राजस्थान के कन्हैया लाल हत्याकांड पर आधारित फिल्म ‘उदयपुर फाइल्स’ से संबंधित याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट सोमवार (21 जुलाई, 2025) को सुनवाई करेगा. साल 2022 में हुए हत्याकांड ने पूरे देश को झकझोर दिया था.
निर्माता अमित जॉनी ने दिल्ली हाई कोर्ट के उस अंतरिम आदेश को चुनौती दी है, जिसमें फिल्म की रिलीज पर रोक लगाई गई थी. यह फिल्म 11 जुलाई को रिलीज होने वाली थी, लेकिन हाई कोर्ट ने कानून-व्यवस्था और कन्हैया लाल हत्याकांड के चल रहे मुकदमे की संवेदनशीलता का हवाला देते हुए रिलीज पर रोक लगा दी.
दूसरी ओर, इस हत्याकांड के एक आरोपी, जावेद ने याचिका दायर कर कहा है कि फिल्म की रिलीज से चल रहे मुकदमे पर असर पड़ सकता है और जनता की राय प्रभावित हो सकती है, जिससे निष्पक्ष सुनवाई में बाधा आएगी.
पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को 21 जुलाई तक के लिए टाल दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि केंद्र सरकार का सूचना और प्रसारण मंत्रालय एक विशेषज्ञ समिति के जरिए फिल्म की समीक्षा कर रहा है.
जस्टिस सूर्य कांत और जस्टिस जॉयमाला बागची की बेंच ने टिप्पणी की थी, ‘हम केंद्र सरकार का इस विषय पर विचार जानना चाहते हैं, हमें उसका इंतजार है. अगर केंद्र कहता है कि फिल्म में कोई दिक्कत नहीं है, तो हम उस पर विचार करेंगे. अगर कट का सुझाव दिया जाता है, तो उसे भी देखा जाएगा.’
सुप्रीम कोर्ट ने जोर देकर यह भी कहा कि संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत जीवन का अधिकार, अनुच्छेद 19 के तहत अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता से ऊपर है. इस बयान ने स्वतंत्र अभिव्यक्ति के समर्थकों के बीच बहस छेड़ दी है.
पिछली सुनवाई में कोर्ट ने फिल्ममेकर्स की अपील पर केंद्र की विशेषज्ञ समिति से ‘बिना किसी देरी के’ इस मसले पर विचार कर ‘त्वरित कदम’ उठाने को कहा था. ‘उदयपुर फाइल्स’ साल 2022 में उदयपुर में दर्जी कन्हैया लाल साहू की हत्या पर आधारित है. उस दौरान पैगंबर मोहम्मद के बारे में बीजेपी नेता नूपुर शर्मा के बयान को लेकर विवाद चल रहा था. कन्हैयालाल ने नूपुर शर्मा के समर्थन में सोशल मीडिया पर एक पोस्ट किया था, जिसकी वजह से मोहम्मद रियाज और मोहम्मद गौस ने गला काटकर उनकी निर्मम हत्या कर दी थी.
The Supreme Court is set to hear a crucial petition today regarding the release of the controversial film ‘Udaipur Files’. The film, which has sparked intense debate over its portrayal of real-life events, may face mandatory cuts before getting a green light for public screening. As questions arise about censorship, freedom of expression, and the film’s impact on communal harmony, all eyes are on the top court’s verdict. Stay tuned for the latest updates on whether Udaipur Files will release with or without edits. This case could set a significant precedent for future politically charged films in India.