Uttarkashi Tunnel: सिलक्यारा सुरंग में फसे मजदूरों तक पहुंचने के लिए एक साथ 5 विकल्पों पर हो रहा है काम, 2 से ढाई दिन और लगेंगे!

जैसा कि आप जानते है उत्तराखंड में ढही सिलक्यारा सुरंग में अभी भी बचाव कार्य रविवार को भी लगभग रुका रहा और इस दौरान सभी एजेंसियों ने पिछले एक हफ्ते से ही यहां पर फंसे 41 लोगों तक पहुंचने के लिए अब बचाव अभियान के अगले चरण के लिए स्वयं को तैयार किया।

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AIN NEWS 1 देहरादूनः जैसा कि आप जानते है उत्तराखंड में ढही सिलक्यारा सुरंग में अभी भी बचाव कार्य रविवार को भी लगभग रुका रहा और इस दौरान सभी एजेंसियों ने पिछले एक हफ्ते से ही यहां पर फंसे 41 लोगों तक पहुंचने के लिए अब बचाव अभियान के अगले चरण के लिए स्वयं को तैयार किया। इस दौरान अधिकारियों ने कहा कि इस सुरंग में एक वर्टिकल पाइप को डालने के लिए एक ही दिन में ही मलबे के पहाड़ की चोटी तक एक सड़क बनाई गई है। इसके अलावा, टिहरी जलविद्युत विकास निगम (टीएचडीसी) बड़कोट छोर से ही ‘माइक्रो टनलिंग’ का काम भी शुरू करेगा, जिसके लिए भारी मशीनरी भी पहले से ही जुटाई जा चुकी है। टीएचडीसी भी रविवार रात से ही अपना काम शुरू कर देगा। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने भी रविवार को कहा कि उत्तराखंड की सिल्क्यारा सुरंग में अभी तक फंसे श्रमिकों को बचाने की हर मुमकिन कोशिश हमारी तरफ़ से हो रही है। उन्हें जल्द ही सुरक्षित बाहर निकालना सरकार की अभी सबसे बड़ी प्राथमिकता है। इसके लिए हम इस समय एक साथ ही क़रीब छह विकल्पों पर काम कर रहे हैं।गडकरी ने इस दौरान कहा कि प्रधानमंत्री दफ्तर भी इस रेस्क्यू अभियान की करीब से ही निगरानी कर रहा है। इस बीच, सुरंग के ऊपर से ही वर्टिकल ड्रिलिंग के लिए भी अस्थायी रास्ता तैयार कर लिया गया है। एक पोकलैंड मशीन भी ऊपर पहुंचा दी गई है। इस निर्माणाधीन सुरंग का सिलक्यारा की ओर से ही मुहाने से लगभग 270 मीटर अंदर करीब 30 मीटर का हिस्सा पिछले रविवार सुबह करीब साढ़े पांच बजे अचानक ढह गया था और तब से श्रमिक उसके अंदर ही फंसे हुए हैं। उन्हें वहां से निकालने के लिए युद्धस्तर पर बचाव एवं राहत अभियान भी चलाया जा रहा है। सिलक्यारा छोर से ही 60 मीटर की दूरी पर ढहे हुए हिस्से के मलबे के बीच में ही बोरिंग को शुक्रवार दोपहर तब रोक दिया गया था जब वहां अमेरिका निर्मित ऑगर मशीन को लगभग 22 मीटर के बाद एक कठोर बाधा का सामना करना पड़ा।

जान ले बचाव अभियान की पूरी समीक्षा

इसके बाद से शुकवार को इस बचाव अभियान की पुन: समीक्षा भी की गई। अधिकारियों ने इस निर्माणाधीन सुरंग के अंदर फंसे सभी श्रमिकों तक पहुंचने के लिए कई सारी वैकल्पिक योजनाएं बनाईं। केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने भी मौके पर इस बचाव कार्यों की समीक्षा करने के बाद उन्होने संवाददाताओं से कहा कि वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए अमेरिकी ऑगर मशीन से भी मलबे में क्षैतिज ड्रिलिंग करना सुरंग में फंसे श्रमिकों तक सबसे जल्दी पहुंचने का एक तरीका है। उन्होंने इसके लिए ढाई दिन में सफलता मिलने की उम्मीद जताई।दिल्ली में सरकार ने मीडिया को जारी विज्ञप्ति में कहा कि बचावकर्मियों के लिए सुरक्षा व्यवस्था किए जाने के बाद से यह ड्रिलिंग सोमवार को फिर से ही शुरू होगी। बचावकर्मियों ने रविवार शाम तक मलबे में क़रीब 39 मीटर तक छह इंच चौड़ी ट्यूब डाल दी। यह ट्यूब जब इस ढहे हुए हिस्से को पार कर जाएगी, तो उन फंसे हुए श्रमिकों को इस पाइप के माध्यम से ही भोजन और पानी भी भेजा जाएगा। अधिकारियों ने इस दौरान बताया कि चार इंच के एक छोटे पाइप का उपयोग ‘कंप्रेशन’ (दबाव) के लिए ही किया जा रहा है और इसके माध्यम से वहा पर भोजन, पानी, ऑक्सीजन और दवाइयां भी भेजी जा रही हैं।

