AIN NEWS 1: पापा…ये लोग मुझे मारने की कोशिश किए थे। आप अभी पुलिस को फोन करिए…अभी फोन करिए। राजू के जीजा को फोन करिए। इन सबको जेल भेजिए। मम्मी कहीं…मम्मी कहीं कहने के बाद उसकी सांसें उखड़ने लगती हैं। आगे उसके मुंह से बोल ही नहीं निकल पाते। तभी उसमें से एक कोई व्यक्ति कहता है हालत खराब हो रही है। इसकी जल्द NISU में भर्ती कराइए।
कर्नलगंज में अभी 3 साल पहले ही ब्याही गई डेंगू पीड़िता ज्योति वर्मा ने ये बातें मरने से कुछ घंटे पहले ही अपने माता-पिता और भाई के सामने मदनानी अस्पताल के स्ट्रेचर पर ही रो-रोकर कहा था। इस वीडियो के ठीक 5 घंटे बाद ज्योति की मौत भी हो जाती है।
मौत के बाद मायके पक्ष के लोगों ने अस्पताल में काफ़ी हंगामा किया। मायके और ससुराल पक्ष के बीच मारपीट भी होने लगी तो अस्पताल प्रशासन ने पुलिस को तत्काल सूचना दी। पुलिस ने दोनों पक्षों को समझाने के बाद मामले को किसी तरह से शांत कराया और शव पोस्टमॉर्टम के लिए स्वरूप रानी नेहरू मेडिकल कॉलेज में भेजा।
ज्योति को 25 अक्टूबर को गंभीर अवस्था में मदनानी अस्पताल में ही भर्ती कराया गया था। उसी दौरान का एक वीडियो सामने आया है जिसमें ज्योति ने अपने पति, सास व ससुर पर उसे जान से मारने के प्रयास का आरोप विडियो में लगाया था।
बता दें ज्योति को 25 अक्टूबर को गंभीर अवस्था में मदनानी अस्पताल में ही भर्ती कराया गया था। उसी दौरान का एक वीडियो सामने आया है जिसमें ज्योति ने अपने पति, सास व ससुर पर जान से मारने के प्रयास का आरोप लगाया था।
उसकी 14 मार्च 2019 को हुई थी शादी
इंस्पेक्टर खुल्दाबाद ने बताया कि ज्योति वर्मा की 14 मार्च 2019 में बेनीगंज निवासी सुजीत वर्मा के साथ मे शादी हुई थी। सुजीत वर्मा सोने-चांदी का काम करते हैं। ज्योति के भाई जय प्रकाश ने मिडिया को बताया कि जबसे ज्योति की शादी हुई थी तबसे दहेज के लिए आए दिन उसे ये लोग प्रताड़ित कर रहे थे । आए दिन उसके साथ मारपीट भी की जाती थी। पिता प्रेम चंद्र जब ज्योति की हालत देखकर उससे पूछते तो वह कसम दिला देती कि पापा रहने दो बिना मतलब लड़ाई होगी।
उससे 54 हजार प्लेटलेट्स में भी नहीं कराया था भर्ती
भाई जय प्रकाश ने बताया कि बहन को 21 अक्टूबर को काफ़ी तेज बुखार आया। ससुराल वालों ने काल्वन अस्पताल मैं उसे दिखाया और खून की जांच भी हुई है। जांच में उसकी प्लेटलेट मात्र 54 हजार आई। हालाकि उसकी डेंगू रिपोर्ट नेगेटिव आई थी। उसे लगातार तेज बुखार भी आ रहा था। बावजूद इसके ससुराल वालों ने बहन को किसी अच्छे अस्पताल में भर्ती ही नहीं कराया और न ही उसका ढंग का इलाज कराया।
VIDEO:अस्पताल के स्ट्रेचर पर बोली- पापा मुझे बचा लो ये लोग मुझे मार डालना चाहते हैं
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जब उसकी तबीयत ज्यादा खराब होने लगी तो उसे मैटर्निटी अस्पताल मदनानी में जल्द बाज़ी मे भर्ती करा दिया गया। मदनानी मैनेजमेंट से जब पूछा गया कि उसे हुआ क्या है तो उन्हे बताया जाता था कि उसे डेंगू हुआ है। और उसका डेंगू का इलाज चल रहा है। उसे तभी NISU में डाल दिया गया था और मैनेजर उससे मिलने नहीं दे रहे थे। बस दवाएं मंगवाकर रख लेते थे।
ज्योति को खुल्दाबाद स्थित मदनानी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। डॉक्टरों ने उसकी मौत की वजह दिमाग पर बुखार चढ़ने और प्लेटलेट ज्यादा कम होना बताया है।
उन्होने प्लेटलेट्स भी मंगवाकर नहीं चढ़ाया
जय प्रकाश का आरोप है कि मेरी बहन की मौत का दोषी यह अस्पताल भी है। मेरे पिता बार-बार अस्पताल प्रबंधन से कहते रहे कि अगर प्लेटलेट्स कम है तो उन्हे मंगवा लीजिए पर उन्होंने एक भी नहीं सुनी। कहा कि जब प्लेटलेट्स मात्र 10 हजार रह जाएगी तब चढ़ाएंगे।
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आप हमारा साथ ऐसे ही देते रहे ।
धन्यवाद
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इसके बाद मेरी बहन की तबीयत और ज्यादा बिगड़ती गई और उसने आज सुबह 7 बजे दम ही तोड़ दियाा। SO खुल्दाबाद का का कहना है कि डॉक्टरों ने प्लेटलेट्स कम होने से मौत का कारण बताया है। फिलहाल डेड बॉडी को पोस्टमॉर्टम के लिए भी भेज दिया गया है। पुलिस मामले की जांच कर रही है।
अस्पताल प्रबंधन ने बताया- बहुत सीरियस थी जब भर्ती हुई
मदनानी अस्पताल के चेयरमैन और इलाहाबाद मेडिकल एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष डॉ. एमके मदनानी ने बताया कि 25 अक्टूबर की रात 2 बजे ज्योति वर्मा को उनके पति सुजीत वर्मा और उनकी सास ने ही एडमिट कराया था। अपने साथ डेंगू पॉजिटिव की रिपोर्ट भी लेकर आए थे उस समय ज्योति को होश ही नहीं था और वो कोमा में थीं।
मेरे बेटे और ICU के इंचार्ज डॉ. सिद्धार्थ ने परिजनों को ये बता दिया था कि मरीज की हालत बहुत ही गंभीर है। बचने की उम्मीद काफ़ी कम है। अगर आप इन्हे कहीं और ले जाना चाहो तो ले जा सकते हो। पति ने कहा कि नहीं आप भर्ती करके इलाज शुरू करिए।
हमने उनसे सारे पेपर्स पर दस्तखत भी कराए थे। इसके बाद जांच में प्लेटलेट्स 38 हजार हो गई। बुखार उसके दिमाग में चढ़ गया था। अस्पताल ने अपनी पूरी कोशिश आखिरी तक की उसे बचाने की। मुझे इस बात का अफसोस है कि उसे बचाया नहीं जा सका। अस्पताल की तरफ से कोई भी लापरवाही नहीं हुई है।