AIN NEWS 1 | डिजिटल सेवाओं के बढ़ते इस्तेमाल ने जहां लोगों का जीवन आसान बना दिया है, वहीं साइबर अपराधियों के लिए यह एक नया जरिया बन गया है। हाल ही में ठगों द्वारा अपनाए गए एक नए तरीके, जिसे ‘Digital Arrest’ कहा जा रहा है, ने कई लोगों को निशाना बनाया है। यह तरीका लोगों को डराकर और झूठी बातों में फंसाकर ठगी करने का है। आइए, समझते हैं कि यह क्या है और इससे कैसे बचा जा सकता है।
क्या होता है Digital Arrest?
‘डिजिटल अरेस्ट’ एक नया साइबर अपराध है जिसमें ठग खुद को सरकारी अधिकारी, खासतौर पर पुलिस अधिकारी, बताकर लोगों को डराते हैं। ठग वीडियो कॉल के जरिए संपर्क करते हैं, जहां वह पुलिस वर्दी में नजर आते हैं और किसी अपराध में नाम आने का झूठा आरोप लगाते हैं।
- ठग पीड़ित को डराते हैं कि उनका नाम नशीले पदार्थों की तस्करी या किसी अन्य गंभीर अपराध में आ गया है।
- इस डर के माहौल में ठग लोगों को जेल जाने से बचाने के नाम पर पैसों की मांग करते हैं।
- यह पूरी प्रक्रिया इतनी विश्वसनीय तरीके से की जाती है कि पीड़ित मजबूर होकर पैसे देने के लिए तैयार हो जाते हैं।
कैसे फंसाते हैं ठग?
- झूठे आरोप लगाकर डराना:
ठग यह दावा करते हैं कि पीड़ित का नाम किसी गंभीर अपराध में जुड़ा है, जैसे ड्रग्स तस्करी। - करीबी को खतरे में बताना:
कई बार ठग यह भी कहते हैं कि पीड़ित का कोई करीबी (जैसे बच्चे या रिश्तेदार) किसी कानूनी परेशानी में फंसा हुआ है। - वीडियो कॉल के जरिए ठगी:
ठग पुलिस की वर्दी पहनकर वीडियो कॉल करते हैं और पीड़ित को विश्वास दिलाते हैं कि वह एक असली अधिकारी हैं।
ठगी के लिए इस्तेमाल होने वाले तरीके
- डराने की रणनीति:
पीड़ित को तुरंत पैसे देने के लिए मजबूर किया जाता है। - तकनीकी लोगों को भी बनाते हैं शिकार:
पढ़े-लिखे लोग, जैसे इंजीनियर या आईटी पेशेवर, भी इस ठगी का शिकार हो रहे हैं। - फर्जी पहचान:
वीडियो कॉल में पुलिस की वर्दी पहनकर खुद को असली अधिकारी साबित करते हैं।
कैसे बचें ‘डिजिटल अरेस्ट’ से?
- किसी भी अज्ञात वीडियो कॉल से सतर्क रहें।
- अगर कोई खुद को सरकारी अधिकारी बताए, तो तुरंत उसकी पहचान की पुष्टि करें।
- किसी भी परिस्थिति में पैसे देने से पहले संबंधित पुलिस स्टेशन या साइबर क्राइम सेल से संपर्क करें।
- साइबर अपराध हेल्पलाइन:
- भारत में साइबर क्राइम रिपोर्टिंग के लिए हेल्पलाइन नंबर 1930 या Cyber Crime Reporting Portal पर शिकायत दर्ज करें।
पुलिस का क्या कहना है?
पुलिस ने इस तरह की ठगी को लेकर लोगों को सतर्क रहने की सलाह दी है। उन्होंने बताया कि असली पुलिस या सरकारी अधिकारी कभी भी पैसे की मांग नहीं करते। अगर ऐसा कोई कॉल या मैसेज आता है, तो इसे नजरअंदाज करें और तुरंत पुलिस को सूचित करें।
निष्कर्ष:
‘डिजिटल अरेस्ट’ एक नया साइबर अपराध है, जिसे समझदारी और सतर्कता से रोका जा सकता है। हमेशा सतर्क रहें, किसी भी अज्ञात कॉल या मैसेज पर तुरंत प्रतिक्रिया न दें, और ठगों के जाल से बचने के लिए सही कदम उठाएं।