बाद स्थिति अचानक बदल गई। सोशल मीडिया, गांवों की चौपाल और फिल्म प्रेमियों के बीच गहरी नाराज़गी फैल गई। लाखों लोग उनके समर्थन में उतर आए और गिरफ्तारी को गलत ठहराते हुए न्याय की मांग करने लगे।
सोशल मीडिया पर #JusticeForUttarKumar की गूंज
उत्तर कुमार की गिरफ्तारी के तुरंत बाद सोशल मीडिया पर उनके समर्थन की बाढ़ आ गई।
ट्विटर (X) पर #JusticeForUttarKumar लगातार ट्रेंड कर रहा है।
फेसबुक पर हजारों पोस्ट और वीडियो वायरल हो चुके हैं।
यूट्यूब पर लोग लाइव आकर अपनी राय रख रहे हैं।
👉 एक यूजर ने लिखा – “उत्तर कुमार जैसे कलाकार को फंसाना हमारी संस्कृति और सिनेमा के लिए बड़ा झटका है। हम उनके साथ खड़े हैं।”
👉 दूसरे ने लिखा – “अगर कोई रिश्ता आपसी सहमति से बना है, तो उसे रेप कहना कानून का दुरुपयोग है।”
👉 वहीं इंस्टाग्राम पर एक फैन ने लिखा – “उत्तर कुमार ने गांव की असलियत को फिल्मों में दिखाया है। आज जब उन्हें न्याय चाहिए, तो पूरा हरियाणा उनके साथ है।”
सहमति और कानून पर उठे सवाल
उत्तर कुमार का पक्ष रखने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता ए. सुरेश पाल ने मीडिया और अदालत में तर्क दिया कि यह मामला आपसी सहमति से बने संबंधों का है। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के कई फैसलों का हवाला देते हुए कहा कि यदि महिला अपनी इच्छा से संबंध बनाती है, तो उसे बाद में बलात्कार कहना कानून और न्याय, दोनों के खिलाफ है।
एडवोकेट पाल ने कहा कि ऐसे मामले केवल व्यक्तिगत जीवन को नहीं, बल्कि पूरे समाज में कानून की विश्वसनीयता को भी प्रभावित करते हैं।
पुलिस की भूमिका पर सवाल
एडवोकेट पाल ने विशेष रूप से गाजियाबाद पुलिस की जांच पर गंभीर आपत्ति जताई। उनका कहना है कि पुलिस ने तथ्यों को तोड़-मरोड़कर पेश किया और अदालत के सामने सही जानकारी नहीं रखी।
उन्होंने यह भी कहा कि अगर युवती ने खुद स्वीकार किया है कि संबंध उसकी इच्छा से बने, तो धारा 375 और 376 का इस्तेमाल करना कानूनी त्रुटि है।
जनता का गुस्सा और समर्थन
उत्तर कुमार का प्रभाव केवल फिल्मों तक सीमित नहीं है। वे हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के गांवों में एक लोकप्रिय चेहरा हैं। उनकी फिल्मों के संवाद और किरदार आज भी चौपालों पर चर्चा का विषय रहते हैं।
👉 एक बुजुर्ग ने गांव की चौपाल में कहा – “उत्तर ने हमेशा समाज को संदेश दिया है। उसे इस तरह बदनाम करना गलत है।”
👉 एक कॉलेज छात्रा ने कहा – “हमारी पसंदीदा फिल्मों का हीरो अगर निर्दोष है, तो उसे तुरंत रिहा किया जाना चाहिए।”
अदालत की ओर सबकी निगाहें
फिलहाल मामला अदालत में विचाराधीन है। लेकिन सोशल मीडिया और गांवों से उठ रही आवाजें अब न्यायपालिका तक पहुंच चुकी हैं।
कानून विशेषज्ञों का मानना है कि सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के पुराने फैसले इस केस में अहम भूमिका निभा सकते हैं। अगर अदालत ने इन्हें ध्यान में रखा, तो उत्तर कुमार को न्याय मिलने की पूरी संभावना है।
कानून या कानून का दुरुपयोग?
यह विवाद केवल एक अभिनेता की गिरफ्तारी तक सीमित नहीं है। यह एक बड़ा सवाल खड़ा करता है – क्या आपसी सहमति से बने संबंधों को बाद में रेप बताना उचित है?
कानून विशेषज्ञ मानते हैं कि अदालत को ऐसे मामलों में बेहद सावधानी बरतनी चाहिए, ताकि न तो निर्दोष को सज़ा मिले और न ही पीड़िता को न्याय से वंचित किया जाए।
जनता की उम्मीदें और भविष्य
उत्तर कुमार के समर्थकों का कहना है कि अगर उन्हें जल्द न्याय नहीं मिला, तो यह उनकी छवि और करियर पर गहरा दाग छोड़ देगा।
लेकिन लोगों की उम्मीद है कि अदालत में सच्चाई सामने आएगी और उत्तर कुमार को न्याय मिलेगा। यह मामला एक बड़े सामाजिक और कानूनी विमर्श का रूप ले चुका है।
उत्तर कुमार की गिरफ्तारी केवल एक कानूनी केस नहीं रही, बल्कि यह जनता की भावनाओं और सोशल मीडिया की ताकत का उदाहरण बन गई है।
गांव की चौपाल से लेकर ट्विटर तक हर जगह यही आवाज गूंज रही है – “अगर रिश्ता सहमति से था, तो इसे अपराध कहना न्याय के साथ अन्याय है।”
अब देखना यह है कि अदालत का फैसला क्या दिशा लेता है और क्या उत्तर कुमार को जल्द ही न्याय मिलेगा।