AIN NEWS 1 | भारत में धार्मिक आयोजनों, त्योहारों और भीड़भाड़ वाले कार्यक्रमों के दौरान भगदड़ की घटनाएं अक्सर होती रही हैं। ये घटनाएं भीड़ प्रबंधन की कमी और अफवाहों के चलते हजारों जानें ले चुकी हैं।
1. महाकुंभ (प्रयागराज) भगदड़ – 1954 और 2013
1954 के महाकुंभ में करीब 800 लोगों की मौत हुई थी। यह अब तक की सबसे बड़ी भगदड़ मानी जाती है। 2013 में भी रेलवे स्टेशन पर भगदड़ मची, जिसमें 36 लोग मारे गए।
2. नैना देवी मंदिर (हिमाचल प्रदेश) – 2008
हिमाचल प्रदेश के नैना देवी मंदिर में 162 श्रद्धालुओं की मौत हुई। यह हादसा अफवाह फैलने से हुआ।
3. मंधारदेवी मंदिर (महाराष्ट्र) – 2005
सतारा जिले में मंधारदेवी मंदिर में भगदड़ में 350 से ज्यादा लोग मारे गए।
4. रतनगढ़ मंदिर (मध्य प्रदेश) – 2013
नवरात्रि के दौरान 115 श्रद्धालुओं की मौत हुई।
5. वैष्णो देवी मंदिर (जम्मू-कश्मीर) – 2022
भक्तों की भीड़ के कारण 12 लोगों की मौत हुई।
6. हाथरस सत्संग (उत्तर प्रदेश) – 2024
2 जुलाई 2024 को हाथरस में सत्संग के दौरान भगदड़ मची, जिसमें 121 लोगों की जान गई।
7. राजमुंदरी (आंध्र प्रदेश) – 2015
पुष्करम त्योहार में 27 श्रद्धालु मारे गए।
8. तिरुपति मंदिर (आंध्र प्रदेश) – 2024
तिरुपति मंदिर भगदड़ में 6 लोगों की मौत और 40 घायल हुए।
9. गांधी मैदान, पटना (बिहार) – 2014
दशहरा उत्सव के बाद भगदड़ में 32 लोग मारे गए।
10. चामुंडा देवी मंदिर (राजस्थान) – 2008
जोधपुर में चामुंडा देवी मंदिर में भगदड़ में 250 से ज्यादा मौतें हुईं।
Over the last 50 years, India has witnessed some of the deadliest stampedes, particularly during religious festivals, political rallies, and crowded gatherings. From the horrific 1954 Prayagraj Kumbh tragedy with over 800 deaths to the recent 2024 Hathras stampede claiming 121 lives, these incidents highlight the urgent need for crowd management and safety measures. Major stampedes at Vaishno Devi, Tirupati, and Naina Devi temples underline the importance of organized planning at religious sites.