AIN NEWS 1 वॉशिंगटन, डीसी: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर कर अमेरिका को विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) से आधिकारिक रूप से अलग कर दिया है। ट्रंप ने इस फैसले के पीछे आर्थिक असमानता और चीन के प्रभाव को मुख्य कारण बताया।
राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा, “जब मैं यहां था, तब हमने WHO को 500 मिलियन डॉलर का भुगतान किया। चीन, जिसकी जनसंख्या 1.4 बिलियन है, केवल 39 मिलियन डॉलर का भुगतान करता था। यह मुझे बिल्कुल भी न्यायसंगत नहीं लगा। इसलिए मैंने इसे समाप्त कर दिया।”
उन्होंने यह भी कहा कि अमेरिका विश्व स्वास्थ्य संगठन को सबसे बड़ा आर्थिक योगदान देता था, लेकिन संगठन पर चीन का प्रभाव ज्यादा है। ट्रंप ने WHO पर कोरोना वायरस महामारी के दौरान चीन का पक्ष लेने का भी आरोप लगाया।
पृष्ठभूमि
2020 में कोरोना वायरस महामारी के दौरान ट्रंप प्रशासन ने WHO पर यह आरोप लगाया था कि उसने चीन की गलतियों को छिपाया और समय पर प्रभावी कदम नहीं उठाए। इसी के चलते अमेरिका ने पहले भी WHO की फंडिंग रोकने का फैसला लिया था।
अमेरिकी सरकार का तर्क
अमेरिकी प्रशासन का कहना है कि WHO जैसे संगठनों को निष्पक्ष और पारदर्शी होना चाहिए। ट्रंप का यह कदम अंतरराष्ट्रीय समुदाय को चौंकाने वाला था, लेकिन उन्होंने इसे अमेरिका के हितों की रक्षा के लिए जरूरी बताया।
WHO से अमेरिका की वापसी: ट्रंप के फैसले के पीछे की कहानी
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर ऐसा कदम उठाया है जिसने वैश्विक राजनीति में हलचल मचा दी है। उन्होंने विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) से अमेरिका को अलग करने का फैसला किया है। ट्रंप के इस फैसले के पीछे कई आर्थिक और राजनीतिक कारण हैं।
ट्रंप का बयान और आरोप
ट्रंप ने कहा, “हम WHO को 500 मिलियन डॉलर देते थे, जबकि चीन केवल 39 मिलियन डॉलर देता था। यह असमानता है। इसके अलावा, संगठन पर चीन का प्रभाव भी बहुत ज्यादा है, जो इसे निष्पक्ष नहीं बनाता।”
उन्होंने WHO पर कोरोना महामारी के दौरान चीन का पक्ष लेने का आरोप लगाया। ट्रंप ने कहा कि अगर WHO ने सही समय पर और निष्पक्ष कदम उठाए होते, तो महामारी को रोका जा सकता था।
कोरोना महामारी और WHO की भूमिका
2020 में जब कोरोना वायरस महामारी ने दुनिया को अपनी चपेट में लिया, तब WHO पर चीन की गलतियों को छिपाने और समय पर जानकारी न देने का आरोप लगाया गया। ट्रंप ने WHO को “चीन का कठपुतली संगठन” तक कह दिया।
अमेरिकी प्रशासन की योजना
अमेरिकी प्रशासन ने घोषणा की कि WHO से अलग होने के बाद वह अपने स्वास्थ्य संबंधी प्रयासों के लिए वैकल्पिक विकल्पों पर काम करेगा। अमेरिका अपनी फंडिंग को अन्य संगठनों और कार्यक्रमों में निवेश करेगा, ताकि वैश्विक स्वास्थ्य सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।
अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया
ट्रंप के इस फैसले पर दुनिया भर से मिश्रित प्रतिक्रियाएं आईं। कई देशों ने इसे वैश्विक स्वास्थ्य के लिए नुकसानदायक बताया, तो कुछ ने अमेरिका की चिंता को सही ठहराया। हालांकि, यह स्पष्ट है कि अमेरिका के इस कदम से WHO की वित्तीय स्थिति और कार्यक्षमता पर बड़ा असर पड़ेगा।
डोनाल्ड ट्रंप का WHO से अमेरिका की वापसी का फैसला उनके “अमेरिका फर्स्ट” नीति का हिस्सा है। उन्होंने इसे अमेरिका के हितों की रक्षा के लिए जरूरी बताया है। हालांकि, इस फैसले का वैश्विक स्वास्थ्य सुरक्षा पर क्या असर होगा, यह समय ही बताएगा।
SEO English Paragraph
US President Donald Trump officially signed an executive order to withdraw the United States from the World Health Organization (WHO). He cited financial unfairness and China’s influence over the organization as key reasons for his decision. Trump highlighted the disparity in contributions, with the US paying $500 million while China paid only $39 million, despite having a significantly larger population. This move, aimed at protecting American interests, also reflects criticism of WHO’s handling of the COVID-19 pandemic.