AIN NEWS 1 हरिद्वार, उत्तराखंड: माया देवी मंदिर में 19, 20 और 21 दिसम्बर 2024 को आयोजित होने वाली तीन दिवसीय धर्म संसद के संबंध में यति नरसिंहानन्द गिरी ने उत्तराखंड सरकार से अनुमति की मांग की है। उन्होंने प्रशासन द्वारा संतों और धार्मिक आयोजनों के साथ भेदभाव करने का आरोप लगाया है।
यति नरसिंहानन्द गिरी, जो कि श्री पंचदशनाम जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर हैं, ने अपने पत्र में स्पष्ट किया कि यह आयोजन किसी सार्वजनिक स्थान पर नहीं, बल्कि उनके अखाड़े के मुख्यालय पर हो रहा है। यह आयोजन किसी शक्ति प्रदर्शन का हिस्सा नहीं है, बल्कि यह एक सीमित संख्या में संतों और धार्मिक बुद्धिजीवियों का सम्मेलन है। उनका कहना है कि माया देवी मंदिर के अंदर इस प्रकार के धार्मिक आयोजनों के लिए किसी प्रशासनिक अनुमति की आवश्यकता नहीं होनी चाहिए।
गिरी जी ने इस पत्र में यह सवाल उठाया कि क्या कभी किसी मस्जिद, चर्च या गुरुद्वारे में होने वाले कार्यक्रमों के लिए प्रशासन ने अनुमति मांगी है या दी है? उन्होंने प्रशासन के रवैये पर गहरी चिंता व्यक्त की और सवाल किया कि क्यों केवल हिंदू धार्मिक आयोजनों के लिए अनुमति का दबाव डाला जा रहा है। उनका यह भी कहना था कि क्या सरकार और प्रशासन मंदिरों को अन्य धार्मिक स्थलों से कमतर मानते हैं?
यति नरसिंहानन्द गिरी ने अपनी चिंता जताते हुए कहा कि इस आयोजन का उद्देश्य केवल हिंदू धर्म के लिए हो रहे अत्याचारों और नृशंस हत्याओं पर ध्यान आकर्षित करना है। वे चाहते हैं कि धर्म संसद के माध्यम से इन घटनाओं के प्रति विरोध और दुख प्रकट किया जाए। इसके लिए उन्होंने राज्य सरकार से हरिद्वार स्थित माया देवी मंदिर में आयोजित धर्म संसद के आयोजन की अनुमति देने की विनम्र अपील की है।
यति नरसिंहानन्द गिरी ने यह पत्र हरिद्वार के जिलाधिकारी, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक और नगर मजिस्ट्रेट को भी भेजा है।
यह पत्र प्रशासन से एक स्पष्ट संदेश भेजता है कि हिंदू धर्म के अनुयायी अपने अधिकारों की रक्षा के लिए जागरूक हैं और वे धार्मिक आयोजनों के लिए समान व्यवहार की उम्मीद रखते हैं।