AIN NEWS 1: उत्तर प्रदेश के रुहेलखंड इलाके में एक मुस्लिम लड़की ने की घर वापसी युवती का कहना है कि हलाला से उसका डर ही इस्लाम से नाता तोड़कर अब सनातन की राह चुनने का कारण बना है। यह युवती समरीन अब शुद्धिकरण के बाद से सुमन बन गई है और वैदिक रीति रिवाज से इसने अग्नि को साक्षी मानकर अपने हिन्दू मित्र मित्रपाल यादव के साथ मे विवाह के पवित्र बंधन में बंध गई है। समरीन से सुमन बनकर उसने बताया कि सनातन धर्म में महिलाओं और बेटियों का बहुत बड़ा सम्मान है, जबकि इस्लाम में इसकी कहानी इसके बिल्कुल ही उलटी है। सुरक्षा और सम्मान की खातिर ही उसके जैसी बेटियां सनातन धर्म में अब वापसी कर रही हैं।इस्लामिक परिवेश में ही पली बढ़ी समरीन बरेली जिले में कुंआ डांडा सेंथल गांव की रहने वाली बताई जा रही है।
सनातन धर्म अपनाने के बाद उसे सुमन यादव के रूप में अपनी पहचान मिली है। महज प्राइमरी तक ही शिक्षा ग्रहण करने वाली सुमन ने बालिग होने के अपने प्रमाण प्रस्तुत कर स्वेच्छा से मित्रपाल यादव को अपना जीवन साथी बनाने की बात कही है। समरीन ने सुमन बनी युवती ने इस दौरान कहा कि उसे शुरू से ही सनातन संस्कृति में आस्था रही है। हिन्दू परिवारों में महिलाओं का होता हुआ सम्मान देखकर उसे भी वैसे ही जीवन जीने की इच्छा होती थी। उसके बालिग होने के बाद उसने हिन्दू धर्म में अपनी घर वापसी का कदम उठा लिया। इसके लिए न उस पर किसी भी प्रकार का कोई दबाव था और न किसी ने इसके लिए उसे उकसाया ही था।उसका जीवन साथी बना मित्रपाल यादव बरेली में ही इज्जतनगर क्षेत्र के गांव बरकापुर का रहने वाला बताया जा रहा है। एक विवाह समारोह के दौरान ही मित्रपाल और समरीन की मुलाकात हुई थी और उसके कुछ देर की बातचीत में दोनों दोस्त बन गए। मित्रपाल भी कुछ ज्यादा पढ़ लिखा नहीं है लेकिन उसकी प्राइवेट नौकरी कर अच्छी आमदनी कर लेता है। मित्रपाल से दोस्ती का पता होने पर समरीन के घरवालों ने उस पर कई तरह की पाबंदियां लगा दी थीं। जिनसे परेशान होकर समरीन ने अपना घर छोड़ दिया और बरेली के अगस्त्य मुनि आश्रम पहुंचकर हिन्दू धर्म अपनाने की अपनी इच्छा जताई।
आश्राम के आचार्य पंडित केके शंखधार ने उसके बालिग होने के प्रमाण देखने के बाद ही उनके शुद्धिकरण के बाद सनातन धर्म में समरीन की घर वापसी भी कराई।पंडित केके शंखधार लंबे समय से ही इस तरह से घर वापसी करा रहे हैं। मीडिया से बातचीत में आचार्य शंखधार ने कहा कि गंगाजल व गौमूत्र से इनका शुद्धिकरण कराने के बाद वैदिक मंत्रों का जाप कराया जाता है। इसके बाद वैदिक रीति रिवाज से ही विवाह की रस्में पूरी कराई जाती हैं। समरीन ने खुद अपनी मर्जी से ही शादी करने व घर वापसी का उन्हे शपत्रपत्र भी दिया है। पंडित केके शंखधार अभी तक कुल 117 मुस्लिम लड़कियों की घर वापसी करा चुके हैं।सनातन धर्म में घर वापसी समरीन से सुमन यादव बनी युवती ने भी कहा कि इस्लाम में में महिलाओं की कोई भी इज्जत नहीं है। बहा पर बिना बुर्के के घर से नहीं निकल सकते। किसी से बात भी नहीं कर सकते। घर में भी कोई आये तो वहां भी परिवार के लोग ही इनपर पूरी नजर रखते हैं। यानी घर के अंदर भी वह केवल कैद की तरह ही रहना पड़ता है। उसे तो इस्लाम शुरु से पसंद नहीं था। वह कभी नमाज भी नहीं पढ़ती थी। जब मैं अपनी हिंदू सहेलियों के घर जाती तो वहां का माहौल मुझे बहुत अच्छा लगता। हिन्दू परिवारों में बहू-बेटियां साड़ी या सूट सलवार पहने हुए दिखती थीं। उन पर कहीं कोई भी पाबंदी नजर नहीं आती थी। हिन्दू धर्म में घर वापसी के बाद अब उसे किसी से भी हलाला का कोई डर नहीं रहा है। उसे बुर्का से भी पूरी तरह से आजादी मिल गई है। युवती ने कहा उसके सनातन धर्म अपनाने से उसके घरवाले चिढ़ गए हैं और उसे या उसके पति के साथ वह कोई अनहोनी कर सकते हैं। इसके लिए उसने पुलिस से सुरक्षा की मांग भी की है।