AIN NEWS 1 | भारत के लोकतंत्र की सबसे बड़ी ताकत है मतदान का अधिकार। यही वह अधिकार है जो हर नागरिक को अपनी पसंद की सरकार चुनने का अवसर देता है। लेकिन पिछले कुछ समय से विपक्षी दलों का आरोप है कि मतदाता सूची में हेरफेर और मतदाताओं के नाम गायब होने की घटनाएं बढ़ रही हैं। इसी पृष्ठभूमि में कांग्रेस और महागठबंधन के सहयोगी दलों ने एक बड़ी राजनीतिक मुहिम शुरू की है – ‘वोटर अधिकार यात्रा’।
यह यात्रा 17 अगस्त से बिहार के सासाराम से शुरू हुई है और इसका समापन 1 सितंबर को पटना के ऐतिहासिक गांधी मैदान में एक विशाल जनसभा के साथ होगा। यात्रा की सबसे खास बात यह है कि इसमें कांग्रेस नेता राहुल गांधी और राजद नेता तेजस्वी यादव जैसे बड़े नेता खुद लोगों के बीच जाकर शामिल होंगे।
तेजस्वी यादव का ऐलान
यात्रा की शुरुआत से पहले तेजस्वी यादव ने कहा कि यह सिर्फ एक राजनीतिक यात्रा नहीं है, बल्कि लोगों को जागरूक करने का अभियान है। उन्होंने कहा:
“हम कल सासाराम से वोटर अधिकार यात्रा शुरू कर रहे हैं। हमारे साथ महागठबंधन के साथी भी होंगे। हम कई जिलों में जाएंगे और लोगों को बताएंगे कि उनके वोट किस तरह से चुराए जा रहे हैं। यह यात्रा ऐतिहासिक होगी और राहुल गांधी खुद इसकी अगुवाई करेंगे।”
तेजस्वी यादव का मानना है कि जनता को यह समझना जरूरी है कि अगर मतदाता सूची से उनका नाम गायब हो गया तो यह सिर्फ एक वोट की चोरी नहीं होगी, बल्कि उनकी पहचान भी छीनी जाएगी।
कांग्रेस का संदेश
कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने भी यात्रा को लेकर बड़ा बयान दिया। उन्होंने कहा कि भारत की आज़ादी और लोकतंत्र की असली ताकत लोगों के पास वोट करने का अधिकार है।
उनके मुताबिक,
“आज हम स्वतंत्र रूप से सांस ले पा रहे हैं तो यह वोट की ताकत की वजह से है। राहुल गांधी ने यह संघर्ष इसलिए शुरू किया है ताकि देश का हर नागरिक अपने वोट के अधिकार से वंचित न रह सके।”
खेड़ा ने यह भी आरोप लगाया कि यह केवल वोट चोरी की साजिश नहीं है, बल्कि यह लोगों की पहचान मिटाने की कोशिश है।
यात्रा का मार्ग और दूरी
यह यात्रा कुल 1300 किलोमीटर लंबी होगी और बिहार के कई जिलों से होकर गुजरेगी। इसमें औरंगाबाद, गया, नवादा, नालंदा, शेखपुरा, लखीसराय, मुंगेर, भागलपुर, कटिहार, पूर्णिया, अररिया, सुपौल, मधुबनी, दरभंगा, सीतामढ़ी, पूर्वी चंपारण, पश्चिमी चंपारण, गोपालगंज, सीवान, छपरा और आरा जैसे जिले शामिल हैं।
यात्रा का उद्देश्य है कि इन जिलों के गांव-गांव और शहर-शहर जाकर लोगों को जागरूक किया जाए और उन्हें यह भरोसा दिलाया जाए कि उनका वोट सुरक्षित रहना चाहिए।
यात्रा का समापन और रैली
इस यात्रा का समापन 1 सितंबर को पटना के गांधी मैदान में एक बड़े जनसभा के साथ होगा, जिसे ‘वोटर अधिकार रैली’ कहा जाएगा। इसमें महागठबंधन के अलावा विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया अलायंस’ के राष्ट्रीय नेता भी शामिल होंगे। माना जा रहा है कि यह रैली 2024 लोकसभा चुनाव से पहले विपक्ष की ताकत और एकजुटता का प्रदर्शन होगी।
यात्रा क्यों जरूरी मानी जा रही है?
विपक्ष का आरोप है कि मतदाता सूची में लगातार गड़बड़ी हो रही है। कई मतदाताओं के नाम सूची से गायब कर दिए जाते हैं और वे मतदान नहीं कर पाते। यह समस्या खासतौर पर गरीब और ग्रामीण इलाकों में ज्यादा देखने को मिलती है।
यात्रा का उद्देश्य है कि जनता को इस सच्चाई से अवगत कराया जाए और उन्हें यह जागरूक किया जाए कि वे अपने वोटर कार्ड और मतदाता सूची की स्थिति समय-समय पर जांचते रहें।
राहुल गांधी की भूमिका
राहुल गांधी इस यात्रा के प्रमुख चेहरों में से एक होंगे। वह कई दिनों तक इस यात्रा में शामिल रहेंगे और सीधे जनता से जुड़ेंगे। राहुल गांधी पहले भी भारत जोड़ो यात्रा के जरिए लोगों के बीच जाने की कोशिश कर चुके हैं। अब वोटर अधिकार यात्रा उनके राजनीतिक अभियान को नई दिशा दे सकती है।
महागठबंधन का बड़ा संदेश
इस यात्रा को लेकर यह भी माना जा रहा है कि विपक्षी दल अपने कार्यकर्ताओं को एकजुट करना चाहते हैं। यह यात्रा जनता को तो जागरूक करेगी ही, साथ ही कार्यकर्ताओं में भी नया उत्साह भरेगी। महागठबंधन यह संदेश देना चाहता है कि वे लोकतंत्र की रक्षा के लिए मिलकर लड़ने को तैयार हैं।
‘वोटर अधिकार यात्रा’ सिर्फ एक राजनीतिक प्रदर्शन नहीं है, बल्कि यह लोकतंत्र के मूल अधिकार की रक्षा का आंदोलन है। 1300 किलोमीटर लंबी यह यात्रा लाखों लोगों तक पहुंचकर यह संदेश देने की कोशिश करेगी कि वोट ही लोकतंत्र की सबसे बड़ी ताकत है और उसे किसी भी कीमत पर छीना नहीं जा सकता।
राहुल गांधी और तेजस्वी यादव जैसे नेताओं की मौजूदगी इस यात्रा को और अधिक प्रभावशाली बनाती है। अब देखना यह है कि यह अभियान जनता के बीच कितना असर डालता है और क्या यह आने वाले चुनावों में विपक्ष को नई ऊर्जा देता है।



















