दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 से पहले आम आदमी पार्टी (AAP) ने अपने चुनाव चिन्ह ‘झाड़ू’ का रंग सफेद से काला कर दिया है। इस बदलाव को लेकर राजनीतिक गलियारों में कई चर्चाएं हैं। हालांकि, पार्टी ने इसका कोई आधिकारिक स्पष्टीकरण नहीं दिया है, लेकिन कई कयास लगाए जा रहे हैं।
क्या हैं ‘झाड़ू’ के रंग बदलने के कारण?
- बुरी नज़र से बचने की मान्यता
आम आदमी पार्टी के कुछ नेताओं का मानना है कि काला रंग बुरी नज़र से बचाने का काम करता है। झाड़ू का रंग बदलकर AAP ने संकेत दिया कि वह किसी भी नकारात्मक प्रभाव से बचना चाहती है। - नए दफ्तर में बदलाव
- नए दफ्तर में शिफ्ट होने के बाद यह बदलाव हुआ।
- पहले AAP का दफ्तर 206, राउज एवेन्यू में था, तब झाड़ू का रंग सफेद था।
- अब पार्टी का दफ्तर बंगला नंबर 1, कैनिंग लेन में है, जहां से झाड़ू का रंग काला कर दिया गया है।
- राजनीतिक प्रतीकवाद
- सफेद रंग शांति और सादगी का प्रतीक था।
- काला रंग दृढ़ता और नकारात्मक शक्तियों से लड़ने का प्रतीक माना जाता है।
- यह बदलाव बताता है कि AAP अपने पुराने तेवर को बरकरार रखते हुए विपक्ष के हमलों का जवाब देने के लिए तैयार है।
नेताओं की प्रतिक्रिया
AAP के सीनियर नेता का कहना है:
- “झाड़ू का सिर्फ रंग बदला है, तेवर और लोकप्रियता वही है।”
- “झाड़ू मतलब केजरीवाल, और केजरीवाल मतलब झाड़ू।”
- “चौथी बार दिल्ली में सरकार बनाने के लिए हम तैयार हैं।”
राजनीतिक रणनीति के संकेत
- विपक्ष पर दबाव
इस बदलाव के ज़रिए AAP ने यह संकेत दिया है कि वह विपक्ष के राजनीतिक दबाव को झाड़ने के लिए तैयार है। - चुनावी माहौल में नया उत्साह
चुनाव चिन्ह में बदलाव पार्टी के कार्यकर्ताओं और समर्थकों में नया जोश और उत्साह भरने का प्रयास हो सकता है।
निष्कर्ष
झाड़ू का रंग बदलना महज एक सामान्य बदलाव नहीं है। इसके पीछे सांस्कृतिक मान्यता, राजनीतिक रणनीति और चुनावी मनोविज्ञान जुड़ा हुआ है। आगामी दिल्ली विधानसभा चुनाव में यह देखना दिलचस्प होगा कि AAP का यह नया रूप मतदाताओं को कितना प्रभावित कर पाता है।