AIN NEWS 1: सावन का महीना हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखता है। यह भगवान शिव को समर्पित होता है और इस समय के दौरान शराब और मांस के सेवन को लेकर धार्मिक मान्यता है कि इससे बुरा प्रभाव पड़ सकता है। लेकिन क्या इसके पीछे वैज्ञानिक कारण भी हैं? आइए जानते हैं:
1. कमजोर इम्युनिटी
आयुर्वेद के अनुसार, सावन के महीने में शरीर की इम्युनिटी कमजोर हो जाती है। शराब, मांस और तले-भुने खाद्य पदार्थों का सेवन पाचन तंत्र पर अतिरिक्त दबाव डालता है, जिससे पाचन शक्ति कमजोर हो सकती है। कमजोर पाचन से मांसपेशियों में सड़न शुरू हो जाती है, जो इम्युनिटी पर बुरा असर डालती है और बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है।
2. बारिश में कीड़े-मकोड़े की संख्या में वृद्धि
सावन में लगातार बारिश के कारण कीड़े और मकोड़े की संख्या बढ़ जाती है, जो संक्रामक बीमारियों का कारण बन सकते हैं। ऐसे में नॉनवेज खाना खाने से इन बीमारियों के संपर्क में आने का खतरा बढ़ जाता है।
3. जानवरों की सेहत
इस मौसम में जानवर भी बीमारियों से प्रभावित हो सकते हैं। बारिश के कारण जानवर घास-फूस के साथ जहरीले कीड़े भी निगल सकते हैं, जिससे उनका स्वास्थ्य प्रभावित होता है। इन बीमारियों से ग्रसित जानवरों का मांस इंसानों के लिए हानिकारक हो सकता है।
4. प्रजनन का मौसम
सावन का महीना जानवरों और कीटाणुओं के प्रजनन के लिए अनुकूल समय होता है। यदि कोई प्रेग्नेंट जानवर का मांस खाता है, तो इससे हार्मोनल डिस्टरबेंस हो सकता है, जिससे भविष्य में स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं हो सकती हैं।
5. कीटाणुओं का प्रजनन
सावन के मौसम में नमी और बारिश के कारण वातावरण में फंगस और फंगल इंफेक्शन बढ़ जाते हैं। इस समय खाद्य पदार्थ जल्दी खराब होते हैं, जिससे वायरस और कीटाणुओं से संक्रमित होने का खतरा बढ़ जाता है।
इस प्रकार, सावन के महीने में मांस, शराब और मसालेदार खाद्य पदार्थों का सेवन कम करने की सलाह केवल धार्मिक मान्यता से ही नहीं, बल्कि वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी सही साबित होती है।