वहा पर वर्टिकल पाइप पर भी काम शुरू

इस विज्ञप्ति में बताया गया है कि जिस हिस्से में यह मजदूर फंसे हैं वह सुरंग के निर्मित हिस्से का ही लगभग दो किलोमीटर का हिस्सा है और यह 8.5 मीटर ऊंचा भी है तथा वहां पर बिजली और पानी उपलब्ध है। रेल विकास निगम लिमिटेड ने इस मलबे के पहाड़ की चोटी तक ही पहुंच मार्ग का काम पूरा होने के बाद से आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति के लिए लंबवत पाइपलाइन पर भी काम शुरू कर दिया है। केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने भी रविवार को कहा कि सिलक्यारा सुरंग में फंसे हुए श्रमिकों को बचाने की हर मुमकिन कोशिश सरकार द्वारा की जा रही है और उन्हें जल्द से जल्द बाहर निकालना ही सरकार की अभी सबसे बड़ी प्राथमिकता है।मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के साथ ही मौके पर पहुंचे केंद्रीय मंत्री ने कहा कि विषम हिमालयी परिस्थितियों को देखते हुए बचाव अभियान काफ़ी ज्यादा चुनौतीपूर्ण है। उन्होंने कहा कि यहां मिट्टी का स्तर भी एक समान नहीं है तथा यह पर मुलायम और कठोर दोनों है जिससे यांत्रिक अभियान चलाया जाना काफ़ी मुश्किल है। गडकरी ने कहा, ‘‘अमेरिकी ऑगर मशीन जब मुलायम मिट्टी में ड्रिलिंग कर रही थी तब भी वह सही तरीके से काम कर रही थी, लेकिन जब इसके सामने अन्दर एक कठोर बाधा आई तो समस्या आने लगी। इस कारण से इस मशीन को ज्यादा दवाब डालना पड़ा जिससे कंपन हुआ और सुरक्षा कारणों से इसे फिलहाल रोक दिया गया।’’

उन्होने कहा एक साथ 6 विकल्पों पर चल रहा है कामः नितिन गडकरी

केंद्रीय मंत्री ने आगे कहा कि सुरंग में फंसे मजदूरों और उनके परिजनों के मनोबल को अच्छे से बनाए रखना इस समय सबकी सामूहिक जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा, ‘‘हम इस समय भी एक साथ छह विकल्पों पर काम कर रहे हैं। प्रधानमंत्री कार्यालय भी इस बचाव अभियान की काफ़ी करीब से निगरानी कर रहा है। हमारी सबसे बड़ी प्राथमिकता यहां पर सभी फंसे श्रमिकों को जल्द से जल्द बचाना है। उसके लिए जो भी जरूरी होगा, वह किया जाएगा।’’ गडकरी ने आगे कहा कि जिस भी मशीन की या तकनीकी सहायता की जरूरत वहां पर होगी, वह भी उपलब्ध कराई जाएगी।उन्होंने कहा कि वहा फंसे हुए श्रमिकों को लगातार ऑक्सीजन, बिजली, खाना, पानी और दवाइयां भी उपलब्ध कराई जा रही हैं। गडकरी ने कहा कि जिस पाइप से अब तक उन्हे खाने की आपूर्ति की जा रही है, उसके अलावा एक ज्यादा बड़े व्यास का भी वैकल्पिक पाइप डाला गया गया है ताकि उन्हें अब रोटी, सब्जी और चावल भी वहा पर उपलब्ध कराया जा सके। केंद्रीय मंत्री ने आगे कहा कि विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञों को इकट्ठा कर उनसे भी सलाह मांगी गई है कि फंसे श्रमिकों को सकुशल जल्द से जल्द बाहर निकालने के लिए क्या क्या तरीके अपनाए जाएं।उन्होंने कहा कि सुरंग के ऊपर से ही वर्टिकल ड्रिलिंग शुरू करने के लिए तैयारियां चल रही हैं और मजदूरों को जल्द ही बाहर निकालने के लिए हरसंभव तरीका सरकार द्वारा अपनाया जा रहा है। उत्तराखंड के आपदा प्रबंधन सचिव रंजीत कुमार सिन्हा ने कहा कि मंत्री ने भी सुझाव दिया है कि मलबे की चोटी और सुरंग की छत के बीच में जगह हो सकती है और रोबोट द्वारा यह भी पता लगाया जा सकता है कि क्या एक और पाइप को अंदर धकेला जा सकता है।

