Who is Justice Nirmal Yadav? The 15 Lakh Cash Case and 17-Year-Long Wait for Justice
AIN NEWS 1: मामला 2008 में तब सामने आया जब पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट की जज, जस्टिस निर्मलजीत कौर के घर गलती से 15 लाख रुपये नकद पहुंच गए। यह बैग उनके कर्मचारी अमरिक ने चंडीगढ़ पुलिस को सौंप दिया। जांच में सामने आया कि यह राशि हरियाणा के पूर्व अतिरिक्त महाधिवक्ता संजीव बंसल के एक क्लर्क द्वारा जस्टिस निर्मल यादव को भेजी गई थी, लेकिन नाम की समानता के कारण यह गलती से जस्टिस कौर के घर पहुंच गई।
मामले की जांच और सीबीआई की भूमिका
पुलिस जांच के बाद मामला सीबीआई को सौंप दिया गया। सीबीआई ने गहन जांच के बाद पाया कि यह धनराशि कथित रूप से जस्टिस निर्मल यादव के लिए भेजी गई थी। इसके बाद 2010 में जस्टिस यादव को उत्तराखंड हाईकोर्ट ट्रांसफर कर दिया गया। उनके रिटायर होने से पहले उनके और अन्य आरोपियों के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किया गया।
कोर्ट में ट्रायल और आरोपियों के खिलाफ कार्यवाही
2014 में विशेष अदालत ने पांच आरोपियों के खिलाफ आरोप तय किए। इनमें प्रमुख आरोपी संजीव बंसल थे, जिनका दिसंबर 2016 में निधन हो गया। इसके चलते उनके खिलाफ मामला बंद कर दिया गया। अन्य आरोपियों में वकील और हाईकोर्ट के कुछ अन्य अधिकारी शामिल थे।
जस्टिस निर्मलजीत कौर की गवाही
जस्टिस कौर ने 2016 में वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए अपनी गवाही में कहा था कि जब उनके कर्मचारी अमरिक ने उन्हें बैग लाकर दिया, तो उन्हें इसमें कागजात होने की उम्मीद थी। जब बैग खोला गया, तो उसमें से नोट निकले। उन्होंने तुरंत पुलिस को सूचना दी। कुछ देर बाद संजीव बंसल ने उन्हें फोन करके बताया कि पैसे गलती से उनके घर पहुंच गए थे और यह वास्तव में जस्टिस यादव के लिए थे।
अदालत की सुनवाई और फैसले की तारीख
अभियोजन पक्ष ने इस मामले में 84 गवाहों की सूची प्रस्तुत की, जिनमें से 69 की गवाही दर्ज की गई। फरवरी 2025 में पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने सीबीआई को 12 गवाहों की दोबारा जांच करने की अनुमति दी। अदालत ने ट्रायल कोर्ट को निर्देश दिया कि कोई भी अनावश्यक स्थगन न दिया जाए।
इस साल 17 मार्च को अभियोजन साक्ष्य बंद कर दिए गए, 26 मार्च को आरोपियों के बयान दर्ज हुए, और 27 मार्च को अंतिम तर्क पूरे हुए। अब, चंडीगढ़ की विशेष अदालत 29 मार्च 2025 को इस मामले में अपना फैसला सुनाएगी।
बचाव पक्ष के वकील और दलीलें
जस्टिस निर्मल यादव की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता एसके गर्ग नारवाना और वीजी नारवाना ने उनका बचाव किया। अन्य आरोपियों की ओर से एएस चौहल, बीएस रियार और हितेश पुरी ने वकालत की।
यह मामला पिछले 17 वर्षों से अदालत में चल रहा है और अब इसका नतीजा सामने आने वाला है। यह भारतीय न्यायपालिका में एक महत्वपूर्ण मामला बन गया है, जो भ्रष्टाचार के आरोपों और न्यायिक प्रक्रिया की पारदर्शिता को लेकर चर्चा में रहा है।
Justice Nirmal Yadav was accused in the 15 lakh cash case in 2008, when a bag full of money was mistakenly delivered to Justice Nirmaljit Kaur’s house instead of hers. The case was handed over to the CBI, which later filed a charge sheet against Justice Yadav and others. In 2010, she was transferred to the Uttarakhand High Court and retired a year later. The trial has seen 69 witness statements and several delays. Now, after 17 years, a special court in Chandigarh will announce its final verdict on March 29, 2025. This case is considered one of the biggest judiciary corruption scandals in India.