Violence Against Hindus in West Bengal Raises Concerns Over Law and Order
AIN NEWS 1: पश्चिम बंगाल एक बार फिर सांप्रदायिक हिंसा और अस्थिरता के कारण सुर्खियों में है। मुर्शिदाबाद में हालिया हिंसा ने राज्य सरकार की भूमिका पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। पीड़ित हिंदू परिवारों का आरोप है कि प्रशासन ने उन्हें हिंसक भीड़ के सामने बेसहारा छोड़ दिया और कोई ठोस सुरक्षा प्रदान नहीं की गई।
मुर्शिदाबाद हिंसा: प्रशासनिक विफलता या सुनियोजित राजनीति?
मुर्शिदाबाद जिले में घटित घटनाएं केवल एक सांप्रदायिक झड़प भर नहीं थीं। पीड़ित परिवारों का कहना है कि उन्हें केवल इसलिए निशाना बनाया गया क्योंकि वे हिंदू हैं। एक मां ने जब मुआवजे की पेशकश ठुकराई तो उसका सवाल था — “क्या पैसा मेरे पति और बेटे को लौटा सकता है?” गांवों में अभी भी डर और सन्नाटा फैला है।
इस प्रकार की हिंसा और प्रशासन की निष्क्रियता से यह संदेश जाता है कि राज्य सरकार केवल एक वर्ग विशेष को ही संरक्षण दे रही है।
क्या ‘राजकीय संरक्षण’ में पनप रहा है जिहाद?
कई राजनीतिक और सामाजिक विश्लेषकों का मानना है कि वर्तमान सरकार के कार्यकाल में जिहादी मानसिकता को अप्रत्यक्ष रूप से बढ़ावा मिला है। शरिया कानूनों जैसी सोच रखने वाले तत्वों को खुली छूट मिलने का आरोप लगाया जा रहा है। राज्य की नीतियां इस दिशा में बढ़ती दिखाई दे रही हैं कि जहां बहुसंख्यक समुदाय खुद को असुरक्षित महसूस कर रहा है।
‘हमें हिंदू होने की सज़ा मिली’
मुर्शिदाबाद के कई पीड़ितों ने अपनी आपबीती सुनाते हुए कहा कि उन्हें केवल इसलिए प्रताड़ित किया गया क्योंकि वे हिंदू हैं। एक पीड़ित ने सवाल किया, “क्या पश्चिम बंगाल में हिंदू होना अब अपराध हो गया है?” इस बयान से राज्य में व्याप्त भय और अविश्वास का अंदाजा लगाया जा सकता है।
क्या यह ‘मुस्लिमों के लिए और द्वारा’ शासित राज्य का संकेत है?
राजनीतिक विश्लेषक यह भी मानते हैं कि तृणमूल कांग्रेस की सरकार की नीतियाँ धीरे-धीरे एकतरफा होती जा रही हैं। न्याय, सुरक्षा और सरकारी नीतियां एक विशेष वर्ग के पक्ष में दिखाई देती हैं। इससे ऐसा लगता है मानो यह राज्य केवल मुसलमानों के लिए और उनके द्वारा शासित होने की ओर बढ़ रहा है।
राष्ट्रपति शासन की मांग तेज
इस पूरे घटनाक्रम के बीच, सोशल मीडिया पर एक प्रश्न ट्रेंड कर रहा है — क्या पश्चिम बंगाल में राष्ट्रपति शासन लगाया जाना चाहिए?
लोगों से पूछा गया है कि क्या वे राज्य की वर्तमान स्थिति को देखते हुए केंद्रीय हस्तक्षेप का समर्थन करते हैं। कई लोगों ने “हां” में जवाब दिया है, यह मानते हुए कि राज्य सरकार कानून व्यवस्था बनाए रखने में विफल रही है।
बीजेपी का बयान: “न्यायपालिका का सम्मान करते हैं”
बीजेपी अध्यक्ष जे.पी. नड्डा ने स्पष्ट किया है कि निशिकांत दुबे और दिनेश शर्मा के बयान पार्टी के आधिकारिक रुख को नहीं दर्शाते। उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी न्यायपालिका का सम्मान करती है और उसका कोई अपमान नहीं करती।
मिथुन चक्रवर्ती का बड़ा बयान
मशहूर अभिनेता और बीजेपी नेता मिथुन चक्रवर्ती ने कहा, “ममता बनर्जी अब बंगाल में हिंदू समुदाय के लिए खतरा बन चुकी हैं।” उन्होंने ममता सरकार को राज्य में हो रही सांप्रदायिक हिंसा के लिए सीधे तौर पर जिम्मेदार ठहराया। उनके अनुसार, अब आम हिंदू खुद को अपने ही राज्य में शरणार्थी की तरह महसूस कर रहा है।
कर्नाटक में जनेऊ विवाद
इस बीच, कर्नाटक में एक हिंदू छात्र को परीक्षा में केवल इसलिए बैठने से रोका गया क्योंकि उसने जनेऊ पहन रखा था। यह मामला तब और विवादित हो गया जब यह सामने आया कि हिजाब और बुर्का पहनने पर कोई प्रतिबंध नहीं है, जबकि वे चेहरा तक ढकते हैं। इससे धार्मिक भेदभाव और दोहरे मापदंडों की चर्चा तेज हो गई।
जिन्ना का महिमामंडन: योगी आदित्यनाथ का हमला
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने समाजवादी पार्टी पर निशाना साधते हुए कहा कि वे जिन्ना जैसे देशविरोधी व्यक्ति का महिमामंडन कर रही हैं, जिसकी वजह से भारत-पाकिस्तान का बंटवारा हुआ और लाखों हिंदू मारे गए। योगी ने कहा कि आज भी पाकिस्तान और बांग्लादेश में हिंदुओं पर अत्याचार होता है, और उस सोच का समर्थन करना राष्ट्रद्रोह के समान है।
पश्चिम बंगाल की स्थिति दिन-ब-दिन गंभीर होती जा रही है। प्रशासनिक निष्क्रियता, तुष्टीकरण की राजनीति और बहुसंख्यक समुदाय की उपेक्षा जैसे मुद्दे राज्य को एक खतरनाक मोड़ की ओर ले जा रहे हैं। यदि यही हालात रहे तो आने वाले समय में राज्य में सामाजिक ताना-बाना टूट सकता है। यही समय है जब कानून व्यवस्था की बहाली और निष्पक्ष शासन के लिए ठोस कदम उठाए जाएं।
Recent communal violence in West Bengal, especially in Murshidabad, has sparked national debate over Hindu safety in the state. Accusations against the Mamata Banerjee-led TMC government include promoting minority appeasement and ignoring Hindu victims. Political leaders are calling for President’s Rule in Bengal, citing the state’s failure to protect its citizens. The rise in Hindu persecution, increasing Sharia influence, and growing political polarization underline the urgent need for intervention and justice.