Important Step After Property Registration – Why Property Mutation is Necessary?
प्रॉपर्टी रजिस्ट्रेशन के बाद ये जरूरी प्रक्रिया ना भूलें, वरना हो सकता है बड़ा नुकसान
AIN NEWS 1: भारत में संपत्ति खरीदने के बाद लोग मान लेते हैं कि रजिस्ट्रेशन के बाद उनका काम पूरा हो गया है। लेकिन हकीकत यह है कि रजिस्ट्रेशन के बाद एक महत्वपूर्ण कानूनी प्रक्रिया होती है, जिसे नजरअंदाज करना भविष्य में बड़े विवाद का कारण बन सकता है।
प्रॉपर्टी रजिस्ट्रेशन के बाद अगला महत्वपूर्ण कदम – म्यूटेशन (नामांतरण)
प्रॉपर्टी रजिस्ट्रेशन के बाद म्यूटेशन प्रक्रिया (Property Mutation) कराना जरूरी होता है। यह प्रक्रिया सरकारी रिकॉर्ड में पुराने मालिक का नाम हटाकर नए मालिक का नाम दर्ज कराने के लिए की जाती है।
म्यूटेशन क्यों है जरूरी?
अगर म्यूटेशन प्रक्रिया पूरी नहीं होती है तो कई कानूनी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं, जैसे:
पुराना मालिक संपत्ति को दोबारा किसी और को बेच सकता है।
प्रॉपर्टी के नाम पर बैंक से लोन लिया जा सकता है।
भविष्य में प्रॉपर्टी पर मालिकाना हक को लेकर विवाद हो सकता है।
कब होते हैं आप संपत्ति के आधिकारिक मालिक?
भारत में ₹100 से अधिक मूल्य की संपत्ति की खरीदारी पर रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य है। हालांकि, रजिस्ट्रेशन केवल खरीदारी का प्रमाण होता है, लेकिन संपत्ति के पूर्ण मालिक बनने के लिए म्यूटेशन प्रक्रिया पूरी करनी होती है।
म्यूटेशन प्रक्रिया कैसे कराएं?
म्यूटेशन प्रक्रिया के लिए निम्नलिखित दस्तावेजों की आवश्यकता होती है:
1. सेल डीड (Sale Deed) की कॉपी
2. स्टांप ड्यूटी और रजिस्ट्रेशन शुल्क की रसीद
3. पिछले मालिक के नाम का म्यूटेशन प्रमाण पत्र
4. बिजली बिल, पानी बिल या संपत्ति कर रसीद
5. आधार कार्ड और पैन कार्ड की कॉपी
म्यूटेशन ना कराने के क्या नुकसान हो सकते हैं?
अगर म्यूटेशन प्रक्रिया नहीं कराई जाती है तो निम्नलिखित समस्याएं हो सकती हैं:
संपत्ति पर कानूनी विवाद खड़ा हो सकता है।
पुराना मालिक संपत्ति पर दावा कर सकता है।
सरकारी रिकॉर्ड में पुराना मालिक ही कानूनी मालिक बना रहेगा।
संपत्ति कर का भुगतान करने में कठिनाई हो सकती है।
प्रॉपर्टी खरीदते समय कौन-कौन से दस्तावेज चेक करना जरूरी है?
प्रॉपर्टी खरीदने से पहले कुछ जरूरी दस्तावेजों की जांच करना आवश्यक है ताकि भविष्य में किसी भी विवाद से बचा जा सके:
1. टाइटल डीड (Title Deed):
संपत्ति का स्वामित्व प्रमाणित करने वाला दस्तावेज है।
2. लोन क्लीयरेंस सर्टिफिकेट:
संपत्ति पर किसी भी बकाया कर्ज को दर्शाने वाला प्रमाणपत्र।
3. नक्शा और सर्वे रिपोर्ट:
संपत्ति के क्षेत्रफल और सीमा की पुष्टि करने वाला दस्तावेज।
4. नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट (NOC):
संबंधित प्राधिकरणों से संपत्ति के हस्तांतरण के लिए अनापत्ति प्रमाणपत्र।
म्यूटेशन के फायदे
संपत्ति पर पूरा कानूनी हक मिलता है।
पुराना मालिक कानूनी रूप से संपत्ति से बाहर हो जाता है।
भविष्य में किसी भी कानूनी विवाद से बचाव होता है।
प्रॉपर्टी टैक्स का सही आकलन होता है।
प्रॉपर्टी खरीदना एक महत्वपूर्ण वित्तीय निवेश होता है। केवल रजिस्ट्रेशन ही संपत्ति के स्वामित्व का प्रमाण नहीं होता, बल्कि म्यूटेशन प्रक्रिया पूरा करने के बाद ही आप संपत्ति के आधिकारिक मालिक बनते हैं। इस प्रक्रिया को नजरअंदाज करना भविष्य में बड़े विवाद का कारण बन सकता है। इसलिए संपत्ति खरीदते समय सभी जरूरी दस्तावेजों की जांच करें और समय पर म्यूटेशन प्रक्रिया पूरी कराएं।
Property mutation is an essential step after property registration to secure property ownership and avoid legal disputes. Without updating the government records, the previous owner may still have legal claims on the property. Completing the mutation process ensures that the new owner’s name is officially recorded, protecting the property from fraudulent transactions and securing full ownership rights. Buyers should always verify essential property documents and complete all legal formalities to safeguard their investment.