AIN NEWS 1 | डॉ. पल्लेटी शिवा कार्तिक रेड्डी, एमबीबीएस, एमडी जनरल मेडिसिन, कंसल्टेंट फिजिशियन बताते हैं, “जब आप तीन दिन का उपवास शुरू करते हैं, तो आपके शरीर में कई शारीरिक परिवर्तन होते हैं। भारतीय परंपरा में उपवास का महत्वपूर्ण स्थान है और यह प्राचीन काल से प्रचलित है। लेकिन जब आप तीन दिन तक कुछ नहीं खाते, तो आपके शरीर में गहरे शारीरिक बदलाव होते हैं।
पहले दिन
शुरुआत में, आपका शरीर ऊर्जा के लिए संग्रहीत ग्लूकोज का उपयोग करता है। पहले 24 घंटों के भीतर, यह ग्लाइकोजन समाप्त हो जाता है और आपका शरीर ग्लूकोनियोजेनेसिस शुरू करता है, जिसमें गैर-कार्बोहाइड्रेट स्रोतों जैसे कि अमीनो एसिड से ग्लूकोज बनता है।
दूसरे दिन
दूसरे दिन तक, आपका शरीर केटोसिस शुरू करता है, जिसमें संग्रहीत वसा को तोड़कर केटोन बॉडीज बनाई जाती हैं जो विशेष रूप से मस्तिष्क के लिए ऊर्जा के रूप में उपयोग होती हैं। यह मेटाबोलिक स्विच मांसपेशी ऊतक को सुरक्षित रखने में मदद करता है और ऊर्जा की जरूरतों को पूरा करता है।
शरीर का मेटाबोलिज्म कैसे अनुकूल होता है?
डॉ. रेड्डी बताते हैं कि जैसे-जैसे उपवास बढ़ता है, आपका मेटाबोलिज्म इंसुलिन स्तर को कम करके और नोरेपिनेफ्रिन स्तर को बढ़ाकर अनुकूल होता है, जिससे फैट बर्निंग में वृद्धि होती है। इंसुलिन में कमी से किडनी से अतिरिक्त नमक और पानी का निष्कासन होता है, जिससे प्रारंभिक वजन कम हो सकता है।
तीन दिनों के दौरान, नोरेपिनेफ्रिन के उच्च स्तर के कारण आपका मेटाबोलिज्म अस्थायी रूप से बढ़ सकता है, लेकिन बाद में ऊर्जा को बचाने के लिए धीमा हो जाता है क्योंकि शरीर भोजन की कमी के साथ तालमेल बिठाता है।
72 घंटे के उपवास से जुड़े संभावित लाभ और जोखिम
डॉ. रेड्डी के अनुसार, 3 दिनों तक कुछ नहीं खाने के कई फायदे और जोखिम होते हैं। ये इस प्रकार हैं:
फायदे
- ऑटोफैगी: यह एक सेलुलर सफाई प्रक्रिया है जो क्षतिग्रस्त कोशिकाओं को हटाकर नई, स्वस्थ कोशिकाओं को पुन: उत्पन्न करती है।
- बेहतर इंसुलिन संवेदनशीलता: उपवास से शरीर की इंसुलिन के प्रति प्रतिक्रिया में सुधार होता है, जिससे टाइप 2 मधुमेह का जोखिम कम होता है।
- मानसिक स्पष्टता: कई लोगों को केटोसिस के दौरान मस्तिष्क-व्युत्पन्न न्यूरोट्रॉफिक फैक्टर (BDNF) के बढ़े हुए उत्पादन के कारण मानसिक स्पष्टता और ध्यान में वृद्धि महसूस होती है।
- वजन घटाना: उपवास से वसा भंडार से वजन कम हो सकता है, जबकि मांसपेशी द्रव्यमान संरक्षित रहता है।
जोखिम
- निर्जलीकरण: भोजन से मिलने वाले पानी की कमी से निर्जलीकरण का खतरा रहता है। पर्याप्त पानी पीना आवश्यक है।
- इलेक्ट्रोलाइट असंतुलन: लंबे समय तक उपवास से सोडियम, पोटेशियम और मैग्नीशियम जैसे आवश्यक इलेक्ट्रोलाइट्स का असंतुलन हो सकता है।
- हाइपोग्लाइसीमिया: कम रक्त शर्करा का स्तर चक्कर, सिरदर्द और बेहोशी का कारण बन सकता है।
- नींद में खलल: भूख और मेटाबोलिक बदलावों के कारण नींद में खलल हो सकता है, जिससे थकान और चिड़चिड़ापन हो सकता है।