Tuesday, November 26, 2024

भारत के खेल मैदान में खेलेंगे हम, अपने नियमों के अनुसार: डॉ. मोहन भागवत?

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AIN NEWS 1: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण बयान दिया है जिसमें उन्होंने कहा कि हमें किसी और के मैदान में, उसके नियमों के अनुसार कबड्डी नहीं खेलनी चाहिए। इसके बजाय, भारत को अपनी शक्ति और अधिकार के साथ दुनिया को अपने खेल मैदान में बुलाना होगा, जहां हम अपने नियमों और सिद्धांतों के अनुसार खेल सकें।

भारत की विशेष पहचान

डॉ. भागवत ने यह भी कहा कि भारत की संस्कृति और विचारधारा विश्व में अनूठी है। हमें किसी विदेशी संस्कृति या विचारधारा के प्रभाव में आकर अपने आदर्शों और सिद्धांतों से समझौता नहीं करना चाहिए। भारत को अपनी संस्कृति और विश्वासों के साथ ही दुनिया में अग्रणी भूमिका निभानी चाहिए।

उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि भारत को अपने सशक्त और सम्मानित अस्तित्व को बनाए रखते हुए, दुनिया से संवाद करना चाहिए। इसके लिए हमें अपने राष्ट्रीय हितों और परंपराओं को प्राथमिकता देनी होगी, ताकि हम अपने देश को मजबूती से आगे बढ़ा सकें।

नीति और सिद्धांतों का पालन

डॉ. भागवत ने यह भी बताया कि भारत का इतिहास और संस्कृति हमें यह सिखाती है कि हमें अपनी नीति और सिद्धांतों का पालन करना चाहिए, चाहे वह अंतरराष्ट्रीय संबंधों के मामले में हो या घरेलू नीति के मामले में। हमें किसी के प्रभाव में आकर अपने देश के हितों से समझौता नहीं करना चाहिए।

उन्होंने यह भी कहा कि हम यदि किसी अन्य देश के नियमों और पद्धतियों को अपने ऊपर लागू करेंगे, तो हम अपनी पहचान खो देंगे। इसके बजाय, हमें अपनी भारतीय संस्कृति और दृष्टिकोण को दुनिया में फैलाना होगा, ताकि बाकी देशों को हमारे विचारों और दृष्टिकोण का सम्मान हो।

राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय संदर्भ

डॉ. भागवत ने यह स्पष्ट किया कि यह समय है जब भारत को न केवल अपने अंदर बल्कि दुनिया में भी अपने मूल्य और सिद्धांतों का प्रभाव बढ़ाने की दिशा में काम करना चाहिए। इस दिशा में भारत को अपनी शक्ति, अपनी संस्कृति, और अपने पारंपरिक विचारों के साथ दुनिया के सामने आना होगा।

उन्होंने यह भी कहा कि दुनिया के अन्य देशों को हमारे नियमों और पद्धतियों का पालन करना चाहिए, क्योंकि हमारी संस्कृति और विचारधारा में बहुत कुछ है जो आज की दुनिया के लिए प्रासंगिक है।

अंत में, डॉ. भागवत ने यह संदेश दिया कि हमें अपने देश की ताकत और संस्कृति पर गर्व होना चाहिए और अपने विचारों और दृष्टिकोण को पूरी दुनिया के सामने रखने में कोई संकोच नहीं करना चाहिए।

 

 

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सत्यमेव जयते नानृतं सत्येन पन्था विततो देवयानः।
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