मुंबई: महाराष्ट्र में सत्ता की खींचतान के बाद आखिरकार देवेंद्र फडणवीस तीसरी बार मुख्यमंत्री बने हैं, जबकि एकनाथ शिंदे और अजित पवार राज्य के उपमुख्यमंत्री बने हैं। हालांकि, सरकार बनाने में हुई देरी को लेकर यह चर्चा थी कि महायुति के भीतर कुछ ठीक नहीं चल रहा था, और एकनाथ शिंदे बीजेपी से नाराज बताए जा रहे थे। अब, मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इस मुद्दे पर बड़ा बयान दिया है।
एकनाथ शिंदे की नाराजगी पर सीएम फडणवीस का बयान
सीएम फडणवीस ने एक मीडिया चैनल से बात करते हुए स्पष्ट किया कि एकनाथ शिंदे को लेकर कोई नाराजगी नहीं थी। उन्होंने कहा, “नई सरकार के शपथग्रहण में ज्यादा देरी नहीं हुई। मुझे नहीं लगता कि एकनाथ शिंदे किसी भी मुद्दे पर नाराज थे। एक गुट था, जो चाहता था कि शिंदे जी समन्वय समिति के अध्यक्ष बनें, लेकिन कोई नाराजगी नहीं थी।”
उन्होंने यह भी बताया कि दिल्ली में हुई बैठक में शिंदे ने स्वीकार किया था कि बीजेपी के पास अधिक विधायक हैं, और इसलिए मुख्यमंत्री बीजेपी से ही होना चाहिए।
भावुक स्वभाव के हैं एकनाथ शिंदे
देवेंद्र फडणवीस ने आगे कहा कि एकनाथ शिंदे भावुक स्वभाव के व्यक्ति हैं, जबकि अजित पवार व्यावहारिक राजनीति करते हैं। उन्होंने यह स्वीकार किया कि महायुति गठबंधन को बनाने में काफी मेहनत की गई है, लेकिन पिछले ढाई साल में उतार-चढ़ाव भी बहुत थे।
क्या शिंदे उपमुख्यमंत्री नहीं बनना चाहते थे?
जब फडणवीस से यह सवाल पूछा गया कि क्या एकनाथ शिंदे उपमुख्यमंत्री बनना नहीं चाहते थे, तो उन्होंने जवाब दिया, “अगर कोई पार्टी प्रमुख सरकार से बाहर हो, तो पार्टी ठीक से नहीं चल सकती है। मैंने शिंदे जी को समझा दिया था कि इस स्थिति में सरकार में उनका होना जरूरी है।”
उदय सामंत का बयान
शिवसेना नेता उदय सामंत ने शुक्रवार को कहा था कि एकनाथ शिंदे नई महाराष्ट्र सरकार में शामिल नहीं होना चाहते थे और अपनी पार्टी को मजबूत करने पर ध्यान केंद्रित करना चाहते थे, लेकिन पार्टी के नेताओं के दबाव के बाद वे नरम पड़ गए और सरकार में शामिल हो गए।
निष्कर्ष
सीएम देवेंद्र फडणवीस के बयान से यह स्पष्ट हो गया है कि एकनाथ शिंदे और बीजेपी के बीच कोई गहरी नाराजगी नहीं थी, और सभी निर्णय आपसी संवाद और सहमति से लिए गए थे।