AIN NEWS 1 महाकुंभ नगर: महाकुंभ के पवित्र अवसर पर सैकड़ों लोग सनातन धर्म में घर वापसी करेंगे। ये वे लोग हैं जिन्होंने इतिहास में विभिन्न परिस्थितियों के चलते अपना धर्म परिवर्तन कर लिया था। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रविंद्र गिरि महाराज ने शनिवार को इस बात की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि इन लोगों ने भय, अत्याचार और दबाव के कारण अपने पूर्वजों का धर्म छोड़ दिया था, लेकिन अब वे सनातन धर्म में लौटने की इच्छा व्यक्त कर रहे हैं।
घर वापसी का कारण: कट्टर विचारधारा से असंतोष
महंत रविंद्र गिरि महाराज ने बताया कि ऐसे लोग, जो ईसाई, मुस्लिम और अन्य धर्मों में चले गए थे, अब कट्टर विचारधाराओं से परेशान हो चुके हैं। उन्होंने कहा, “ये लोग अब कह रहे हैं कि राम हमारे प्राण हैं और वे पुनः सनातन धर्म में शामिल होना चाहते हैं। उन्होंने हमसे आग्रह किया है कि उन्हें वापस स्वीकार किया जाए। उनकी भावनाओं का सम्मान करते हुए हम उनके स्वागत के लिए तैयार हैं।”
सनातन में वापसी की प्रक्रिया
महाकुंभ क्षेत्र में इन लोगों की घर वापसी का आयोजन बड़े पैमाने पर किया जाएगा। महंत रविंद्र गिरि ने कहा, “हम इन सभी लोगों को पतित पावनी मां गंगा के पवित्र जल में स्नान कराकर विधिवत सनातन धर्म में वापसी कराएंगे। यह केवल एक धार्मिक प्रक्रिया नहीं, बल्कि समरसता और सांस्कृतिक पुनर्स्थापना का प्रतीक है।”
विरोध पर महंत का जवाब
महंत रविंद्र गिरि महाराज ने कहा कि कुछ लोग इस घर वापसी को धर्मांतरण का नाम देकर विवाद पैदा कर रहे हैं। उन्होंने कहा, “जो लोग इसे धर्मांतरण कह रहे हैं, वे कट्टरपंथी और मानवता विरोधी हैं। उनका उद्देश्य केवल समाज में अशांति फैलाना है। घर वापसी का यह अभियान शांति, समरसता और विश्व कल्याण की दिशा में एक कदम है।”
आत्मीय स्वागत का संदेश
महंत रविंद्र गिरि ने इस अवसर पर सभी सनातनियों से अपील की कि वे घर वापसी करने वाले इन लोगों को खुले दिल से अपनाएं। उन्होंने कहा, “यह केवल उनका नहीं, बल्कि हमारे पूरे समाज का पुनर्जागरण है। हम सभी को इन्हें सम्मान और स्नेह के साथ स्वीकार करना चाहिए।”
समाज में शांति का संदेश
महाकुंभ में होने वाली इस घर वापसी का उद्देश्य केवल धार्मिक पुनर्स्थापना नहीं है, बल्कि समाज में समरसता और शांति का संदेश भी देना है। महंत ने कहा, “सनातन धर्म केवल एक धर्म नहीं, बल्कि मानवता और शांति का प्रतीक है। यह विश्व कल्याण का मार्ग प्रशस्त करता है।”
महाकुंभ में होने वाली इस ऐतिहासिक घर वापसी ने न केवल सनातन धर्म के प्रति लोगों के बढ़ते विश्वास को दर्शाया है, बल्कि समाज में शांति और समरसता की आवश्यकता को भी रेखांकित किया है। यह पहल यह संदेश देती है कि हमारा समाज सभी के लिए खुला है और सभी का स्वागत करता है।