Thursday, December 12, 2024

यति नरसिंहानंद ने मां बगलामुखी के महायज्ञ में किया जिहादियों के विनाश की प्रार्थना, 19 दिसंबर से शुरू होगी विश्व धर्म संसद?

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AIN NEWS 1: हरिद्वार के जूना अखाड़े में बंगलामुखी महायज्ञ आयोजित किया गया, जिसमें महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद गिरी और अन्य साधु-संतों ने भाग लिया। यज्ञ में बांग्लादेश, पाकिस्तान, भारत और पूरे विश्व में इस्लामी जिहादियों के विनाश की प्रार्थना की गई। यति नरसिंहानंद ने मां बगलामुखी से सनातन धर्म के शत्रुओं के विनाश की आह्वान करते हुए कई मंत्रों का उच्चारण किया।

यति नरसिंहानंद की प्रार्थना

महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद गिरी ने यज्ञ के दौरान आह्वान करते हुए कहा, “हे मां, हम सनातन धर्म के शत्रुओं का समूल विनाश करो। बांग्लादेश, पाकिस्तान, और भारत में हमारे सनातनी धर्म के भाई-बहनों की रक्षा करो।” उन्होंने इस्लामी जिहादियों के खिलाफ भी प्रार्थना की और कहा, “जो इस्लामी जिहादी निर्दोष हिंदुओं का नरसंहार कर रहे हैं, उनका विनाश करो।”

उनका कहना था कि आज हिंदू समाज इतना कमजोर हो गया है कि वह अपनी रक्षा करने के लायक नहीं रहा। “हमारे लिए अब केवल मां बगलामुखी और महादेव ही हमें बचा सकते हैं,” उन्होंने कहा। यति ने यह भी आरोप लगाया कि बांग्लादेश, पाकिस्तान और भारत जैसे देशों में हिंदू समाज की दुर्गति हो रही है, और वे कुछ नहीं कर पा रहे हैं।

विश्व धर्म संसद की तैयारियां

इस महायज्ञ के साथ ही हरिद्वार में 19 दिसंबर से शुरू हो रही विश्व धर्म संसद की भी तैयारियां जारी हैं। यह धर्म संसद 21 दिसंबर तक चलेगी। यति नरसिंहानंद ने कहा कि इसका मुख्य उद्देश्य हिंदू धर्म को बचाना है, क्योंकि अगर धर्म नहीं बचा तो भारत का भविष्य बांग्लादेश और पाकिस्तान जैसा हो सकता है। इस धर्म संसद में केवल हिंदू धर्म के अनुयायी ही भाग ले सकेंगे।

धर्म संसद में कई प्रमुख साधु-संत और धर्मज्ञ ज्ञानी भी शामिल होंगे, जिनमें कालीचरण महाराज, श्री हरिगिरी जी महाराज और अन्य महामंडलेश्वर शामिल हैं।

यति नरसिंहानंद का जीवन परिचय

यति नरसिंहानंद का जन्म उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले के एक गांव में हुआ था। उनका असली नाम दीपक त्यागी था। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा हापुड़ के चौधरी ताराचंद इंटर कॉलेज से की और फिर 1989 में मॉस्को चले गए, जहाँ उन्होंने केमिकल टेक्नोलॉजी की डिग्री हासिल की। 1997 में अपनी मां के बीमार होने पर वह भारत लौट आए।

भारत लौटने के बाद उनकी मुलाकात भाजपा नेता बीएल शर्मा से हुई, और 1998 में उन्होंने गृहस्थ जीवन से संन्यास लेने का निर्णय लिया। उन्होंने अपना नाम दीपेंद्र नारायण सिंह से बदलकर यति नरसिंहानंद गिरी रख लिया। 2007 से वे डासना देवी मंदिर के पीठाधीश्वर हैं और वर्तमान में जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर हैं।

इस महायज्ञ और धर्म संसद के आयोजन से यति नरसिंहानंद ने हिंदू समाज को जागरूक करने और सनातन धर्म की रक्षा के लिए एक मजबूत कदम बढ़ाने की कोशिश की है।

 

 

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सत्यमेव जयते नानृतं सत्येन पन्था विततो देवयानः।
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