वहा मजदूरों को भेजी जा रही हैं ऐंटी डिप्रेशन की दवाएं

सड़क, परिवहन एवं राजमार्ग सचिव अनुराग जैन ने भी रविवार को कहा कि केंद्र सरकार 12 नवंबर से ही उत्तरकाशी में सिलक्यारा सुरंग में फंसे हुए 41 श्रमिकों को सुरक्षित निकालने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है और वह इसके लिए पांच-विकल्प वाली अपनी कार्ययोजना पर काम कर रही है। जैन ने उत्तरकाशी सुरंग बचाव अभियान पर अद्यतन जानकारी मुहैया कराने के लिए एक वीडियो भी जारी किया। उन्होंने कहा कि सरकार सभी मजदूरों को वहा से सुरक्षित निकालने के लिए पूर्ण रूप से प्रतिबद्ध है और श्रमिकों को मल्टीविटामिन, अवसाद रोधी दवाएं तथा सूखे मेवे भी भेजे जा रहे हैं।उन्होंने आगे कहा, ‘‘पांच विकल्प तय किए गए हैं और इन विकल्पों को ही पूरा करने के लिए पांच अलग-अलग एजेंसियां भी तय की गई हैं। पांच एजेंसियां अर्थात् तेल और प्राकृतिक गैस निगम (ओएनजीसी), सतलुज जल विद्युत निगम (एसजेवीएनएल), रेल विकास निगम लिमिटेड (आरवीएनएल), राष्ट्रीय राजमार्ग एवं अवसंरचना विकास निगम लिमिटेड (एनएचआईडीसीएल) और टिहरी हाइड्रो डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन लिमिटेड (टीएचडीसीएल) को यह जिम्मेदारियां सौंपी गई हैं।’’उत्तरकाशी जिला मुख्यालय से ही करीब 30 किलोमीटर की दूरी पर स्थित सिलक्यारा सुरंग में केंद्र सरकार की एक महत्वाकांक्षी चारधाम ‘आलवेदर सड़क’ (हर मौसम में आवाजाही के लिए खुली रहने वाली सड़क) परियोजना का ही हिस्सा है। इस सुरंग का निर्माण राष्ट्रीय राजमार्ग एवं अवसंरचना विकास निगम लिमिटेड (एनएचआईडीसीएल) के तहत ही किया जा रहा है। जैन ने यह भी बताया कि सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) द्वारा केवल एक दिन में ही एक पहुंच मार्ग का निर्माण भी पूरा किए जाने के बाद आरवीएनएल ने आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति के लिए भी एक और लंबवत पाइपलाइन पर काम करना शुरू कर दिया है।फंसे हुए मजदूरों को निकालने के लिए एसजेवीएनएल लंबवत ड्रिलिंग भी करेगा। तदनुसार, रेलवे के माध्यम से ही गुजरात और ओडिशा से उपकरण भी जुटाए गए हैं क्योंकि लगभग 75-टन उपकरण होने के कारण इसे हवाई मार्ग से नहीं ले जाया जा सकता था। गहरी ड्रिलिंग में विशेषज्ञता रखने वाले ओएनजीसी ने भी बरकोट छोर से लंबवत ड्रिलिंग का अपना शुरुआती काम भी शुरू कर दिया है। केंद्र सरकार ने शनिवार को एक उच्चस्तरीय बैठक भी की थी, जिसमें श्रमिकों को बचाने के लिए ही पांच विकल्पों पर विभिन्न एजेंसियों के साथ विस्तार से चर्चा की गई जिन्हें विशिष्ट विकल्पों पर काम करने की जिम्मेदारी भी सौंपी गई थी।एनएचआईडीसीएल के प्रबंध निदेशक महमूद अहमद को सभी केंद्रीय एजेंसियों के साथ ही समन्वय का प्रभारी बनाया गया है और उन्हें सिलक्यारा में ही तैनात किया गया है। जैन ने कहा कि सरकार लगातार ही संपर्क बनाए हुए है और सुरंग के अंदर फंसे मजदूरों का मनोबल भी बनाए रखने के लिए हरसंभव प्रयास कर रही है। उन्होंने कहा, ‘‘जिस क्षेत्र में यह सभी मजदूर फंसे हुए हैं, वह 8.5 मीटर ऊंचा और दो किलोमीटर तक लंबा है। इसमें सुरंग का निर्मित हिस्सा भी शामिल है जहां कंक्रीटिंग का काम लगभग पूरा हो गया है, जिससे इन श्रमिकों को सुरक्षा भी मिल रही है।’’

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